केरल: कम्युनिस्ट प्रायोजित फ़िल्म महोत्सव में हंगरी के फिल्मकार ने खोली साम्यवादियों की पोल, वामपंथियों को बताया अपराधी

उन्होंने पूछा कि "आखिर उस सोवियत संघ का क्या हुआ जिसका निर्माण समाजवादी राष्ट्र के रूप में हुआ था?" उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों की सच्चाई बताते हुए कहा कि पूर्व में जो देश वामपंथ की जकड़ में रहें हैं वह अब गरीबी से भी जूझ रहे हैं।

The Narrative World    20-Dec-2022   
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Bela Tar 
 
केरल के तिरुवनंतपुरम में आयोजित 27वें केरल अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव (IFFK) में सम्मिलित हुए हंगरी के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक एवं निर्माता बेला टार ने साम्यवादियों/वामपंथियों की सच्चाई को खुले मंच से उजागर किया है। बेला टार ने साम्यवाद की तुलना उस तांबे के सिक्के से की है जिसे अब पूरी दुनिया ने फेंक दिया है।
 
दिलचस्प बात यह है कि हंगरी के इस प्रसिद्ध फिल्मकार ने यह बातें उस जमीन पर की है जहां वामपंथी पार्टी सत्ता में मौजूद है और केरल भारत के उन चुनिंदा क्षेत्रों में से एक है जहां अभी भी वामपंथियों की मौजूदगी है।
 
दरअसल एक मलयाली दैनिक को साक्षात्कार देने के दौरान बेला टार ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी 'अच्छा साम्यवादी' नहीं देखा है। इसी क्रम में उन्होंने अपने साक्षात्कार में कहा कि असल में वामपंथी अपराधी होते हैं और अपनी आपराधिक एवं मानवता विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए साम्यवाद का सहारा लेते हैं।
 
हंगरी के राजनीतिक इतिहास को याद दिलाते हुए बेला टार ने अपने साक्षात्कार में बताया कि किसी काल में उनका अपना देश भी वामपंथ के विचार से 'ग्रसित' था, जिस दौरान वह 16 वर्ष की आयु में स्वयं भी साम्यवाद की विचारधारा से प्रभावित थे। उन्होंने आगे कहा कि 'लेकिन यही (हंगरी) वो देश है जिसने कालांतर में मुझे साम्यवाद से नफरत करना सिखाया।'
 
बेला टार ने बताया कि साम्यवाद से प्रभावित होने के बाद जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि जिन नेताओं, विचारकों एवं नेतृत्वकर्ताओं को वामपंथ के नाम पर 'पूजा' जा रहा है, असल में वे लोग स्वयं ही नकली साम्यवादी हैं। इस अनुभूति के बाद उन्होंने वामपंथ की राह को ही त्याग दिया।
 
उन्होंने अपने साक्षात्कार में स्पष्ट रूप से कहा कि 'मैंने अपने जीवन में कभी अच्छा कम्युनिस्ट नहीं देखा।' उन्होंने आगे कहा कि ये वामपंथी नेता साम्यवाद का उपयोग केवल और केवल अपनी आपराधिक गतिविधियों एवं मानवाधिकार के उल्लंघन पर पर्दा डालने के लिए करते हैं।
 
कम्युनिस्ट नेताओं की सच्चाई उजागर करते हुए उन्होंने बताया कि वास्तव में अधिकांश वामपंथी नेताओं को भी साम्यवाद और मार्क्सवाद के बीच का अंतर भी नहीं पता होता है।
 
हालांकि केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता है और लंबे समय से केरल में कम्युनिस्ट दलों का प्रभाव रहा है, इस विषय को लेकर बेला टार ने कहा कि उन्हें केरल के हालातों के बारें में जानकारी नहीं है।
 
दरअसल हमने यह दुनिया के विभिन्न देशों में देखा है कि कम्युनिस्ट सत्ता की मौजूदगी में तानाशाही स्वतः ही अपना स्थान बना लेती है और लोकतांत्रिक एवं स्वतंत्र विचारों को धीरे-धीरे खत्म कर दिया जाता है। इसी मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए बेला टार ने साफ लफ्जों में कहा कि निरंकुशता और साम्यवाद एक ही पक्षी के दो पंख हैं।
 
