माओवाद के मोर्चे पर क्या है झारखंड की स्थिति ?

इस क्रम में माओवादियों की शरणस्थली रहे इस क्षेत्र को ऑपेरशन ऑक्टोपस चला कर माओवाद मुक्त किया जाना अमन गंझू एवं नवीन यादव जैसे कुख्यात माओवादियों के आत्मसमर्पण का मुख्य कारण रहा है जहां वर्तमान में सुरक्षाबलों की उपस्थिति सुकून देने वाली है

The Narrative World    27-Jan-2023   
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अभी बीते बुधवार को झारखंड के माओवाद प्रभावित चतरा से कुख्यात माओवादी (नक्सली/कम्युनिस्ट आतंकी) एवं देश में माओवादियों के अग्रणी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) यानी सीपीआई (एम) की सेंट्रल कमेटी के सदस्य नवीन यादव के आत्मसमर्पण की जानकारी सामने आई थी। नवीन पर 60 से अधिक गंभीर प्रकरणों में संलिप्त रहने एवं कुल 48 से अधिक जवानों की हत्या का आरोप है।
 
नवीन के आत्मसमर्पण की खबरों के बीच ही रांची पुलिस ने बताया कि झारखंड में सक्रिय एक और माओवादी संगठन 'पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया' सुप्रीमो दिनेश गोप के बेहद करीबी माने जाने वाले सब-जोनल कमांडर तिलकेश्वर गोप को गिरफ्तार कर लिए गया है, तिलकेश्वर गोप पर कुल 68 प्रकरण दर्ज हैं।
 
माओवाद के मोर्चे पर सुरक्षाबलों को मिली यह दोहरी सफलता सुकून देने वाली है हालांकि झारखंड में बीते एक दो वर्षों के आंकड़ो पर नज़र डालें तो यह स्पष्ट है कि सुरक्षाबलों को बुधवार को मिली सफलता अपवाद नहीं है और बीते दो वर्ष माओवाद के दंश से बुरी तरह प्रभावित झारखंड राज्य के लिए बेहद सुकून देने वाले रहे हैं।
 
दरअसल बीते दो वर्षों में केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों में चलाए जा रहे अभियानों में सुरक्षाबलों को भरपूर सफलता मिली है और आंकड़े इस बात को बखूबी प्रमाणित भी करते हैं, सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार बीते दो वर्षो में ही झारखंड में कुल 909 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया है जबकि इसी कालावधि में आत्मसमर्पण करने वाले शिर्ष माओवादियों की संख्या कुल 34 है, सरेंडर करने वाले नक्सलियों में यदि 2020-21 के आंकड़ो को भी जोड़ लेते हैं तो यह संख्या बढ़कर कुल 57 हो जाती है।
 
“हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा की राह चुनने वाले माओवादियों में से जहां एक ओर महाराज प्रामाणिक, अमन गंझू , कमलेश यादव एवं कुलदीप गंझू जैसे मारक दस्तों के कमांडर शामिल हैं तो वहीं दूसरी ओर विमल यादव एवं नवीन यादव जैसे शिर्ष माओवादी कमांडर भी शामिल हैं जबकि इसी दौरान गिरफ्तार किए गए माओवादियों में से सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो सदस्य किशन दा उर्फ प्रशांत बोस समेत एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, 10 जोनल कमांडर्स, 31 सब जोनल कमांडर्स एवं 41 एरिया कमांडरों को गिरफ्तार किया गया है।”
 
 
आत्मसमर्पण एवं गिरफ्तारियों के अतिरिक्त सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए अभियानों में हुइ मुठभेडों के दौरान कुल 25 माओवादियों को भी मार गिराया गया है मारे जाने वाले माओवादियों में से सब जोनल कमांडर बालक गंझू समेत कई अन्य कमांडर भी शामिल हैं।
 
सुरक्षाबलों द्वारा माओवादियों के संगठनात्मक ढांचे पर किये गए प्रहार के अतिरिक्त इसी कालावधि में विभिन्न अभियानों में सुरक्षाबलों ने माओवादियों से 349 देशी बंदूकों, 74 लुटे गए हथियार, 629 आईडी, लगभग 15000 कारतूस समेत कुल 3878 डेटोनेटर्स बरामद किए हैं, सुरक्षाबलों ने इस दौरान गिरफ्तार माओवादियों से लेवि के रूप में वसूली गई कुल 44 लाख रुपए की धनराशि भी बरामद की है।
 
इन आंकड़ो पर गौर करें तो इसमें संशय नहीं कि बीते दो वर्षो में सुरक्षाबलों ने माओवाद के मोर्चे पर झारखंड में माओवादियों के संगठनात्मक ढांचे को ध्वस्त करने में कोई कसर ना छोड़ी हो और इस क्रम में सबसे बड़ा परिवर्तन तो सुरक्षाबलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियानों के दबाव स्वरूप माओवादियों द्वारा स्थापित किए गए वृहद ठिकानों को ध्वस्त होना है, इन ठिकानों में सबसे अहम अभी हाल ही में नक्सल मुक्त घोषित किया गया धुर माओवाद प्रभावित जिले लातेहार का बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र है जो कई दशकों से माओवाद का दंश झेल रहा था।
 
 
 
इस क्रम में माओवादियों की शरणस्थली रहे इस क्षेत्र को ऑपेरशन ऑक्टोपस चला कर माओवाद मुक्त किया जाना अमन गंझू एवं नवीन यादव जैसे कुख्यात माओवादियों के आत्मसमर्पण का मुख्य कारण रहा है जहां वर्तमान में सुरक्षाबलों की उपस्थिति सुकून देने वाली है।
 
हालांकि इन सब के बीच एक क्षेत्र जहां राज्य में माओवादियों के लिए सुगम स्थिति बनी हुई है वो राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तार माओवादियों के विरुद्ध चल रहे प्रकरणों में उन्हें सजा दिलाना है इस क्रम में कुख्यात कुंदन पाहन समेत कई माओवादियों को राज्य सरकार सजा दिलाने में असफल रही है।
 
कुल मिलाकर इसमें संशय नहीं कि केंद्र सरकार की देख रेख में चलाए जा रहे 'समाधान' एवं 'प्रहार' जैसे अभियानों ने झारखंड प्रदेश में कम्युनिस्ट आतंकियों की कमर तोड़ कर रख दी है आवश्यकता बस इस बात की है कि राज्य सरकार भी इस मोर्चे पर कंधे से कंधा मिलाकर गिरफ्तार किए जा रहे माओवादियों को सजा दिलाने से लेकर माओवाद मुक्त कराए गए क्षेत्रों में इस जहर को दुबारा पनपने से रोकना सुनिश्चित कर सके ताकि धरती आबा की यह पावन भूमि नक्सलवाद के कोढ़ से पूर्णतया मुक्त हो सके।