चीन: डोकलाम विवाद के बाद से भारतीयों को बनाया जा रहा निशाना, कम्युनिस्ट सरकार से लेकर मीडिया और पुलिस मामले को कर रही अनदेखा

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन में मौजूद भारतीयों को सॉफ्ट टारगेट की तरह देख रही है।

The Narrative World    15-Jan-2023   
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वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेना के बीच डोकलाम में विवाद की स्थिति निर्मित हुई थी, इस दौरान भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए चीनी कम्युनिस्ट सेना को पूरे क्षेत्र से खदेड़ दिया था। इस घटना का असर चीन में भी देखा गया।
 
चीन में कम्युनिस्ट सरकार अपनी रणनीतिक एवं कूटनीतिक हार से तिलमिला उठी थी, लेकिन इस घटना ने चीन में रहने वाले भारतीयों के लिए एक बड़ा संकट पैदा कर दिया। इस घटना के बाद चीन में भारतीयों को निशाना बनाया गया, भारतीयों से यह कहकर हिंसा की गई कि 'तुम्हारा देश हम पर हमला कर रहा है।' हालांकि इसके पीछे कम्युनिस्ट अधिकारियों एवं रणनीतिकारों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन बावजूद
 
इसके भारतीयों पर किए गए लगातार हमलों को चीनी मीडिया ने कोई खास तरजीह नहीं दी।
एक निजी मीडिया की रिपोर्ट में बीजिंग स्थिति भारतीय दूतावास में कार्य करने वाले एक व्यक्ति के हवाले से यह जानकारी भी सामने आई थी कि डोकलाम विवाद के बाद भारतीय मूल के लोग चीन में अपनी पहचान छिपाने के लिए मजबूर थे।
 
भारतीय मूल के कर्मचारियों का कहना था कि उनके बच्चे जो बीजिंग विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं, उन्हें लेकर दिन भर चिंता बनी रहती थी। यह सबकुछ सिर्फ इसलिए हो रहा था क्योंकि भारतीय सेना ने चीनी कम्युनिस्ट सेना को अतिक्रमण से रोक उसे अपनी सीमा की ओर खदेड़ दिया था।
 
कुछ समय पूर्व ही चीन के गवांझू शहर के मेट्रो का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें स्थानीय भीड़ के द्वारा दो युवकों की पिटाई की जा रही थी। मेट्रो के भीतर एक सामान्य बहस ने हाथापाई का रूप ले लिया था, जिसके बाद यह हिंसा की घटना देखने को मिली थी।
 
इस घटना के बाद यह जानकारी आई कि जिन लोगों की चीनी समूह के द्वारा पिटाई की गई, वो दोनों भारतीय थे। चीनी नागरिकों ने उन दोनों युवकों के साथ मारपीट करने के बाद उन्हें मेट्रो से बाहर की ओर धक्का दे दिया था, इसके बाद भी प्लेटफॉर्म में भी उनके साथ हिंसा जारी रही।
 
इस दौरान मेट्रो स्टेशन का सुरक्षाकर्मी घटनास्थल पर मौजूद था, बावजूद इसके उसने इस मारपीट को रोकने से परहेज किया। अक्टूबर 2022 में हुई घटना का वीडियो व्यापक रूप से वायरल होने के बाद भी पिटाई करने वालों पर क्या कार्रवाई की गई, इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई। साथ ही पीड़ित भारतीयों के साथ आगे क्या हुआ, इसका भी कोई अपडेट नहीं है।
 
दरअसल भारतीय मूल के लोगों के साथ ऐसी घटनाएं चीन में लगातार हो रही है। डोकलाम विवाद के बाद शुरू हुआ यह सिलसिला गलवान हिंसा और उसके बाद भारत की ओर से दिए जा रहे एक के बाद एक कूटनीतिक मात के बाद बढ़ता ही जा रहा है।
 
