साधु-संतों का आह्वान - हिंदू समाज के जागरण तथा धर्म की रक्षा के लिए किया जा रहा बंजारा महाकुंभ का आयोजन

अखिल भारतीय हिंदू गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समाज कुंभ का शुभारंभ हो चुका है। पू. संत बाबूसिंग जी महाराज ने कहा कि हिंदू गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समाज को जागृत करने तथा समाज को दिशा देने हेतु कुंभ आयोजित किया गया है।

The Narrative World    28-Jan-2023   
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अखिल भारतीय हिंदू गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समाज कुंभ का शुभारंभ हो चुका है। इस अवसर पर मंच पर पोहरागढ़ के मुख्य गादीपती पू. संत बाबूसिंग महाराज, अ. भा. धर्म जागरण प्रमुख मा. शरदराव ढोले, पू. महामंडलेश्वर गुरू शरणानंद महाराज, पू. संत गोपाल चैतन्य महाराज, संत सुरेश महाराज, संत देनाभगतजी महाराज, संत यशवंत महाराज, संत जीतेंद्रनाथ महाराज, आचार्य साहेबराव शास्त्री, महंत संग्रामसिंग महाराज, संत रायसिंग महाराज आदि संत उपस्थित थे।


आठ राज्यों में ११ हजार तांड़ों पर प्रत्यक्ष संपर्क करने के बाद पता चला कि उसमें से ३ हजार तांड़ों पर ईसाई मिशनरियों द्वारा बंजारा बंधुओं का धर्मांतरण हो चुका है। उन सबको फिर से सनातन हिंदू धर्म में लाने का विचार चल रहा है।

पू. संत बाबूसिंग जी महाराज ने कहा कि हिंदू गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समाज को जागृत करने तथा समाज को दिशा देने हेतु कुंभ आयोजित किया गया है।


श्री बालाजी भगवान, गुरुनानक देवजी साहेब, भारत माता और संत सेवालाल महाराज की प्रतिमाओं को पुष्पमाला अर्पित कर व दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम शुरू हुआ।


इस अवसर पर अ.भा. धर्मजागरण प्रमुख शरदराव ढोले ने मार्गदर्शन करते हुए कहा कि देश का वैभव देखकर विदेशी आक्रमण हुए। जिन ग्रीकों ने आक्रमण किया वे हिंदू बन गए।


उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम का आक्रमण अलग था। वे क्रूर थे और उन्होंने तरवार के सहारे लाखो लोगों का धर्मांतरण किया। इसाईयों द्वारा छल, कपट व सेवा के माध्यम से धर्मांतरण शुरू हुआ। यह धर्मांतरण केवल पूजा पद्धति तक सीमित नहीं रहा बल्कि अलग राज्य और अलग देश की मांग तक पहुंचा।


पूर्वांचल में ७ में से ४ राज्यों में ईसाईकरण हुआ। बंजारों के ११ हजार तांड़ों में से ३ हजार तांड़ों पर धर्मांतरण हुआ। बंजारा समुदाय का धर्मांतरण न हो तथा धर्मांतरण रोकने के लिए सैकड़ों संत यहां आए हैं।


संत गोपाल चैतन्य महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि अपने कुंभ में सभी पूजनीय संतो को आमंत्रित किया गया है। संत समाज धर्मरक्षण का काम करता है। तीन हजार गांवों में धर्म परिवर्तन हुआ है इसलिए कुंभ की आवश्यकता आन पड़ी है। हिंदू समाज में जागरण हेतु तथा धर्म की रक्षा के लिए यह कुंभ है।


संत बाबूसिंग महाराज ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि बंजारा समुदाय के कुंभ में मथुरा से संत पधारे हैं। कर्नाटक, महाराष्ट्र व गुजरात आदि राज्यों से समुदाय के सदस्य तथा संत सहभागी हुए हैं। गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समुदाय में महान संत होकर गए हैं। समाज को सुसंगठीत रखने के लिए कुंभ का आयोजन है।


महराज जी ने कहा कि भक्तिमार्ग से हमें दिशा मिलती हैं। समाज को जागृत करने संत मंच पर उपस्थित हुए हैं। बंजारा समुदाय का प्रथम कुंभ गोद्री में हो रहा है और यह ऐतिहासिक व अविस्मरणीय क्षण है।


संत सुरेश महाराज ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि हम भारत को भारतमाता कहते हैं। हम सनातनी हैं और सनातनी रहेंगे। सीमा पर सैनिक देश आणि भारतमाता की रक्षा के लिए खड़ा रहता है जबकि धर्म के लिए संत समाज में खड़े रहते हैं।


पू. महामंडलेश्वर शरणानंद महाराज ने आध्यात्मिक मार्गदर्शन करते हुए प्रतिपादन किया कि बंजारा समाज व्यापक है। यह समुदाय व्यापारी था। बंजारा समुदाय पूरे विश्व में फैला है और धार्मिक है. संत हाथिराम बाबा तिरुपति बालाजी के साथ चौकट खेलते थे इसलिए बालाजी भगवान और हातीराम बाबा हमारे आस्था के स्थान हैं।


धर्मसभा के मुख्य क्षण


मंच पर महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में गीत गाते हुए संतों का स्वागत किया। शाहीर सुरेश जाधव ने अपने साथियों के साथ "वीर लखीशहा बंजारा" पोवाड़ा पेश किया। जगदंबा देवी का गोंधल भी मंच पर पेश किया गया।