रजौरी हमला : 90 के दशक की याद दिलाती कायराना करतूत

हालांकि वर्तमान घटना उस कालखंड में घाटी की परिस्थितियों से बिल्कुल विपरीत परिस्थितियों में घटी है

The Narrative World    03-Jan-2023   
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people killed in attack 
 
जम्मू के राजौरी में आतंकियों ने हिन्दू परिवारों पर लक्षित कर हमला किया है, यह हमला रविवार के दिन किया गया है जहां जानकारी के अनुसार आतंकियों ने 50 मीटर के अंतर्गत आने वाले तीन घरों में घुसकर आधार कार्ड से पहचान सुनिश्चित कर चार लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी, जबकि इसी दौरान कई और लोगों को घायल कर दिया।
 
जानकारी के अनुसार यह आतंकी घटना राजौरी के ऊपरी डांगरी गांव में हुई जब रविवार देर शाम पास के जंगलो से दो आतंकी गांव में घुस आए और सीधे एक घर के अंदर जा घुसे, घर मे घुसने के बाद आतंकियों ने सदस्यों का आधार कार्ड देखा जिनकी पहचान हिन्दू सुनिश्चित होने के उपरांत महिलाओं से बदतमीजी की और उनके सामने ही दो लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी।
 
इसके बाद आतंकियों ने पड़ोस के दूसरे घरों के ऊपर भी गोलीबारी की और जंगलो में भाग गए इस गोलीबारी में कुल 4 लोगों की मौत हो गई जबकि जंगलो में जाने से पहले आतंकियों द्वारा लगाए गए आईडी बमों की चपेट में आने से सोमवार सुबह दो बच्चों के मौत हो गई है। वहीं आतंकियों द्वारा लगाए गए एक और आईडी बम को सुरक्षाबलों द्वारा सुरक्षित डिफ्यूज कर दिया गया है। मारे गए सभी लोग हिन्दू समुदाय से हैं जिन्हें आतंकियों द्वारा धार्मिक आधार पर मारा गया है।
 
इस हमलें में घायल 10 लोगों को उपचार के लिए राजौरी लाया गया है, जबकि घेराबंदी कर के आतंकियों की खोजबीन की जा रही है। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंटल समूह 'द रेसिस्टेन्स फ्रंट' ने ली है। बता दें कि इस समूह द्वारा इससे पूर्व भी जम्मू कश्मीर में हिंदुओ की लक्षित हत्याओं को अंजाम दिया गया है, इस क्रम में पिछले वर्ष भी घाटी के अलग अलग क्षेत्रों में सरकारी विद्यालय की प्रधानाचार्या समेत कई अन्य हिंदुओ की लक्षित हत्याएं की गई थी।
 
हालांकि जम्मू संभाग, विशेषकर राजौरी क्षेत्र में हुई इस घटना ने 1990 के दशक में हिंदुओं के नरसंहार की स्मृति को तरोताजा कर दिया है जब घाटी में दशकों से पनप रहे इस्लामिक कट्टरपंथ जनित आतंकी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर घाटी में रह रहे हिन्दू परिवारों की लक्षित हत्याएं की गई थी, जिसके बाद लगभग 5 लाख परिवारों को घाटी छोड़ने पर बाध्य होना पड़ा था।
 
बता दें कि उस कालखंड में जम्मू एवं कश्मीर में धारा 370 लागू थी जिसकी आड़ में पाकिस्तान की सहायता से इन उन्मादी कट्टरपंथी संगठनों ने घाटी को हिन्दू विहीन कर दिया था, हालांकि पाकिस्तानी सेना घाटी में आतंकियों को पोषित करने वाली अकेली शक्ति नहीं थी और उसके अतिरिक्त हुर्रियत कांफ्रेंस एवं उस दौर में मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला एवं मुफ़्ती परिवार पर भी जम्मू कश्मीर में आतंकियों को परोक्ष रूप से समर्थन देने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
 
हालांकि वर्तमान घटना उस कालखंड में घाटी की परिस्थितियों से बिल्कुल विपरीत परिस्थितियों में घटी है जब जम्मू कश्मीर से तीन वर्ष पूर्व केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 को हटाकर इसे केंद्र शासित प्रदेश के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया है। दरअसल आतंकियों की यह कायराना करतूत तब सामने आई है जब जम्मू कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद अपना दम तोड़ रहा है और बीते वर्ष में ही सुरक्षाबलों द्वारा कुल 172 आतंकियों को मार गिराया गया है।
 
वहीं इसी कालावधि में जम्मू कश्मीर से चरमपंथी आतंकी संगठनों में भर्ती होने वाले युवकों की संख्या में भी 37% की गिरावट दर्ज की गई है, ज्ञात हो कि अभी हाल ही में जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार बीते वर्ष में 100 से भी कम युवा आतंकी संगठनों में भर्ती हुए थे जिनमें से 67 को विभिन्न मुठभेडों में मार गिराया गया है जबकि 17 को गिरफ्तार किया गया है। अब ऐसे में राजौरी अथवा घाटी के दूसरे क्षेत्रों में हिंदुओ की लक्षित कर के की जा रही हत्याओं के इस क्रम को प्रत्यक्ष संघर्ष में कमजोर पड़ते आतंकीयों द्वारा भय के वातावरण का निर्माण करने के प्रयासों से जोड़ कर देखा जा सकता है।
 
दरअसल जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने से लेकर प्रदेश में शांति बहाली, घाटी में हिंदुओं की सुरक्षित वापसी एवं इस संवेदनशील प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा समेत ऐसे कई मोर्चे हैं जिन पर भारत सरकार निरंतर अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रही है। ऐसे में आतंकियों की यह कायराना करतूत जम्मू कश्मीर में आतंक के विरुद्ध भारत सरकार के निर्णायक संघर्ष को कमजोर करने की ही कवायद का हिस्सा है।
 
हालांकि इन सब के बीच एक वास्तविकता यह भी है कि आतंक के विरुद्ध दशकों से जारी इस संघर्ष में भले ही सरकार ने कई मोर्चो पर सफलता अर्जित कर ली हो पर घाटी में लक्षित कर के की जा रही हिंदुओ की इन हत्याओं ने अपने ही देश में शरणार्थियों का जीवन बिता रहे घाटी से निष्काषित किये गए हिंदुओ समेत वर्तमान में प्रदेश में रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है जिस पर सरकार को गंभीरता से पहल करनी ही होगी।