कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के गोल्डन कॉरिडोर समिति के सदस्य अरुण भेलके को न्यायालय ने ठहराया दोषी

The Narrative World    17-Dec-2022   
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पुणे स्थित जिला एवं सत्र न्यायालय ने बुधवार को प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई-माओवादी) के सक्रिय सदस्य होने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत माओवादी ऑपरेटिव 'अरुण भेल्के' को दोषी ठहराया है। बता दें कि विशेष न्यायाधीश एसआर नवंदर द्वारा पारित आदेश में, भेल्के को आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 474 और यूएपीए की धारा 20 और 38 के तहत दोषी ठहराया गया है। इसी के साथ उक्त दोषी को आईपीसी की धाराओं के तहत, पांच साल के सश्रम कारावास (आरआई), 5,000 रुपये के जुर्माने और जुर्माना न देने पर एक महीने के साधारण कारावास (एसआई) की सजा सुनाई गई है।
 
दरअसल सितंबर वर्ष 2014 में माओवादी भेल्के' एवं उसकी पत्नी कंचन नानावरे को एसीपी भानुप्रताप बर्गे के नेतृत्व में महाराष्ट्र राज्य आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा पुणे ग्रामीण के कान्हे फाटा से गिरफ्तार किया गया था।। बाद में दोनों को यरवदा सेंट्रल जेल में रखा गया। लंबी बीमारी के बाद 24 जनवरी, 2021 को नानावरे का निधन हो गया था । बता दें कि चंद्रपुर के मूल निवासी, भेल्के' और नानावरे, दोनों पर भाकपा-माओवादी की गोल्डन कॉरिडोर समिति के सदस्य होने का आरोप था जो कि अब पुणे न्यायलय द्वारा सिद्ध हो चूका है I यदि बात करें गोल्डन कॉरिडोर समिति के बारे में बात इसका उद्देश्य महाराष्ट्र और गुजरात के शहरी क्षेत्रों - मुख्य रूप से मुंबई, पुणे, ठाणे, नासिक और सूरत में भाकपा की प्रतिबंधित गतिविधयों को फैलाना था।
 
बता दें कि भेल्के' और नानावरे शुरू में “देशभक्ति युवा मंच (DYM)” के सदस्य थे, जो चंद्रपुर स्थित एक माओवादी फ्रंटल समूह है। जानकारी है कि बाद में दोनों माओवादी गढ़चिरौली और गोंदिया के जंगलों में रहकर सशस्त्र माओवादी कार्यकर्ताओं में शामिल हो गए थे।
 
इस सन्दर्भ में पुलिस का कहना था कि इसके बाद इन माओवादियों को पुणे और मुंबई के शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया। एटीएस के अनुसार गिरफ्तारी से पहले भेलके और नानावरे पुणे, मुंबई और रायगढ़ में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग उपनामों से रहते थे I एटीएस की चार्जशीट के मुताबिक, भेल्के' ने पुणे की कासेवाड़ी झुग्गी बस्ती के कुछ युवकों को माओवादी गतिविधियों में शामिल करने और भर्ती करने की कोशिश भी की। इसी क्रम में एटीएस द्वारा इन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उनके पास से कई दस्तावेज, हस्तलिखित कागजात और लैपटॉप, पेन ड्राइव, डीवीडी और हार्ड डिस्क जैसी इलेक्ट्रॉनिक सामग्री जब्त की गई थी।
 
इस क्रम में उक्त माओवादियों पर चलने वाले मुकदमे के दौरान भेल्के' के लिए सजा की मांग करते हुए, विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वला पवार ने इस मामले में जब्त किए गए सीपीआई-माओवादी पार्टी के "भारतीय क्रांति की रणनीति" और "शहरी क्षेत्रों में हमारे काम" जैसे शीर्षक वाले दस्तावजों का उल्लेख किया था। पवार ने तर्क दिया था कि भेल्के' माओवादी रणनीति दस्तावेजों में वर्णित "कैडर नीति" के अनुसार काम कर रहा था I पवार ने जांच के दौरान बरामद एक पत्र का हवाला भी दिया था जिसमें भेल्के' ने माओवादी गतिविधियों में भाग लेने के लिए कैडरों को भेजने का उल्लेख किया था।
 
अभियोजक पवार ने इसी क्रम में बताया कि माओवादी भेलके के उपनाम जैसे "स्पंदन" और "राजन" और नानावरे के "भूमि" जैसे कुछ नाम गुप्त पत्रों में दिखाई दिए हैं। इसी के आगे पवार ने बताया कि भेलके ने शहरी क्षेत्रों में प्रतिबंधित भाकपा समूह के "पीआर (पेशेवर क्रांतिकारी)" के रूप में काम किया, नकली नामों का उपयोग किया और नकली पहचान पत्र प्राप्त किए। पवार ने प्रमाण सहित यह भी कहा कि भेल्के' ने नानावरे के उपचार के लिए माओवादी पार्टी से एक पत्र के जरिए पैसे मांगे थेI
अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 22 गवाहों का परीक्षण किया था, जिनमें तीन आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी भी शामिल थे। गवाहों के अनुसार भेल्के' शीर्ष माओवादी कार्यकर्ता एवं अर्बन नक्सल आनंद तेलतुंबड़े के भाई मिलिंद तेलतुंबडे से निकटता से जुड़ा हुआ था, जिसे पिछले साल गढ़चिरौली में एक मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने मार गिराया था।