मुस्लिम राष्ट्र की फुटबॉल मैच में हार के बाद इस्लामिक जिहादियों ने किए दंगे, कई शहरों में हालात बेकाबू

The Narrative World    15-Dec-2022   
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riots after match
 
 
इस्लामिक जिहादियों द्वारा काफिरों (गैर मुस्लिमों) के विरुद्ध समय दर समय ऐसी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है, जिसने उनकी जिहादी मानसिकता, कट्टरपंथी विचार और मुस्लिम समाज के बीच की वास्तविक मसलों को उजागर किया है।
जिस तरह अगस्त (2022) के महीने में भारत एवं पाकिस्तान के बीच हुए एशिया कप के मुकाबले में पाकिस्तान की हार के बाद इंग्लैंड में जिहादी समूह ने भारतीय, खासकर हिंदुओं, को निशाना बनाया था। इस दौरान भीषण दंगे हुए थे और हिंदुओं के मंदिरों को भी निशाना बनाया था।
 
अब कुछ ऐसा ही यूरोप के अन्य शहरों में भी दिख रहा है, जहां फुटबॉल मैच में हार के बाद इस्लामिक जिहादियों ने विभिन्न शहरों में आतंक मचा रखा है।
 
दरअसल फीफा वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में इस्लामिक राष्ट्र मोरक्को को फ्रांस ने 2-0 से हरा दिया, जिसके बाद फ्रांस से लेकर बेल्जियम तक दंगे शुरू हो गए हैं। फ्रांस के विभिन्न शहर आग के हवाले कर दिए गए हैं।
 
बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में सड़कों पर इस्लामिक जिहादियों का आतंक खुलेआम नजर आ रहा है। वहीं, नीदरलैंड में स्थिति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि माहौल की शांति के लिए दंगा-रोधी पुलिस सड़कों पर मार्च कर रही है।
बुधवार को फ्रांस की जीत के बाद से ही फ्रांस की राजधानी पेरिस में इस्लामिक जिहादियों ने आतंक फैलाना शुरू कर दिया। इन दंगों में एक 14 वर्षीय फुटबॉल प्रशंसक की मौत की खबर भी सामने आई है।
 
एक मीडिया वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार इस्लामिक राष्ट्र मोरक्को के कुछ कथित 'युवा प्रशंसकों' ने दंगा रोधी पुलिस पर भी हमला किया है।
 
दरअसल इस पूरे बवाल के पीछे इस्लामिक जिहादियों की वो कट्टर सोच भी है, जिसमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो को इस्लाम का विरोधी समझा जाता है। दुनियाभर के अधिकांश मुस्लिम खिलाड़ी खेल के मैदान के बीच ही 'इस्लाम का संदेश और प्रसार' देते एवं करते आ रहे हैं।
 
इसी प्रक्रिया को मोरक्को के मुस्लिम खिलाड़ी भी दोहराते रहे हैं, जो अपनी हर जीत के बाद खेल के मैदान में ही 'नमाज' पढ़ते हुए दिखाई देते थे। इसके अलावा पाकिस्तान के नेताओं की तरह 'मुस्लिम जगत' के कई प्रमुख लोगों से लेकर मीडिया वेबसाइट्स ने भी मोरक्को की जीत को 'इस्लाम की जीत' बताया था।
 
सिर्फ इतना ही नहीं, अपनी हार का ठीकरा फ्रांस पर ही फोड़ते हुए कुछ लोगों ने ऐसे ट्वीट किए जिससे मोरक्को के आम प्रशंसकों को यह लगा कि उनकी टीम के साथ अन्याय हुआ है।
 
मोरक्को के प्रशंसक एक पत्रकार ने कहा कि 'बदकिस्मत मोरक्को, अपने मुस्लिम दुनिया को गौरवान्वित किया है। बेहतर टीम नहीं जीती। इस्लाम, अरब संस्कृति और फिलिस्तीन इस साल के क़तर विश्वकप के अंतिम विजेता हैं।'
 
ऐसी टिप्पणियों के बाद इस्लामिक समूह द्वारा यह कहा जा रहा है कि फ्रांस नहीं, बल्कि मोरक्को ही जीत की हकदार है। इसके अलावा इन बयानों से यह भी समझा जा सकता है कि केवल इस्लाम ही हर जगह विजेता हो सकता है, इसके अलावा कोई और नहीं, जैसा उनके मजहब के मूल में है कि अल्लाह (ईश्वर) केवल एक ही है।
 
अब चूंकि फ्रांस से मोरक्को का मुकाबला था, तो इसे इमैनुअल के विरुद्ध इस्लाम की लड़ाई बना दी गई थी, ताकि फ्रांस को हराकर उसे संदेश दिया जा सके। लेकिन सेमीफाइनल के मैच में फ्रांस ने मोरक्को को बुरी तरह स रौंद दिया। अब इसी हार का गुस्सा इस्लामिक जिहादियों ने काफिरों पर निकालने के लिए जगह-जगह दंगे शुरू कर दिए।
 
फ्रांस के पेरिस के अलावा बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में भी इस्लामिक समूहों ने जमकर उत्पात मचाया है। ब्रसेल्स के साउथ स्टेशन में एकत्रित को इस्लामिक जिहादियों ने आतंक फैलाया है, इस दौरान उन्होंने इस क्षेत्र में आगजनी की घटना को भी अंजाम दिया है।
 
पुलिस के साथ झड़प की घटना की जानकारी भी सामने आई है, जिसके बाद पुलिस ने कुछ जिहादी तत्वों को गिरफ्तार भी किया है।
 
दरसअल यह पहला मौका नहीं जब मोरक्को के इस्लामिक जिहादी प्रशंसकों ने हिंसा या दंगों की घटना को अंजाम दिया है। इससे पूर्व बेल्जियम और पुर्तगाल को मोरक्को ने जब हराया था, तब भी इस्लामिक जिहादियों ने जमकर उत्पात मचाया था।
मोरक्को ने पुर्तगाल को क्वार्टर फाइनल में 1-0 से हराया और इसके बाद मोरक्को की जीत को इस्लाम की जीत बताया। मोरक्को की इस जीत के बाद पेरिस में भारी हिंसा देखने को मिली।
 
इसके अलावा बेल्जियम के विरुद्ध भी मोरक्को की जीत के बाद बेल्जियम में इस्लामिक जिहादियों द्वारा दंगे किए गए थे। ब्रसेल्स में रहने वाले मोरक्को मूल के बेल्जियम निवासियों ने 'अपने ही राष्ट्र' के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए विरोधी राष्ट्र की जीत का जश्न मनाते नजर आए। जिहादियों ने इस दौरान अपने आतंक का विस्तार करते हुए सार्वजनिक वाहनों को जमकर नुकसान पहुंचाया।
जिस तरह से दुनियाभर में खेल के मैदान को इस्लामिक खिलाड़ियों के द्वारा 'इस्लाम के प्रचार' का अड्डा बनाया जा रहा है, वह दिन दूर नहीं जब आम मैचों के बाद भी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इसी तरह के दंगे देखने को मिलेंगे।
 
किसी इस्लामिक राष्ट्र की खेल में जीत को इस्लाम की जीत बताना मूर्खतापूर्ण रवैया है क्योंकि इसी विचार के कारण इस्लामिक जिहादियों द्वारा यह सोचा जाता है कि उसी टीम की हार 'इस्लाम की हार' है।