उन्होंने अपने पक्ष को मजबूती से पेश करते हुए कहा कि दुनिया के किसी भी देश ने साम्यवाद या समाजवाद के माध्यम से प्रगति नहीं की है। उन्होंने वामपंथ के कारण बर्बाद हुए या बुरी तरह से प्रभावित हुए देशों के नाम गिनाते हुए पोलैंड, हंगरी, पूर्वी जर्मनी और रूस का उल्लेख किया।
 
1917 में साम्यवाद और समाजवाद के विचार पर निर्मित हुए सोवियत संघ पर 'व्यंग्यात्मक' टिप्पणी करते हुए उन्होंने पूछा कि "आखिर उस सोवियत संघ का क्या हुआ जिसका निर्माण समाजवादी राष्ट्र के रूप में हुआ था?" उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों की सच्चाई बताते हुए कहा कि पूर्व में जो देश वामपंथ की जकड़ में रहें हैं वह अब गरीबी से भी जूझ रहे हैं।
 
वहीं दूसरी ओर चीन में भी कम्युनिस्ट शासन के तहत विशाल अर्थव्यवस्था बनने के पीछे बेला टार का विचार है कि चीन आर्थिक रूप समाजवादी या साम्यवादी नहीं बल्कि 'पूंजीवादी' राष्ट्र है।
 
उनकी इस बात में सत्यता दिखाई भी देती है क्योंकि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार चलाने, प्रशासन चलाने और नागरिकों को नियंत्रित करने के लिए भले ही साम्यवादी विचार के तहत तानाशाही व्यवस्था को अपनाया हो, लेकिन आर्थिक मामलों में चीन ने पूर्ण रूप से पूंजीवादी विचार को अपनाया है।
 
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकांश शीर्ष नेता पूंजीपति हैं और बड़ी कंपनियों से उनके सीधे संबंध भी स्थापित हैं। यही कारण है कि चीन की प्रगति के पीछे बेला टार ने पूंजीवाद का नाम लिया है। वहीं साम्यवाद पर अपने विचार को रखते हुए उन्होंने आगे कहा कि कम्युनिस्ट शासक हमेशा से निर्दयी रहें हैं।
 
अपनी इस बात को मजबूती से पेश करते हुए उन्होंने स्टालिन और किम-जोंग-उन जैसे साम्यवादी तानाशाहों का उल्लेख भी किया जिन्होंने अपने शासनकाल में निर्दोषों की जान ली और नागरिक स्वतंत्रता को लगभग समाप्त कर दिया।
 
कम्युनिस्ट नेताओं के लोकलुभावने वादों और बातों को लेकर हंगरी के फिल्मकार ने कहा कि इनके द्वारा ऐसी बातें केवल सत्ता हासिल करने के लिए की जाती है, जहां इन्होंने एक बार सत्ता हासिल कर ली उसके बाद इन विचारों को दफ्न कर दिया जाता है।
बेला टार ने केरल में जिस प्रकार से कम्युनिस्ट विचारकों और नेताओं की पोल खोली है उसे केरल की कम्युनिस्ट सरकार पर 'करारा तमाचा' माना जा रहा है। हालांकि बेला टार ने केरल की कम्युनिस्ट सरकार या सीपीएम पर कोई नकरात्मक टिप्पणी नहीं की है, बल्कि यही कहा है कि उन्हें यह इस फ़िल्म फेस्टिवल में उनकी फिल्मों के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है, ना कि उनकी राजनीति की वजह से।
 
इसके अलावा उन्होंने इस फ़िल्म महोत्सव के आयोजन के लिए केरल की सरकार के प्रति प्रसन्नता भी जाहिर की है। लेकिन इन सब के बीच जिस प्रकार से उन्होंने कम्युनिस्ट सत्ता की भूमि पर कम्युनिस्टों की काली सच्चाई और उनके दूषित विचारों को उजागर किया है, वह वामपंथियों के लिए झटका देने वाला है।