सैटलाइट तस्वीरों से खुलासा: चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का झूठ पकड़ाया, चीन में कोरोना से हो रही बेहिसाब मौतें

बाजार, सड़क एवं परिवहन सामान्य होने के बाद चीन में तेजी से कोरोना विस्फोट देखा गया और एकाएक संक्रमितों की सुनामी आ गई

The Narrative World    12-Jan-2023   
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China corona scare 
 
दुनिया को कोरोना महामारी के संकट में डालने वाला चीन अब खुद उसकी चपेट में आ चुका है। बीते कुछ महीनों से चीन में महामारी का विकराल रूप दिख रहा है, जिसके चलते ना सिर्फ आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है, बल्कि लाखों की संख्या में लोग मारे जा रहे हैं।
 
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी कोरोना से मरने वाले चीनी नागरिकों से जुड़े तमाम आंकड़ों एवं सबूतों को पूरी तरह से मिटा रही है, जिससे उसकी नाकामी दुनिया के सामने ना आ सके। हालांकि इतने षड्यंत्रों के बाद भी चीनी कम्युनिस्ट सरकार की पोल खोलती हुई कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें चीन में कोरोना से मरने वाले लोगों से जुड़ी जनकारियों के संकेत हैं।
 
यह तस्वीरें सैटेलाइट सी ली गईं हैं, जिसमें यह देखा जा सकता है कि चीन में मरने वालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के चलते बीजिंग समेत चीन के तमाम शहरों में नये श्मशान घाट निर्मित किए गए हैं।
 
दरअसल मैक्सर टेक्नोलॉजीज़ की ओर से साझा किए गए तस्वीरों में यह जानकारी सामने आई है कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने हाल ही में बीजिंग सीमा से सटे हुए क्षेत्र में नये श्मशान घाट का निर्माण किया है। सिर्फ इतना ही नहीं, इस श्मशान घाट के पास गाड़ियों की लंबी कतारें भी देखी जा सकती हैं।
 
गौरतलब है कि सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार ऐसी परिस्थिति केवल बीजिंग में ही नहीं, बल्कि कुन्मिंग, नानजिंग, चेंगदू, तांगशान और हुझोउ जैसे शहरों में भी देखी जा रही है। स्थितियां ऐसी हो चुकी है कि कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के किए घंटों का 'वेटिंग पीरियड' चल रहा है, साथ ही बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों में मारे जा रहे हैं।
 
इतनी विकट परिस्थितियों के बाद भी चीनी कम्युनिस्ट सरकार आंकड़ों को छिपाने में लगी हुई है। लाखों केस और हजारों मौतें प्रतिदिन आने के बाद भी चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने दावा किया है कि चीन में अब तक केवल 5,200 लोगों की मौत कोरोना से हुई है।
 
लेकिन चीन के इस दावे की पोल तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, पत्रकारों एवं मीडिया रिपोर्ट्स समेत शोधकर्ताओं एवं चिकित्सा विशेषज्ञों ने खोली हुई है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का मानना है कि एक तरफ जहां चीन कुल 5000 हजार मौतें बता रहा है, वहीं सच्चाई यह है कि प्रतिदिन चीन में 5000 से अधिक मौतें हो रही है। चीनी कम्युनिस्ट सरकार जिस प्रकार से विश्व को गुमराह करने का कार्य कर रही है, यह सम्पूर्ण विश्व के बड़ी चुनौती बन सकता है।
 
दरसअल जब 3 वर्ष पूर्व कोरोना महामारी ने पहली बार दस्तक दी थी, तब भी चीन ने आंकड़ों को छिपाने का कार्य किया था। चीन ने पहले तो कोरोना वायरस के फैलाव को ही दबाने का कार्य किया और फिर उसके बाद कोरोना से जुड़ी तमाम जानकारियों को पूरी तरह सेंसर कर दिया।
 
चीनी कम्युनिस्ट सरकार के इन गतिविधियों के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत दुनिया के तमाम देश इस निश्चिंतता में रहे कि यह वायरस किसी महामारी का रूप नहीं लेगा, लेकिन चीन की साजिश के कारण पूरी दुनिया महामारी के चपेट में आ गई।
 
