धुर माओवाद प्रभावित अंचल बस्तर में 8 इनामी सहित 10 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, ढह रहा है संगठनात्मक ढांचा 

यह सभी माओवादी छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में सक्रिय थे जिन्होंने माओवादियों की खोखली विचारधारा को छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है

The Narrative World    10-Jan-2023   
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dantewada

छत्तीसगढ़ के धुर माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों को जबरदस्त सफलता मिली है, जानकारी है कि जिला प्रशासन एवं सुरक्षाबलों की साझा भागेदारी से चलाए जा रहे लोन वरातू ( गोंडी में घर वापस आने की अपील) से प्रभावित होकर 8 इनामी समेत कुल 10 माओवादियों (कम्युनिस्ट आतंकियों/नक्सलियों) ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।
 
यह सभी माओवादी छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में सक्रिय थे जिन्होंने माओवादियों की खोखली विचारधारा को छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में से 8 माओवादी ऐसे हैं जिन पर राज्य सरकार द्वारा इनाम घोषित था। इन सभी ने राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही पुनर्वास योजना से जुड़कर समाज में अपना सकारात्मक योगदान देने की इच्छा व्यक्त की है।
 
आत्मसमर्पण करने वाले सदस्यों में से ज्यादातर सदस्य माओवादी संगठन सीपीआई (एम) में मिलिशिया सदस्य के रूप में सक्रिय थे जिन पर विभिन्न थाना क्षेत्रों में दर्जनों नामजद प्रकरण दर्ज हैं। आत्मसमर्पण करने वाले सदस्यों में मिलिशिया प्लाटून कमांडर बण्डी उर्फ कोल्ला मड़काम (30) भी शामिल है जिसके विरुद्ध अरनपुर थाने में अपराध पंजीकृत है।
 
अन्य सदस्यों की पहचान बुधरा कश्यप (36), देवा कश्यप (31), मासा (30), नंदा मंडावी (31), सोना मड़काम (53), हेमंत कवासी (26), दुड़वा कोराम (30), मासा मंडावी (20), लखमा मंडावी (31) एवं भीमा मंडावी (33) के रूप में की गई है, यह सभी मलेंगर एरिया कमेटी में मिलिशिया सदस्य के रूप में सक्रिय थे और अरनपुर थाना क्षेत्र के निवासी हैं।
 
माओवादियों द्वारा यह आत्मसमर्पण बस्तर रेंज के उप पुलिस महानिरीक्षक कमलोचन कश्यप, दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष किया गया है। इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इन सभी माओवादियों को 'लोन वरातू' अभियान के तहत पुनर्वास में यथासंभव सहायता की जाएगी।
 
ज्ञात हो कि सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे लोन वरातू अभियान से प्रभावित होकर बड़े पैमाने पर स्थानीय माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण की राह चुनी है और अब तक इस अभियान में 145 इनामी माओवादी समेत कुल 578 नक्सली सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
 
बता दें कि सुरक्षाबलों द्वारा राज्य में माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में कॉम्बिंग अभियान चलाए जाने के साथ ही शासन के सहयोग से स्थानीय माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण एवं धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति देने में अहम भूमिका निभाई जा रही है।
 
इस क्रम में केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में माओवाद के मोर्चे पर विकास एवं प्रहार की समानांतर चल रही रणनीति का व्यापक प्रभाव भी हुआ है परिणामस्वरूप इन धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में जहां एक ओर माओवादियों के संगठनात्मक ढांचा निरंतर कमजोर हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर सुरक्षाबलों की पकड़ इन क्षेत्रों में निरंतर बढ़ रही है।
 
बता दें कि यह रणनीति माओवादियों के गढ़ माने जाने वाले बस्तर में जमीनी स्तर पर व्यापक परिवर्तन लाने में सफल होते हुई दिखाई दे रही है जिसकी पुष्टि आंकड़े भी कर रहे हैं, बीते वर्ष की ही बात करें तो केवल बस्तर संभाग में ही हुए 62 मुठभेडों में कुल 32 माओवादियों को मार गिराया गया है जबकि इसी दौरान सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव एवं 'लोन वरातू' जैसे अभियानों से प्रभावित होकर कुल 478 माओवादियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर, मुख्यधारा की राह चुनी है।
 
यह आंकड़े इस बात को प्रमाणित करते हैं कि बस्तर संभाग में सुरक्षाबलों के साथ हुई प्रत्यक्ष मुठभेडों में ना केवल माओवादियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है अपितु उनका संगठनात्मक ढांचा भी बेहद तेजी से बिखर रहा है हालांकि इन सब के बीच एक तथ्य यह भी है कि इस दौरान बौखलाए नक्सलियों ने अपनी खीज निर्दोष ग्रामीणों पर निकाली है और बीते कुछ महीनों में ही बस्तर क्षेत्र में माओवादियों ने दो दर्जन से भी अधिक ग्रामीणों की बर्बरता से हत्या की है।
 
सुरक्षाबलों से प्रत्यक्ष संघर्ष से बच कर ग्रामीणों को निशाना बनाए जाने की यह घटनाएं कायराना है पर माओवादियों का यह आचरण नया नहीं बहुत हद तक इनकी यह कायराना करतूत उस दिए कि तरह दिखाई देती है जो बुझने से पहले जोर से फड़फड़ाता दिखाई पड़ता है।