छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के अंत की शुरुआत ?

"कोबरा" समेत सीमावर्ती तेलंगाना के विशेष नक्सल रोधी बल ग्रेहोउंड्स की अगुवाई में चलाए गए इस वृहद अभियान में माओवादियों को बड़ा नुकसान पहुंचा है

The Narrative World    12-Jan-2023   
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लगभग तीन दशकों से अधिक समय से माओवाद (नक्सलवाद/कम्युनिस्ट आतंक) का दंश झेल रहे छत्तीसगढ़ में बुधवार को सुरक्षाबलों ने माओवादियों के विरुद्ध बड़ी कार्यवाई की है। जानकारी के अनुसार सीआरपीएफ की नक्सल रोधी एलीट बटालियन "कोबरा" समेत सीमावर्ती तेलंगाना के विशेष नक्सल रोधी बल ग्रेहोउंड्स की अगुवाई में चलाए गए इस वृहद अभियान में माओवादियों को बड़ा नुकसान पहुंचा है। सूचना के अनुसार छत्तीसगढ़ के धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्र सुकमा एवं उससे लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में चलाए गए इस अभियान की तैयारी कई महीनों से की जा रही थी, जिसके उपरांत बुधवार को सुकमा के पामेड़ क्षेत्र में माओवादियों की वास्तविक लोकेशन की जानकारी सुनिश्चित होने पर इसे अंजाम दिया गया है।
 
जानकारी है कि यह अभियान पामेड़ समेत दोरली मेटागुड़ा क्षेत्र में चलाया गया है, यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के सुकमा एवं बीजापुर जिले के साथ ही तेलंगाना के क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है और दोनों जिलों समेत तेलंगाना के ट्राई जंक्शन पर स्थित है जिसकी पहचान दशकों से माओवादियों के गढ़ के रूप में रही है। जानकारी के अनुसार घने जंगलों वाले इस क्षेत्र में ही प्रतिबंधित माओवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया - सीपीआई (एम) की सैन्य इकाई पीएलजीए की बटालियन संख्या 1 लंबे समय से सक्रिय है, इस बटालियन को माओवादियों की सबसे सशक्त बटालियन माना जाता है जिसकी अगुवाई खूंखार नक्सली एवं सीपीआई-एम की केंद्रीय कमेटी का सबसे युवा सदस्य मड़ावी हिडमा करता है।
 
कौन है मड़ावी हिडमा
 
दरअसल 41 वर्षीय मड़ावी हिडमा वर्ष 2021 में सुरक्षाबलों पर हुए बीजापुर एवं वर्ष 2013 में हुए दरभा घाटी हमले समेत कई घातक हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है जिसपर राज्य सरकार द्वारा 40 लाख रुपए का इनाम घोषित है। जानकारी है कि कड़ी सुरक्षा एवं पीएलजीए की सबसे सशक्त बटालियन की अगुवाई करने वाले हिडमा को लेकर सुरक्षाबलों द्वारा कई महीनों से सूचना एकत्रित की जा रही थी जिसके उपरांत इस अभियान को अंजाम दिया गया है।
 
सूचना के अनुसार इस अभियान को बुधवार सुबह 6 बजे से शुरू किया गया जिसमें सुरक्षाबलों द्वारा जवानों को फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस पर ले जाने के लिए एमआई हेलीकॉप्टरों का भी उपयोग किया गया है। सूत्रों के अनुसार हेलीकॉप्टरों द्वारा जवानों को लाने ले जाने के क्रम में नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों के हेलीकाप्टरों को निशाना भी बनाया गया जिसका सुरक्षाबलों द्वारा भी जोरदार जवाब दिया गया, जानकारी है कि इस दौरान हुई मुठभेड़ में पॉयलट समेत 6 जवान घायल हो गए जिसके उपरांत एडागुड़ा बेस पर हेलीकॉप्टर की आपात लैंडिंग करनी पड़ी।
 
वहीं देर शाम इस संबंध में बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बयान जारी कर के बताया कि इस अभियान में सुरक्षाबलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और सभी जवान सुरक्षित है। वहीं इस अभियान के संबंध में देर शाम माओवादियों ने भी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सुरक्षाबलों पर आरोप लगाया है।
क्या एयर स्ट्राइक हुई ?
 
सूचना के अनुसार माओवादियों ने देर शाम विज्ञप्ति जारी कर सुरक्षाबलों पर एयर स्ट्राइक करने का आरोप मढ़ा है, इस संदर्भ में माओवादियों की दक्षिण बस्तर डिवीज़न की प्रवक्ता गंगा ने विज्ञप्ति में बताया कि सुरक्षाबलों द्वारा माओवादियों के ठिकाने को लक्षित कर के एयर स्ट्राइक्स की गई है। प्रेस विज्ञप्ति में माओवादियों ने दावा किया कि सुरक्षाबलों द्वारा मेटागुड़ा, रासापल्ली, साकिलेर, समेत एड़ापाड़ में लक्षित कर के सैकड़ो बम गिराए गए हैं।
 
हालांकि माओवादियों के इस दावे पर अब तक सुरक्षाबलों द्वारा कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं कि गई है और देर शाम तक सुरक्षाबलों की ओर से इस अभियान से संबंधित कोई भी विस्तृत जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई है।
 
