इस्लामिक जिहादियों के निशाने पर जनजाति बेटियां !

रांची के सांसद संजय सेठ का कहना है कि पहाड़िया जनजाति बेटी की उसके कथित विधर्मी पति के द्वारा जिस प्रकार से हत्या की गई वह मानवता को शर्मसार करने वाली है

The Narrative World    21-Dec-2022   
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देश के विभिन्न हिस्सों से इस्लामिक जिहादियों के द्वारा जनजाति किशोरियों एवं युवतियों को 'लव जिहाद' का शिकार बनाने और इस्लामिक जिहादी गतिविधियों में शामिल करने संबंधित घटनाएं लगातार सामने आ रहीं हैं। इन सब के बीच झारखंड के साहिबगंज से रुबिका पहाड़िन नामक जनजाति युवती की हत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है।
 
दरअसल जिस तरह दिल्ली में इस्लामिक जिहादी आफताब के द्वारा हिंदु युवती श्रद्धा वॉकर की हत्या कर उसके शव को टुकड़ों में काटकर फेंका गया था, ठीक उसी दरिंदगी की तरह एक घटना झारखंड में भी हुई है।
 
साहिबगंज जिले में इस्लामिक जिहादी दिलदार अंसारी ने जनजाति युवती रुबिका पहाड़िन की हत्या करने के बाद उसके शव के 50 से अधिक टुकड़े कर उसे फेंक दिया था, जिसमें से अभी तक पुलिस ने 18 टुकड़े बरामद किए हैं।
 
अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार इस्लामिक जिहादी अंसारी पहले से विवाहित था, बावजूद इसके अंसारी ने रुबिका को 'लव जिहाद' के जाल में फंसाया और डेढ़ माह पहले ही दोनों ने निकाह किया था।
 
पुलिस की जांच में यह जानकारी भी सामने आई है कि इस हत्याकांड में केवल दिलदार अंसारी ही नहीं, बल्कि उसका परिवार भी शामिल है। जांच के अनुसार इस्लामिक जिहादियों के इस परिवार ने पूरी योजना बनाकर जनजाति युवती की हत्या की है।
पुलिस के अनुसार दिलदार अंसारी के कबाड़ीवाले पिता समेत उसकी माँ और उसके मामा ने मिलकर इस हत्या की योजना बनाई थी। दरसअल बीते 15 दिनों से रुबिका अंसारी के घर पर ही रह रही थी, इस दौरान दिलदार अंसारी की माँ ने अपने भाई से रुबिका को ठिकाने लगाने की बात कही और 20 हजार रुपये में उसने शव को काटकर फेंकने का सौदा किया।
 
यह घटना लव जिहाद का वह अंतिम परिणाम है जिसे देश और समाज में बार-बार देखा जा रहा है, लेकिन बावजूद इसके कोई ठोस करवाई नजर नहीं आ रही है।
 
यह पहला मामला नहीं है जब इस्लामिक जिहादियों द्वारा जनजाति बेटियों को निशाना बनाया जा रहा हो, इससे पूर्व में भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। विशेषकर झारखंड जैसे जनजाति बाहुल्य राज्य में मुस्लिमों के द्वारा लव जिहाद के माध्यम से भोली-भाली जनजाति युवतियों को लक्षित कर शिकार बनाया जा रहा है।
 
साहिबगंज की घटना को लेकर रांची के सांसद संजय सेठ का कहना है कि पहाड़िया जनजाति बेटी की उसके कथित विधर्मी पति के द्वारा जिस प्रकार से हत्या की गई वह मानवता को शर्मसार करने वाली है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन या सीबीआई अथवा एनआईए जांच की भी मांग की है।
 
वहीं इस मामले में झारखंड के एक अन्य सांसद निशिकांत दुबे का कहना है कि जनजाति युवतियों के साथ हो रही इन घटनाओं के पीछे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ है। उन्होंने इस मामले में राज्य सरकार पर भी पक्षपात का आरोप लगाया है।
वहीं हिंदु जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने इस्लामिक जिहादियों की बढ़ती गतिविधियों की बात की और इस घटना के लिए हेमंत सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
 
इन सब के बीच जिस तरह से झारखंड में जिहादी तत्वों की गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है, वह चिंतनीय है। एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में मुस्लिम युवाओं के द्वारा जनजाति युवतियों को प्रेम जाल में फंसाने से लेकर, दुष्कर्म, लव जिहाद और भूमि जिहाद के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
 
जिस साहिबगंज के बोरियो क्षेत्र में रुबिका पहाड़िन की निर्मम हत्या की घटना हुई है, उसी क्षेत्र में बीते एक वर्ष में तकरीबन 100 मुस्लिम युवकों ने स्थानीय जनजाति युवतियों से निकाह किया है, जो क्षेत्र में बढ़ती लव जिहाद की घटना को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।
 
