गुरु के साहिबजादों ने जहां धर्म के लिए दिया बलिदान, उसी धरती पर ईसाई मिशनरियां चला रही मतांतरण का कुचक्र

ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थानीय क्षेत्र के आर्थिक रूप से निम्न वर्ग के अशिक्षित लोगों को यूरोप एवं अमरीका का उदाहरण देते हुए यह कहते हैं कि वें लोग भी "विदेशी ईसाइयों" की तरह धनवान बन जाएंगे।

The Narrative World    19-Dec-2022   
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Missionaries growing menance in Punjab 
 
पूर्वोत्तर क्षेत्र, दक्षिण भारत और मध्य भारत के जनजाति क्षेत्रों में अपना व्यापक प्रसार करने के बाद जिस तरह से ईसाई मिशनरियों ने पंजाब में अपनी पैठ बढ़ाई है, उसे लेकर अब विपरीत परिणाम आने शुरू हो गए हैं। हाल ही में सामने आई जानकारी के अनुसार प्रदेश के चकमौर साहिब से अवैध मतांतरण की घटना सामने आई है।
 
स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार 16 दिसंबर को स्थानीय ईसाई मिशनरियों द्वारा एक प्रार्थना सभा के माध्यम से 'अंधविश्वास' का स्वांग रच मतांतरण की गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था। इस मामले के सामने आने के बाद अब पंजाब की राजनीति में एक बार पुनः रस्साकशी की स्थिति पैदा हो गई।
 
भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की सरकार पर ईसाई मिशनरियों की करतूतों को अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि भगवंत मान की सरकार केवल अपना वोट बैंक बचाने के चक्कर में इन अवैध गतिविधियों पर कोई कार्यवाई नहीं कर रही है।
 
दरसअल 16 दिसंबर की घटना के दौरान एक ईसाई मिशनरी सदस्य ने स्थानीय हिंदुओं एवं सिखों को एकत्रित कर प्रार्थना सभा का आयोजन किया था। इस सभा में स्वयं के भीतर ईसा मसीह की आत्मा आने का दावा कर गरीब, अशिक्षित सिखों और हिंदुओं को बहला-फुसलाकर मतांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा था।
 
हालांकि पंजाब में ईसाई मिशनरियों की काली करतूतों का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पूर्व भी ऐसी गतिविधियों को अंजाम दिया जा चुका है।
 
विभिन्न ईसाई प्रार्थना सभाओं में ईसाई मिशनरी के लोग मंच पर खड़े होकर स्वयं के भीतर ईसा मसीह की आत्मा आने का दावा करते हैं और फिर सभा में मौजूद गरीब, अस्वस्थ, अशिक्षित एवं समस्याओं से जूझ रहे सिखों एवं हिंदुओं की परेशानियों के निराकरण करने की बात कहते हुए उन्हें ईसाई बनने के लिए प्रेरित करते हैं।
 
इस दौरान बीमारों का उपचार करने का भी ढोंग किया जाता है, जिसमें उनके अपने लोग भी शामिल होते हैं जो पूरी सभा को दिग्भ्रमित करते हैं।
 
इसके कुछ उदाहरण पहले भी देखने को मिले हैं, जब ऐसी ही एक प्रार्थना सभा में ईसाई मिशनरी से जुड़े सदस्य ने 'ईसाई मत' अपनाने के बाद कैंसर से ठीक हो जाने का दावा किया था।
 
इसके अलावा शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, नियमित आमदनी और राशन जैसी मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने का प्रलोभन देकर भी उनका मतांतरण किया जाता है। अपनी इन गतिविधियों के प्रसार-प्रचार के लिए ये समूह इंटरनेट और सोशल मीडिया का सहारा लेता है, जिसमें इन सभाओं से जुड़े वीडियो प्रसारित किए जाते हैं।
 
ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थानीय क्षेत्र के आर्थिक रूप से निम्न वर्ग के अशिक्षित लोगों को यूरोप एवं अमरीका का उदाहरण देते हुए यह कहते हैं कि वें लोग भी 'विदेशी ईसाइयों' की तरह धनवान बन जाएंगे।
 
पंजाब में ईसाई मिशनरियों ने मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों एवं दलित समूह के बीच अपनी पैठ बनाई है, जो अभी भी निरंतर जारी है। दरसअल राजनीतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के कारण पंजाब के सिखों के बीच भी मजहबी, जाट और वाल्मीकि सिखों के बीच दूरियां बढ़ी हुईं हैं, जिसका फायदा मिशनरियों के द्वारा उठाया जा रहा है।
 
पंजाब की राजनीति एवं सामाजिक जीवन में जाट सिखों का वर्चस्व रहा है, यही कारण है कि मिशनरियां वाल्मीकि और मजहबी सिखों को लक्षित कर उन्हें सम्मानजनक जीवन, पैसे, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य मुद्दों पर प्रलोभन देकर उनका मतांतरण कराया जा रहा है।
 
ईसाई मिशनरियों के द्वारा पंजाब के विभिन्न हिस्सों में तेजी से गिरजाघर (चर्च) का निर्माण भी किया गया है, साथ ही ईसाइयत के प्रसार के लिए अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न समितियां भी बनाई गई हैं। पाकिस्तान की सीमा से लगे क्षेत्रों में इसका तेजी से विस्तार देखा जा रहा है, हालांकि इसके पीछे भी किसी प्रकार के षड्यंत्र के होने को नकारा नहीं जा सकता है।
 
चर्चों की बढ़ोतरी से संबंधित कुछ आंकड़ों के अनुसार सिर्फ गुरदासपुर और अमृतसर जिले में चार ईसाई समूहों के 700 से अधिक चर्च मौजूद हैं। इसमें सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इनमें से 60-70 % चर्च बीते 5-6 वर्षों में अस्तित्व में आए हैं। इसके अलावा जमीनी स्तर पर ईसाई समूह के विस्तार, प्रसार और प्रचार के लिए बनी समितियों की संख्या भी चिंताजनक है, जिनकी पहुँच 8 हजार से अधिक गांवों में हो चुकी है, जो कि पंजाब के कुल गांवों की संख्या का 65% से भी अधिक है।

 
रिपोर्ट्स में ऐसी जानकारी सामने आई है कि जिन स्थानों में ईसाई समूह का कोई पूजा स्थल नहीं है, वहां कुछ समय अंतराल में अचानक ही गिरजाघर दिखाई देने लगते हैं। जहां जमीनों में बड़े चर्च नहीं बनाए जा सकते वहां स्थानीय ईसाइयों के घरों की छत में चर्च बना दिए गए हैं।
 
यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी जैसी राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ स्थानीय सिखों के द्वारा भी इन गतिविधियों का विरोध किया जा रहा है, क्योंकि ऐसी गतिविधियां ना सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आने वाले समय में राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी एक बड़ा खतरा है, खासकर पंजाब जैसे राज्य में जो पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है।
 
भाजपा के प्रवक्ता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस मामले को लेकर कहा है कि पंजाब का चकमौर वही स्थान है जहां गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने दो साहिबजादों को धर्म की रक्षा के लिए बलिदान करवा दिया था और आज उसी धरती पर सिखों का मत परिवर्तन कर उन्हें ईसाई बनाने का खेल चल रहा है और पंजाब की सरकार चुप्पी साधे हुए है।