एल्गार परिषद माओवादी प्रकरण में आरोपी गौतम नवलखा पर न्यायालय मेहरबान, एक महीने बढ़ी हाउस अरेस्ट की अवधि, वहीं तेलंगाना - छत्तीसगढ़ सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ रहा माओवादियों का उत्पात

The Narrative World    15-Dec-2022   
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Urban Maoists 
 
 
मंगलवार को शीर्ष न्यायालय के जज के.एम जोसेफ और बी. वी. नागरत्ना की खंडपीठ ने एल्गार परिषद माओवादी मामले में दोषी पाए गए गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट की अवधि को बढ़ाने का आदेश पारित किया है। अब माओवादी गौतम नवलखा की हाउस अरेस्ट अवधि जनवरी के दूसरे सप्ताह तक बढ़ गई है। बता दें कि नवलखा पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन भाकपा माओवादी के शहरी कैडर होने (अर्बन नकसल्स) एवं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ संबंध रखने के गंभीर आरोप हैं।
 
दरअसल शीर्ष अदालत ने माओवादी नवलखा के बारे में 18 नवंबर को यह आदेश पारित किया था कि नवलखा को उसके कथित स्वास्थ्य संबंधी मामलों के चलते 24 घंटे के भीतर जेल से निकाल कर नजर बंद किया जाए, यहां तक की शीर्ष न्यायालय ने 15 नवंबर को तलोजा जेल से नवलखा की 'रिहाई की बाधा' को दूर करते हुए उसे हाउस अरेस्ट का लाभ देने के लिए सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया था, जबकि सुनवाई के दौरान माओवादी गौतम नवलखा को शीर्ष न्यायालय द्वारा दिए गए हाउस अरेस्ट का राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (एनआईए) द्वारा पुरजोर विरोध किया गया था।
 
इस संदर्भ में एनआईए ने गौतम नवलखा की स्वास्थ्य संबंधी मेडिकल रिपोर्ट में जानबूझकर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया था, यह रिपोर्ट जसलोक अस्पताल द्वारा जारी की गई थी। एनआईए ने इस संदर्भ में यह भी कहा था कि "आवश्यकता पड़ने पर माओवादी गौतम नवलखा को उचित इलाज भी दिया गया एवं तलोजा सेंट्रल जेल में, जहां नौलखा को कैदी के रूप में रखा गया है, वहां उसकी स्थिति पहले ठीक ही थी।"
 
बता दें कि एल्गार परिषद मामले में आत्मसमर्पण करने के बाद नवलखा को 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। नवलखा ने कुछ महीनों पूर्व ही एक विशेष एनआईए न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका के साथ बॉम्बे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, इसी क्रम में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एनआईए को नोटिस जारी कर एलगार परिषद के आरोपी गौतम नवलखा द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर जवाब मांगा था, किंतु इस साल सितंबर में उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
 
ज्ञात हो कि मुंबई के पास जिस तलोजा जेल में माओवादी गौतम नवलखा को जेल में बंद रखा गया था , वहां पर कथित रुप से पर्याप्त चिकित्सा एवं अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते नवलखा ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे मुंबई उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था, जिसके उपरांत आदेश के विरुद्ध नवलखा ने शीर्ष न्यायालय में दोबारा याचिका दायर की थी।
 
क्या है एलगार परिषद मामला : यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन से संबंधित है, पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजिय हुए इस सम्मेलन में भाकपा माओवादियों के शहरी कैडरों द्वारा भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके उपरांत कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास जानबूझकर हिंसा भड़काई गई थी। हालांकि बावजूद की नवलखा पर इतने गंभीर आरोप है, न्यायालय ने ना केवल विशेष सहूलियत देते हुए नवलखा को जेल से निकालकर विशेष सुविधा देते हुए नज़रबंद (कम्युनिस्ट पार्टी का कार्यालय) किया अपितु अब इसकी अवधि को बढ़ाने का भी आदेश पारित किया है।
 
बता दें कि अभी हाल ही में इस प्रकरण के एक और आरोपी मिलिंद तेलतुंबड़े को भी मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा जमानत पर रिहा किया गया है जबकि एक अन्य आरोपी वरवरा राव पहले से ही जमानत पर बाहर हैं
जनजातियों पर अत्याचार कर रहे माओवादी
वहीं जहां और एक माओवादियों पर न्यायालय अपनी कृपा दृष्टि बरसाने में व्यस्त हैं, वहीं माओवाद अपनी जड़ें देश की भूमि पर पसारने में लगा हुआ है। हाल ही में तेलंगाना - छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार माओवादी गतिविधियां देखने में आईं हैं, जिस पर एडिशनल एसपी साईं मनोहर का बयान भी सामने आया है, मनोहर ने कहा कि "भाकपा माओवादी पार्टी, इस क्षेत्र में रहने वाले जनजाति लोगों के साथ अन्याय कर रही है...।" उन्होंने आगे कहा कि "केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं में बाधा डालकर माओवादी, जनजातियों के साथ अन्याय कर रहे हैं। वाहनों और उपकरणों को तोड़-फोड़ कर और जलाकर माओवादी विकास कार्य में बाधा डाल रहे हैं।"
 
मंगलवार को हुई प्रेस वार्ता में उन्होंने यह भी कहा कि "माओवादी संगठन निर्दोष जनजातियों को मुखबिर बताकर उनकी सरेआम हत्या कर रही है और उनके परिवारों और बच्चों को अनाथ बना रही हैं। यह भी देखा गया है कि माओवादी निर्दोष जनजातियों पर अपने अत्याचार करने हेतु पीएलजीए सप्ताह का नाम लेकर उत्पात मचाते आए हैं।"
 
पुलिस अधीक्षक ने यह भी कहा कि माओवादी त्योहारों के नाम पर तेलंगाना एवं छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में जनजातियों से पैसे एवं आवश्यकता की चीजें लूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि माओवादियों को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहिए क्योंकि माओवाद की हिंसक विचारधारा से कुछ भी प्राप्त नहीं होने वाला है।