दरअसल इस क्षेत्र में डेरा डाले बैठे माओवादी लंबे समय से सुरक्षाबलों द्वारा ड्रोन हमले एवं एयर स्ट्राइक्स का आरोप मढ़ते आ रहे है जबकि सुरक्षाबलों द्वारा अब तक ऐसे किसी भी एयर स्ट्राइक्स को कोरी कल्पना बताकर इसे माओवादियों के दुष्प्रचार का भाग बताया गया है। हालांकि बावजूद की ऐसी किसी स्ट्राइक्स को लेकर अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। इतना अवश्य है कि यह अभियान इस क्षेत्र में माओवादियों के विरुद्ध चलाए गए अब तक के बड़े अभियानों में से एक है।
 
गृहमंत्री का बयान
 
वहीं अब सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए इस अभियान के बाद इसे हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा माओवादियों के विरुद्ध दिए गए बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है, दरअसल अभी बीते शनिवार को ही गृहमंत्री ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले देश को नक्सलवाद के दंश से मुक्त कराने की बात कही गई थी जिसके बाद उनके गढ़ में ये वृहद अभियान चलाया गया है।
 
जानकारी के अनुसार इस अभियान को माओवादियों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के तर्ज पर देखा जा रहा है जिसमें विदेशी विचारधारा की कसमें खा कर जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में रक्तपात एवं बर्बरता करने वाले माओ के सिपाहियों को भारी नुकसान होने का अनुमान जताया जा रहा है।
 
क्या मारा गया मड़ावी हिडमा
 
वहीं इस वृहद अभियान को लेकर खूंखार माओवादी कमांडर मड़ावी हिडमा के मारे जाने की भी खबर सामने आ रही है हालांकि अब तक इस संदर्भ में बस्तर अंचल के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं कि गई है, हालांकि दिलचस्प रूप से हैदराबाद पुलिस द्वारा इस अभियान के दौरान हुई मुठभेड़ के दौरान हिडमा समेत चार माओवादियों के मारे जाने की पुष्टि की गई है जिसके बाद से आशंकाओं का बाज़ार गर्म हो चला है।
 
दरअसल इस क्षेत्र को माओवाद मुक्त कराने के क्रम में मड़ावी हिडमा का मारा जाना निर्णायक बताया जाता है जिसको लेकर सुरक्षाबलों द्वारा भी विशेष अभियान चलाए जाते रहे हैं और यदि आने वाले दिनों में हिडमा के मारे जाने अथवा गिरफ्तार होने की पुष्टि हो जाती है तो यह दंडकारण्य क्षेत्र (बस्तर संभाग) में कम्युनिस्ट आतंकियों के विरुद्ध सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता प्रमाणित होगी।
 
क्या है जमीनी वास्तविकता
 
इसमें संशय नहीं कि बीते वर्षों में केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में चलाए जा रहे माओवाद विरोधी अभियानों एवं साथ ही माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर किये जा रहे विकास कार्यों से जमीनी वास्तविकता तेजी से परिवर्तित हुई है और जहां एक ओर झारखंड और ओड़िशा में माओवादियों के गढ़ माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ एवं स्वाभिमान अंचल जैसे क्षेत्रों को माओवाद के दंश से मुक्त करा लिया गया है तो वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में यह संघर्ष निर्णायक स्थिति में है जहां उन्मादी क्रांति की सनक में हजारों निर्दोषों की हत्याएं करने वाले माओवादियों को अपने अस्तित्व बचाने का संघर्ष करना पड़ रहा है।
 
जमीन पर तेजी से अपना आधार एवं स्थानीय कैडरों का समर्थन खो रहे माओवादियों की बेचैनी को ऐसे भी समझा जा सकता है कि दशकों बंदूक की शक्ति से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बदलकर कम्युनिस्ट तानाशाही स्थापित करने का दंभ भरने वाले माओवादी अब विज्ञप्ति जारी कर सुरक्षाबलों पर एयर स्ट्राइक्स करने का आरोप मढ़ रहे हैं।
 
दरअसल दशकों पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा शांति एवं हिंसा रोकने के लिए पुचकारे जाने के क्रम में माओवादी यह भूल गए थे कि जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में युवाओं को बरगला कर देश के विरुद्ध युद्ध का जो बिगुल उन्होंने फूंक रखा है एक ना एक दिन उसका अंत ऐसे ही होना था। उन्हें अब यह भलीभांति समझना होगा कि 21वीं सदी के नए भारत में अपने ही नागरिकों को विदेशों से मिले वित्तीय सहायता के बल पर देश के विरुद्ध हथियार उठाने एवं निर्दोषों के नरसंहारों के लिए प्रेरित करने का यह कुकृत्य जो वो रचते आए हैं उसके दिन अब लद चुके और दशकों तक राजधानी दिल्ली से लेकर सुदूर जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में चलाई गई उनकी परिपाटी का अंत अब समीप है। आसान शब्दों में "द पार्टी इस ओवर कॉमरेड यु शुड बेटर एक्सेप्ट इट।"