भारतीयों पर हो रहे हमले को लेकर चीन में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों का कहना है कि चीनी मीडिया भी भारतीयों के साथ हो रही हिंसा की घटनाओं को दबा रही है। सिर्फ मीडिया ही नहीं, बल्कि चीनी पुलिस ने भी भारतीयों पर हो रहे हमले पर चुप्पी साध ली है, और कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है।
 
चीन में पढ़ाई कर रहे भारतीय मूल के एक युवक ने भारत के एक समाचार पत्र से बात करते हुए बताया कि उनके एक मित्र के साथ कुछ समय पूर्व हिंसा की घटना हुई थी, लेकिन इस मामले में पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया और ना ही मीडिया ने इस मामले को उठाने की आवश्यकता समझी।
 
भारतीयों पर लगातार हो रहे इन हमलों के बाद चीन में मौजूद भारतीय दूतावास ने भी हमलों से जुड़े तमाम आंकड़ों को एकत्रित करना शुरू कर दिया है। दूतावास से सामने आए आंकड़ों के अनुसार केवल सितंबर 2022 से लेकर दिसंबर 2022 के बीच, 4 माह में 50 से अधिक ऐसे मामले आ चुके हैं जिसमें भारतीय मूल के लोगों को निशाना बनाया गया है। इसमें हमले और डकैती, चोरी और हिंसा की घटना शामिल है।
 
भारतीय दूतावास से मिले आंकड़ों के अनुसार यह हमले चीन की राजधानी बीजिंग समेत शंघाई और ग्वांझू में भी रिपोर्ट किए गए हैं। दूतावास का कहना है कि चीनियों द्वारा किए जा रहे इस हमले अधिकांश उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जो चीन में पढ़ने आए हैं या नौकरीपेशा हैं। जिस प्रकार से बीच बाजार, सड़क और मेट्रो ट्रेन में हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, उसके बाद यह अनुमान लगाया जा सकता है कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार की इन घटनाओं पर मौन सहमति है।
 
हालांकि भारतीय दूतावास ने आधिकारिक तौर पर इन हमलों को नस्लीय हमलों या विद्वेष के रूप में नहीं देख रही है, लेकिन दूतावास ने भारतीयों से कहा है कि वे अकेले यात्रा ना करें, साथ ही देर रात क्लब में जाने और राजनीति की बहस से बचने की सलाह दी है। दूतावास के अधिकारी लगातार भारतीयों के साथ ओपन एवं क्लोज डोर मीटिंग के माध्यम से संपर्क बनाए हुए हैं।
भारतीय विद्यार्थियों पर हो रहे हमलों को लेकर चीन में मौजूद भारतीय विद्यार्थियों के यूनियन ने भी विरोध दर्ज कराया है। यूनियन ने यह मांग की है कि चीनी सरकार विदेशी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए, लेकिन इसके बाद भी भारतीयों के विरुद्ध चीन में हमले देखे जा रहे हैं।
 
दरअसल वर्ष 2020 में गलवान हिंसा के दौरान जिस प्रकार स भारतीय सेना ने चीनी कम्युनिस्ट सेना को लताड़ लगाई थी, उसने चीन को हक्का बक्का कर दिया था। इसके बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन में मौजूद भारतीयों को सॉफ्ट टारगेट की तरह देख रही है।
 
2017 में हुए डोकलाम विवाद के बाद से ही विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीय विद्यार्थियों के भविष्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। एक आंकड़ों के अनुसार इस घटना के बाद से 400 भारतीय विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री अभी तक नहीं दी गई है, जिनमें से 250 विद्यार्थियों को तो उनके पीएचडी के गाइड ने सहयोग करना भी बंद कर दिया है।
चीन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 30 हजार से अधिक भारतीय विद्यार्थी मौजूद हैं, यही कारण है कि कम्युनिस्ट विचार से जुड़े लोग भारत से मिल रही हार की भड़ास इन विद्यार्थियों पर निकालने का प्रयास कर रहे हैं।