विदेशी कॉमरेड को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) की श्रद्धांजलि, संगठन छोड़ रहे देशी कॉमरेड, झारखंड में कुख्यात अमन गंझू का आत्मसमर्पण

दरअसल सीपीआई की केंद्रीय कमेटी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सिसान को महान दार्शनिक, कवि, क्रांतिकारी एवं जनवादी नेता बताते हुए उन्हें मार्क्स, ऐंगल्स, लेनिन, स्तालिन एवं माओ के उग्र कम्युनिस्ट विचारों को व्यवहारिक रूप देने वाला करार दिया है

The Narrative World    30-Dec-2022   
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aman ganjhu
 
 
भले ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) - सीपीआई(एम) भारत में अब केवल कुछेक जिलों में सिमट गई है पार्टी स्वयं को कथित समाजवादी विचारधारा (अतिवादी कम्युनिस्ट विचार) की महत्वपूर्ण वैश्विक इकाई मानते आई है, इसी क्रम में अभी हाल ही में फिलीपींस के माओवादी नेता सिसान की मौत पर श्रद्धांजलि देते हुए पार्टी ने एक बार फिर यही प्रमाणित किया कि भारत में अपने संघर्ष को मोटे तौर पर जनजातीय समुदाय के जल जंगल एवं जमीन का संघर्ष बताने वाली पार्टी का वास्तविक उद्देश्य देश मे हिंसा के जोर पर अतिवादी कम्युनिस्ट विचारधारा को ही लागू करना है।
 
दरअसल सीपीआई की केंद्रीय कमेटी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सिसान को महान दार्शनिक, कवि, क्रांतिकारी एवं जनवादी नेता बताते हुए उन्हें मार्क्स, ऐंगल्स, लेनिन, स्तालिन एवं माओ के उग्र कम्युनिस्ट विचारों को व्यवहारिक रूप देने वाला करार दिया है, अपनी विज्ञप्ति में विश्व मे करोड़ो लोगों की हत्याएं करने वाली कम्युनिस्ट विचार की प्रशंसा में कसीदे गढ़ते हुए कमेटी ने लिखा कि विश्व के सभी माओवादी विचारधारा के दलों को आपस मे भाईचारा रखते हुए कथित समाजवादी विचार को आगे बढ़ाना चाहिए।
 
हालांकि दो पन्नो की अपनी इस विज्ञप्ति में कॉमरेड सिसान को श्रद्धांजलि देते हुए सीपीआई के प्रवक्ता यह बताने में असमर्थ दिखे कि यदि विश्व के कल्याण का मार्ग इस कथित उग्र समाजवादी (कम्युनिस्ट) विचार के माध्यम से ही होना है तो फिर ऐसा क्यों है कि कभी अपने उभार के काल में लगभग 50 से अधिक देशों में प्रभाव रखने वाली कम्युनिस्ट विचारधारा वर्तमान में केवल गिनती के 4-5 देशों तक सिमट गई है, ऐसा क्यों है कि जहां कहीं भी इस विचारधारा ने सत्ता कब्जाई वहां दशकों बर्बर नरसंहारों का क्रम अनवरत जारी रहा, और ऐसा क्यों है कि विश्व के जिन लोकतांत्रिक देशों में छिटपुट रूप से यह अपना प्रभाव रखती है वहां इस हिंसक विचार से सबसे ज्यादा पीड़ित वहां के वंचित समाज के वही निर्दोष नागरिक हैं जिनके शुभचिंतक होने का यह दंभ भरते आए हैं।
 
तो दरअसल वास्तविकता तो यही है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस युग मे करोड़ो लोगों के नरसंहारों से रक्तरंजित कम्युनिस्ट विचार का स्याह चेहरा बहुत हद तक उजागर हो चला है, प्रौद्योगिकी की इस 21वीं शताब्दी की नवीन पीढ़ी को यह बखूबी भान हो चला है कि विश्व के जिन गिने-चुने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों एवं कला निकायों में कुछेक तथाकथित बुद्धिजीवी मार्क्स, स्टालिम एवं माओ को देवता बनाकर पूजने का उपदेश देते रहे हैं वास्तविकता में उनके हाथ करोड़ो निर्दोष लोगों के खून से रंगे है।
 
हालांकि उस से भी बेहतर तो यह है कि वैचारिक स्तर पर हो रहे इस परिवर्तन का असर जमीन पर उन समुदायों पर भी बखूबी दिख रहा है जिनको ढ़ाल बनाकर ये कथित क्रांतिकारी अपनी आदर्शरहित समाजवादी (कममुनिस्ट) क्रांति का ढ़ोल पीटते रहे हैं, भारत की बात करें तो यहां यह परिवर्तन प्रत्यक्ष दिखाई देता है जहां बीते कुछ वर्षो में ही हजारों माओवादियों ने हिंसक विचार को छोड़कर मुख्यधारा की राह चुनी है।
 
कुख्यात माओवादी अमन गंझू ने किया आत्मसमर्पण
 
इस क्रम में नवीन उदाहरण झारखंड के कुख्यात माओवादी अमन गंझू का है जिसने बुधवार को हिंसा का मार्ग छोड़ते हुए झारखंड पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। गंझू के विरुद्ध झारखंड के विभिन्न थानों में कुल 17 नामजद अपराध पंजीकृत है जिसको लेकर पुलिस वर्षो से उसकी तलाश कर रही थी, इस क्रम में पुलिस ने उस पर 15 लाख का इनाम भी घोषित किया था।
 
बता दें कि अमन गंझू सीपीआई (एम) में रीजनल कमांडर के पद पर तैनात था जिसे सीपीआई माओइस्ट के कोयल शंख जोन में संगठन के विस्तार का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा गया था, अमन बिहार के औरंगाबाद जिले के ढिबरा गांव का निवासी थी जो पिछले 18 वर्षों से नक्सल संगठन में सक्रिय था। झारखंड पुलिस के अतिरिक्त अमन राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (एनआईए) के वांछितों की सूची में था जिस पर एजेंसी ने चार लाख का इनाम घोषित किया था।
 
ज्ञात हो कि झारखंड राज्य में सुरक्षाबलों द्वारा माओवादियों के विरुद्ध निरंतर अभियान चलाया जा रहा है जिसमें केवल वर्ष 2022 में ही 30 माओवादियों को मार गिराया गया है जबकि इसी कालावधि में सुरक्षाबलों ने कुल 1300 नक्सलियों को गिरफ्तार भी किया है, गिरफ्तारी एवं मुठभेडों के अतिरिक्त राज्य में सुरक्षाबल नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं जिससे प्रभावित होकर अमन गंझू समेत इस वर्ष में ही अब तक कुल 13 कुख्यात माओवादियों ने आत्मसमर्पण की राह चुनी है।