दक्षिण भारत में माओवादियों की नई रणनीति: लड़कियों को संगठन में भर्ती कराने और नया गढ़ स्थापित करने का कर रहे प्रयास

आंध्रप्रदेश ले अलावा दक्षिण भारत के ही केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की त्रिकोणीय सीमा से लगे क्षेत्रों से भी माओवादी गतिविधियों की रिपोर्ट सामने आई है

The Narrative World    21-Dec-2022   
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भारत में आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे में से एक माओवादी आतंक को लेकर भारतीय जांच एवं एजेंसियों ने ऐसे इनपुट्स दिए हैं जो हैरान करने वाले हैं। इन जानकारियों में महत्वपूर्ण बात यह है कि माओवादी आतंकी अपना विस्तार अब दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में करने का प्रयास कर रहे है।
 
दरअसल मध्य एवं पूर्वी भारत के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय सुरक्षाबलों और राज्य की पुलिस फोर्स के बीच उचित तालमेल के चलते माओवादियों के ठिकाने कमजोर होते जा रहे हैं, वहीं इन क्षेत्रों में माओवादियों की पकड़ भी अब पहले की तरह मजबूत नहीं रही है।
 
इसके अलावा छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, झारखंड और बिहार के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की कार्यवाइयों में माओवादी या तो मारे जा रहें या गिरफ्तार हो रहे हैं। इन कार्यवाइयों को देखकर बड़ी संख्या में माओवादियों ने सरेंडर भी किया है।
 
लेकिन इन सब के बीच अपने घटते प्रभाव से विचलित माओवादी दक्षिण भारत के हिस्सों में अपनी पैठ को मजबूत करने के इरादे से विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
 
दरअसल राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने सोमवार को आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा स्थित विशेष कोर्ट में आरोप पत्र दायर करते हुए यह जानकारी दी है कि प्रदेश में माओवादी आतंकी (सीपीआई-माओवादी) अपने संगठन में किशोरियों एवं युवतियों की बड़ी संख्या में भर्ती कर रहे हैं।
 
एनआईए ने अपने इस चार्जशीट में बताया है कि कैसे लड़कियों को पहले माओवादी आतंकी संगठन का समर्थन करने वाले फ्रंटल संगठनों में शामिल किया जाता है, और फिर उन्हें ब्रेनवॉश कर माओवादी संगठन में जोड़ लिया जाता है।
राधा नामक एक लड़की का उल्लेख करते हुए एनआईए ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि उसे पहले चैतन्य महिला संघ (माओवादियों का फ्रंटल संगठन) से जोड़ा गया और फिर धीरे-धीरे उसके दिमाग को कट्टरपंथ से प्रेरित कर माओवादियों की मुख्य टोली में शामिल कर लिया गया।
 
एनआईए के प्रवक्ता से मिली जानकारी के अनुसार जांच में यह जानकारी भी सामने आई है कि राधा को माओवादी संगठन कराने में डोंगरी देवेंद्र नामक माओवादी का हाथ है, जिसका उल्लेख चार्जशीट में भी किया गया है।
 
प्रवक्ता ने बताया कि डोंगरी देवेंद्र ने ही राधा को उपचार के बहाने माओवादी आतंकी उदय एवं अरुणा से मिलाया था, जहां इन दोनों ने मिलकर राधा को प्रतिबंधित माओवादी आतंकी संगठन में शामिल करने के लिए प्रेरित किया।
 
एनआईए को यह जानकारी भी प्राप्त हुई है कि माओवादी आतंकी संगठन ने इन आरोपी माओवादियों के माध्यम से आंध्रप्रदेश में कई लड़कियों को अपने संगठन में शामिल कराया है, जो अभी भी सक्रिय रूप से विभिन्न नक्सल गतिविधियों में शामिल हैं।
इसके अलावा एनआईए प्रवक्ता ने यह भी कहा कि सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यों के नाम पर जिस तरह से भोली-भाली किशोरियों को माओवादियों के फ्रंटल संगठन से जोड़ा जा रहा है, वह गंभीर मामला है और इसमें अन्य माओवादी नेताओं की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
 