चीनी कम्युनिस्ट सरकार एक बार फिर वही षड्यंत्र कर रही है, जो उसने तीन वर्ष पूर्व किया था। एक बार फिर आंकड़ें छिपाएं जा रहे हैं। नये कोरोना के वेरिएंट्स आने की खबरों के बीच चीन ने अभी तक पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं कराएं हैं।
 
यही कारण है कि अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चीनी दावों पर संदेह करना शुरू कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को यह बयान दिया है कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा मौतों की संख्या बेहद कम बताई जा रही है।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड-19 तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव ने कहा है कि चीन से आ रही जानकारियों में अत्यधिक खामियां हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के विशेषज्ञों ने कहा है कि चीन के द्वारा कोरोना से मरने वालों के आंकड़ें छिपाए जा रहे हैं। कुछ समय पूर्व एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें यह कहा गया था कि चीन की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी कोरोना से संक्रमित हो सकती है, जो हालात अत्यधिक बुरे होने की स्थिति में 80 से 90 प्रतिशत तक भी जा सकती है।
 
कोरोना का कहर चीन के किसी एक या दो बड़े शहरों तक भी सीमित नहीं है, इसका विस्तार शंघाई से लेकर चेंगदू और अन्य तमाम बड़े शहरों में देखा जा सकता है। इसके अलावा कोरोना से मरने वाले लोगों से जुड़े आंकड़ों को छिपाने के लिए चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने विभिन्न षड्यंत्रकारी रणनीतियां अपनाई है, जिसके माध्यम से वह आम जनता तक वास्तविक जानकारियों को पहुंचने से रोक रही है।
 
मिली जानकारी के अनुसार चीनी कम्युनिस्ट सरकार कोरोना से मरने वाले लोगों के आंकड़ें छिपाने के लिए मृतक के परिजनों से एक गुप्त फॉर्म में हस्ताक्षर करवा रही है, जिसमें कहा गया है कि उनके परिजन की मौत कोरोना से नहीं हुई है। इन सब के अलावा चीनी कम्युनिस्ट प्रशासन ने विभिन्न शवदाह गृहों में नोटिस जारी कर कहा है कि वहां कार्य करने वाले किसी भी कर्मचारी को मीडिया एवं सोशल मीडिया में स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले लोगों से कोई बात भी नहीं करनी है।
 
दरअसल बीते दिसंबर में ही आम जनता के विरोध से घबराकर चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने अपनी शून्य कोविड नीति में ढील बरती थी, जिसके बाद कोरोना से जुड़ी पाबंदियां हटा दी गई थीं। बाजार, सड़क एवं परिवहन सामान्य होने के बाद चीन में तेजी से कोरोना विस्फोट देखा गया और एकाएक संक्रमितों की सुनामी आ गई।
 
कोविड के बढ़ते मामलों के बाद भारत समेत दुनियाभर के कई देशों ने चीन से आने वाले नागरिकों पर कुछ प्रतिबंध लगाए एवं प्रोटोकॉल के निर्देश जारी किए, जिसके बाद चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने अपनी नाराजगी भी व्यक्त की थी।
 
इसके अलावा ऐसी जानकारी भी सामने आई थी कि चीन ने कोविड से होने वाली मौतों को लेकर अपने नियमों एवं मापदंडों में भी भारी परिवर्तन किए हैं। नियमों में बदलाव के बाद केवल उन मरीजों को कोरोना से मृत माना जा रहा है जो कोरोना संक्रमित होने के बाद निमोनिया या रेस्पिरेट्री से मारे गए हैं।
 
चीन के विभिन्न अस्पतालों में मरीजों को रखने के लिए बिस्तरों की कमी हो चुकी हैं, वहीं ऐसी खबरें भी आई हैं कि चीन में दवाइयों की भी अपर्याप्तता है।
 
ऐसी परिस्थितियों में भी चीनी कम्युनिस्ट सरकार ना सिर्फ आंकड़ों को छिपा रही है, बल्कि नये वेरिएंट्स से संबंधित जानकारी हो या वायरस के फैलाव का कोई डेटा हो, इन सभी को सेंसर किया जा रहा है।