जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में लव जिहाद के बढ़ते प्रकरण बड़े षड़यंत्र का भाग

जहां यह प्रयास सफल हो जाता है वहां संबंधित जनजातीय युवती को मिले विशेष संवैधानिक अधिकारों का लाभ एवं उनके भूमि आदि पर अतिक्रमण बेहद सामान्य है

The Narrative World    30-Dec-2022   
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अभी ज्यादा दिन नहीं बीते जब झारखंड से आई पेड़ पर फंदे से लटकी जनजातीय समुदाय की बेटी की तस्वीर ने देश को झकझोर दिया था, पीड़ित युवती जनजातीय समुदाय से थी जिसे हत्यारे अरमान अंसारी ने दुष्कर्म के उपरांत हत्या कर पेड़ से लटका दिया था, यह घटना जनजातीय बाहुल्य राज्य में हैरान करने वाली थी लेकिन दुर्भाग्य से यह अपवाद नहीं और पिछले कुछ वर्षो में ऐसी दर्जनों घटनाएं जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में लव जिहाद जैसे संगठित अपराध के बढ़ते ग्राफ की ओर इशारा करती है।
 
इस क्रम में अभी हाल ही में झारखंड की ही एक और जनजातीय बेटी रुबिका पहाड़िन की निर्ममता से हुई हत्या सुनियोजित रूप से चलाए जा रहे इस षड़यंत्र का एक और उदाहरण है, झारखंड के मुस्लिम बाहुल्य जिले साहिबगंज में हुए इस निर्मम हत्याकांड का विवरण तो मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला है, पुलिस की जांच में हत्यारे दिलदार अंसारी ने रुबिका की हत्या के उपरांत उसके शव को 50 टुकड़े करने की बात स्वीकारी है।
 
हालिया दिनों में हुई तीसरी घटना छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से है जहां जनजातीय समुदाय की एक और बेटी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई है, यहां युवती लव जिहाद की एकतरफा सनक की शिकार हुई है, जिसकी हत्यारे शाहबाज ने 51 बार पेचकस से गोद कर जान ले ली, अब तक कि जांच में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार हत्यारा शाहबाज युवती पर उससे बात करने का दबाव बना रहा था और युवती के मना करने पर उसने उसकी जान ले ली।
 
जानकारी है कि हत्यारा शाहबाज तीन वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ के जशपुर से कोरबा जाने वाली बस का कंडक्टर था जो युवती पर उससे बात करने और संबंध बनाने का दबाव बना रहा था, हालांकि जब युवती ने शाहबाज से बात करने से मना किया तो वर्तमान में गुजरात मे रह रहा शाहबाज हत्या की योजना से कोरबा पहुंचा और अवसर देख युवती की पेचकस से गोद कर हत्या कर दी, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार शाहबाज ने युवती के सीने पर कुल 34 वार किए थे।
 
जनसंख्या के संतुलन में हो रहा परिवर्तन
 
दरअसल जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में पिछले कुछेक वर्षों से निरंतर घट रही ऐसी घटनाओं का गहराई से अवलोकन करने पर इसके मुख्य कारणों में से एक तो इन क्षेत्रों में तेजी से परिवर्तित हो रही जनसंख्यकी एवं उसके आधार पर हो रहे जनसंख्या का असंतुलन है, इस क्रम में झारखंड के पूर्वी क्षेत्रों एवं छत्तीसगढ़ के कई जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में अवैध घुसपैठियों की बढ़ती जनसंख्या ने लव जिहाद जैसे संगठित अपराध को फलने फूलने की परिस्थितियां निर्मित की हैं।
 
इन क्षेत्रों में आपको ऐसे सैकड़ो उदाहरण मिल जाएंगे जहां लक्षित कर कर जनजातीय समुदाय की युवती के साथ निकाह एवं प्रेम संबंधों को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया हो, जहां यह प्रयास सफल हो जाता है वहां संबंधित जनजातीय युवती को मिले विशेष संवैधानिक अधिकारों का लाभ एवं उनके भूमि आदि पर अतिक्रमण बेहद सामान्य है, जहां ऐसे प्रयास असफल हो रहे वहां रुबिका अथवा कोरबा की निलकुसुम जैसे उदाहरण देखने को मिलते हैं।
 
कई चरमपंथी संगठनों की भी है भूमिका
 
जानकारी है कि सुनियोजित रूप चलाए जा रहे लव जिहाद के इस पूरे षड़यंत्र के पीछे हाल ही में प्रतिबंधित किये गए चरमपंथी संगठन पीएफआई समेत बांग्लादेश से संबंध रखने वाले कुछेक चरमपंथी इस्लामिक संगठनों की अहम भूमिका है जो इन क्षेत्रों में लव जिहाद जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मुस्लिम समुदाय के कुछेक युवाओं को आवश्यक सहायता भी उपलब्ध कराता है।
 
हालांकि इस क्रम में सबसे आश्चर्यजनक आचरण तो झारखंड एवं छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की राज्य सरकारों का रहा है जो तुष्टिकरण एवं वोट बैंक की नीति के चलते ना केवल ऐसे सुनियोजित अपराधों पर मूक दर्शक बने बैठें है अपितु गाहे बगाहे आवश्यकता पड़ने पर इनका पूरा अमला इन्ही अपराधियों के पक्ष में ही खड़ा दिखाई देता है।
 
जहां तक प्रश्न जनजातीय समुदाय की बेटियों का है तो उन्हें यह समझना होगा कि जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रो में निरंतर घट रही यह घटनाएं कोई इक्का दुक्का घटित होने वाली आपराधिक नहीं अपितु सुनियोजित षड़यंत्र का हिस्सा हैं जिनका अंतिम लक्ष्य इन क्षेत्रों की जनसंख्यकी में परिवर्तन तथा जनजातीय समुदाय के सामाजिक ताने बाने में सेंधमारी का है।