जिस पहाड़िया जनजाति समाज की युवती लव जिहाद का शिकार हुई और इस्लामिक जिहादी के हाथों मारी गई, उस जनजाति की स्थिति और भी बुरी हो चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र के 80 प्रतिशत से अधिक पहाड़िया अपना मत परिवर्तन कर मुस्लिम या ईसाई बन चुके हैं।
 
मुस्लिम युवकों के द्वारा पहाड़िया जनजाति की किशोरियों एवं युवतियों को खासतौर पर निशाना बनाकर उन्हें लव जिहाद का शिकार बनाया जा रहा है, जिसके लिए इन जिहादियों को इस्लामिक समूह से सहायता भी प्राप्त कराई जा रही है।
 
 
लव जिहाद के साथ-साथ भूमि जिहाद
 
 
मुस्लिम युवकों के द्वारा जनजाति युवती को लव जिहाद में फंसाकर उनके 'अनुसूचित जनजाति' के दर्जे का भी दुरुपयोग किया जा रहा है। दरसअल मुस्लिम युवक इन जनजाति युवतियों से निकाह कर उनकी जमीनों पर अपना अधिकार जमा लेते हैं।
चूंकि क्षेत्र की पहाड़ियां जनजाति कृषि पर निर्भर है, अतः उनके पास भूमि की पर्याप्तता है, यही कारण है कि मुस्लिमों के द्वारा पहाड़िया युवतियों को पहले निशाना बनाया जा रहा है।
 
इसके अलावा जनजाति नागरिकों की भूमि को लेकर यह नियम है कि इन्हें केवल जनजाति नागरिकों के द्वारा ही खरीदा जा सकता है, ऐसी परिस्थितियों का भी फायदा उठाकर मुस्लिमों के द्वारा जनजाति युवतियों के नाम पर जमीन खरीदने के लिए उन्हें 'प्रेम जाल' में फंसाया जा रहा है।
 
वर्तमान स्थिति ऐसी हो चुकी है कि क्षेत्र की विभिन्न जनजाति भूमि ऐसे लोगों के हाथों में जा चुकी है जो जनजाति तो नहीं हैं, लेकिन उन्होंने षड्यंत्रपूर्वक भूमि जिहाद के माध्यम से जमीनों को अपने नाम कर लिया है।
 
 
राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास
 
 
मुस्लिमों के द्वारा रचे जा रहे इस लव जिहाद के षड्यंत्र को प्रमुख रूप से ऐसे स्थानों में अंजाम दिया जा रहा है, जो जनजाति बाहुल्य है। दरसअल ऐसे स्थानों में जनजातियों के लिए चुनावी राजनीति में शामिल होने के लिए कुछ सीटें आरक्षित होती हैं, जिसमें पंचायत से लेकर लोकसभा की सीट भी शामिल है।
 
मुस्लिम युवक जनजाति किशोरियों एवं युवतियों को प्रेम जाल में फंसाकर उनसे निकाह करते हैं, और कई बार यह निकाह केवल दिखावटी होता है। इसके बाद क्षेत्र में पंचायत चुनाव में आरक्षित सीटों पर (मुख्यतः जनजाति महिला आरक्षित सीट) उनकी पात्रता का फायदा उठाकर उन्हें चुनाव लड़वाया जाता है, और उनकी राजनीतिक शक्तियों का इस्तेमाल इस्लामिक जिहादी तत्व करते हैं।
 
इसका एक बड़ा उदाहरण रांची के नगरी प्रखंड के टूंडुल उत्तरी पंचायत की मुखिया नीलम तिग्गा बीते 12 वर्षों से ग्राम प्रधान है, जिसने वर्ष 2003 में यूनुस अंसारी से प्रेम विवाह किया था।
 
स्थानीय सूत्रों के अनुसार नीलम तिग्गा ने निकाह के बाद सार्वजनिक रूप से इस्लाम नहीं अपनाया, लेकिन उसे कभी किसी सरना स्थली में पूजा करते नहीं देखा गया, जबकि मस्जिद से उसने कलमा जरूर सीख लिया।
 
स्थानीय लोगों का कहना है कि वह व्यवहारिकता में तो इस्लाम का ही पालन करती है, लेकिन अनुसूचित जनजाति होने की पात्रता का लाभ उठाने के लिए उसने दस्तावेजों में अभी भी खुद का मत परिवर्तन नहीं कराया है।
 
दरसअल झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान समेत विभिन्न हिस्सों में जनजाति बेटियों को लक्षित कर इस्लामिक जिहादियों द्वारा षड्यंत्र रचा जा रहा है, जिसके उदाहरण साहिबगंज जैसे घटनाओं के माध्यम से सामने आते रहे हैं।
 
इस मामले को लेकर जनजाति समाज के भीतर भी गहरी नाराजगी है, और समाज के भीतर चल रहे इस अतिक्रमण को रोकने के लिए योजना भी बना रहे हैं। हालांकि इन सब के बीच सबसे आवश्यक है जनजाति बेटियों को इन दिलदार अंसारी जैसे 'नरपिशाचों' से बचाना जो अपनी जिहादी मानसिकता के साथ हमारे समाज के भीतर पल-बढ़ रहे हैं।