आंध्रप्रदेश ले अलावा दक्षिण भारत के ही केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की त्रिकोणीय सीमा से लगे क्षेत्रों से भी माओवादी गतिविधियों की रिपोर्ट सामने आई है। दरसअल इन तीनों राज्यों की त्रिकोणीय सीमा पर माओवादियों के द्वारा अपना नया ठिकाना बनाकर उसे मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।
 
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खुफिया एजेंसियों ने तमिलनाडु पुलिस को इन गतिविधियों को लेकर आगाह भी कर दिया है, जिसके बाद पुलिस भी सतर्क होकर जांच अभियान चला रही है। तीनों राज्यों की सीमा से लगा हुआ यह इलाका सघन वन्य क्षेत्र है, यही कारण है कि माओवादी भी इसे अपना गढ़ बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
 
दरअसल इस क्षेत्र को माओवादियों के लिए पनाहगाह बनाने का प्रयास माओवादी आतंकी रूपेश उर्फ जोगी ने किया था जिसे पुलिस ने वर्ष 2015 में गिरफ्तार कर लिया था। उस दौरान वह पश्चिम घाट स्पेशल जोनल कमेटी का प्रमुख था जिसे उसकी पत्नी समेत 4 लोगों के साथ के साथ कोयंबटूर से गिरफ्तार किया गया था।
 
शीर्ष माओवादी आतंकी के गिरफ्तार होने के बाद इस क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों में कमी देखी गई थी, लेकिन एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों ने इस बात का अनुमान लगाया है कि माओवादी इस पूरे क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं।
 
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब राज्य के लगभग सभी संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस को अलर्ट मोड पर रखा गया है, वहीं ऐसी सूचना भी दी गई है कि माओवादियों के द्वारा युवाओं को लक्षित कर भर्ती अभियान भी आरंभ कर दिया गया है।
 
अपुष्ट जानकारी के अनुसार अभी तक दर्जन भर से अधिक युवाओं को साम्यवाद, मार्क्सवाद और माओवाद की विचारधारा से प्रेरित किया जा रहा है, जिसमें कुछ युवा दक्षिणी जिलों के विधि महाविद्यालयों के भी शामिल हैं।
 
इन सब के अलावा एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया गया है कि आगामी समय में जल्द ही माओवादी समर्थक संगठनों के द्वारा बड़े स्तर पर ईडब्ल्यूएस आरक्षण का भी विरोध किया जाएगा।
 
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए जाने वाले 10 प्रतिशत के आरक्षण के विरोध में बड़ी रैलियां भी निकाली जा सकती है, हालांकि पुलिस इन सभी गतिविधियों को लेकर सतर्क है।
 
माओवादियों की इन गतिविधियों को लेकर विशेषज्ञों का अनुमान है कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने केंद्रीय सुरक्षाबलों को खुली छूट देकर माओवादियों के खात्मे के लिए अभियान चलाया है उससे माओवादी कमजोर पड़े हैं।
 
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भी माओवाद विरोधी अभियान को लेकर कहा गया था कि अब माओवाद प्रभावित राज्यों के बीच बेहतर अंतर-प्रादेशिक समन्वय स्थापित किया जा चुका है।
 
भारत सरकार की ओर से भी आधिकारिक रूप से कहा गया है कि केंद्र ने ऐसे कई कदम उठाए हैं जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियों पर निगरानी के लिए अंतरराज्यीय समन्वय मजबूत हो सके।
 
सुरक्षाबलों एवं एजेंसियों के द्वारा माओवादियों के विरुद्ध चलाए जा रहे इन अभियानों के चलते अब नक्सली पूरी तरह बैकफुट पर आ चुके हैं, यही कारण है कि अब उनके द्वारा उन क्षेत्रों में नए ठिकाने खोजे जा रहे हैं जहां सुरक्षाबलों की मौजूदगी कम है।