भाकपा (माओवादी )की प्रेस विज्ञप्ति आई सामने, जन आन्दोलनों के उभार समेत तीसरे दौर की क्रांति में उभार आने की बात

दरअसल भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवाद) की केंद्रीय कमेटी ने यह प्रेस विज्ञप्ति जनमुक्ति गुरिल्ला सेना (पीएलजीए ) का 22वें वर्षगांठ समारोह के सम्बन्ध में जारी की है

The Narrative World    29-Nov-2022   
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Maoist Ideology
 
प्रतिबंधित भाकपा (माओवाद) द्वारा हाल ही में 28 नवम्बर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी है जिसका शीर्षक है ‘पीएलजीए का 22 वी वर्षगांठ मनाओ’ I इस शीर्षक के साथ जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति में भाकपा माओवाद ने यह दावा किया है कि “दिसंबर 2021 से नवंबर 2022 तक बीते 11 महीनों के समय में भाकपा पार्टी के नेतृत्व में पीएलजीए द्वारा विभिन्न गुरिल्ला जोन और लाल प्रतिरोध क्षेत्रों में लगभग 200 गुरिल्ला युद्ध कार्रवाइयों को अंजाम दिया गया I साथ ही 71 जवानों को उन्मूलन कर 154 जवानों को घायल किया I”
अपने समर्थकों की सहानुभूति प्राप्त करने हेतु भाकपा की प्रेस विज्ञप्ति में विशेष रुप से यह उल्लेखित किया गया कि देश की प्रगति में की गई तथाकथित क्रांति में गत महीनों में 132 कॉमरेड शहीद हुएI मुख्य रूप से इस प्रेस विज्ञप्ति में किस प्रकार सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘समाधान प्रहार’ नामक अभियान पूर्णरूप से ध्वस्त किया जाए, इसकी पूरी रणनीति दिखाई पड़ती है I
दरअसल भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवाद) की केंद्रीय कमेटी ने यह प्रेस विज्ञप्ति जनमुक्ति गुरिल्ला सेना (पीएलजीए ) का 22वें वर्षगांठ समारोह के सम्बन्ध में जारी की है I इसमें उल्लिखित है कि “देशभर में ग्रामीण व शहरी इलाकों में क्रांतिकारी उत्साह के साथ जोरशोर से मनाने तमाम पार्टी कतारों, पीएलजीए यूनिटों, क्रांतिकारी जन सरकारों, जन संगठनों व क्रांतिकारी जनता को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी आह्वान करती हैI”
यह लाल आतंकी स्वयं किसी भी प्रकार का विकास करने में सहायक तो नहीं ही होते हैं एवं साथ ही सरकार द्वारा निर्धारित विकास नीतियों को भी सफल नहीं होने देते हैं जैसे इसी प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेखित है कि “देश के आंदोलन के क्षेत्र समेत अनेक क्षेत्रों में साम्राज्यवादी बहुराष्ट्रीय कंपनियों, देशीय दलाल पूंजीपतियों के कॉरपोरेट कंपनियों, केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तावित विभिन्न किस्म के बुनियादी सुविधाओं, सड़क, डैम, पावर प्लांट आदि तमाम परियोजनाओं के विरुद्ध व्यापक आंदोलन जारी है, कृषि क्षेत्र और जंगलों को कॉरपोरेटर को हवाला करने के विरुद्ध आंदोलन आंदोलनों के इलाकों में सैन्य करण करने के विरुद्ध भी आंदोलन जारी है I
भीमा कोरेगांव आदि षड्यंत्र कारी मामलों में बंदी बनाए गए राजनीतिक कैदियों की रिहाई हेतु उपाधि फासीवादी कानूनों को वापस लेने की मांग के लिए भी आंदोलन जारी हैI” अब इसी बात से इन लाल आतंकियों के उद्देश्य स्पष्ट होता है, जिन आरोपियों को न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित कर दिया गया उन्हें जेल से रिहाई देने के लिए यह लाल आतंकी समर्थन करते हैं I
इसी दस्तावेज में आगे अपने द्वारा किये गए उत्पात को लाल आतंकी यूँ बताते हैं कि “कई जगहों पर सरकारी संपत्ति और दलाल नौकरशाह पूंजीपतियों की लूटी संपत्ति को ध्वस्त किया, लगभग 100 मुठभेड़ों में पुलिस, अर्धसैनिक एवं कमांडो बलों का पीएलजीए बलों ने प्रतिरोध कियाI” बता दें कि भाकपा माओवाद की हर प्रेस विज्ञप्ति के समान इस प्रेस विज्ञप्ति में भी भाकपा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए यह कहा कि “पिछले एक दशक से दुश्मन ने आंदोलनों के क्षेत्र में निगरानी के लिए विभिन्न किस्म के ड्रोनों का इस्तेमाल करता आया है, लंपट युवाओं को लेकर स्वरोजगार योजनाओं के नाम पर उन्हें मुखबिर बनाया जा रहा हैI”
साथ ही इस प्रेस विज्ञप्ति में आगे यह भी लिखा गया है कि “अगले दिनों में विश्व में एवं देश में जन आंदोलनों के उभार समेत विश्व भर में तीसरे दौर की क्रांतिकारी में उभार आएगा जिस हेतु वर्ग संघर्ष एवं गुरिल्ला युद्ध को व्यापक व तेज करना अगुवा दस्ता कम्युनिटी पार्टी की जिम्मेदारी हैI समाधान हमले को हराए , क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ाएं अंतिम जीत हमारी ही हैI”
माओवादियों द्वारा अपनी हिंसक गतिविधियों को सरकार की अव्यवस्थाओं के साथ जोड़कर उन्हें उचित ठहराना सर्वथा अनुचित इसलिए है क्योंकि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में सरकार के प्रति असंतोष प्रकट करने हेतु संविधान में कानूनी रूप से उचित तरीकों का वर्णन किया गया है, साथ ही वे चुनावी प्रक्रिया के द्वारा जन प्रत्याशी बनकर भी लोगों की समस्याओं का निवारण कर सकते हैं। किंतु इन लाल आतंकियों के उद्देश्य इतने सरल कभी ही नहीं थे, इनका एक मात्र उद्देश्य भारतीय सरकार तंत्र को हटाकर सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत में कम्युनिस्ट राज्य की स्थापना करना है।
इससे अधिक हास्यास्पद क्या होगा जब एक राष्ट्र विखंडन कार्य में संग्लन पार्टी (जिसका उद्देश्य ही सशस्त्र क्रांति कर भारत के राजकीय तंत्र को हटाकर स्वयं का शासन स्थापित करना है) लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को इतने आत्मविश्वास के साथ दुश्मन कह रही है एवं उसके विरुद्ध आंदोलन करने को भी उत्तेजित कर रही हैI