सम्पूर्ण भारत में नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है तथा नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी को समस्त हिन्दू परिवारों के द्वारा अपनी-अपनी कुल देवी की आराधना के साथ यह पर्व सम्पन्न किया जाएगा, अष्टमी तिथि को महाअष्टमी भी कहा जाता है। पौराणिक तथ्यों के अनुसार मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध किया गया तथा उसके आतंक और अत्याचार से जगत को मुक्त किया गया और मां महिषासुर मर्दिनी कहलाई।
महिषासुर का वध का कारण उसका स्वयं का आतंक और अत्याचार ही था। भगवान ब्रह्मा से प्राप्त किए वरदान का उपयोग कर निजःस्वार्थ और महत्वाकांक्षा के लिए गया और स्वयं के लोभ और आसक्ति के लिए समान्य जनों पर अत्याचार करना महिषासुर के वध का कारण बना था, जब भी किसी के द्वारा अपनी शक्ति का दुरूपयोग किया जाएगा, उसे इसी प्रकार नष्ट किया जाता रहेगा।
नवरात्रि के साथ ही हम अधर्म पर धर्म की विजय दिवस के रूप में दशहरा उत्सव भी मनाने वाले है। प्रति वर्ष नवरात्रि के दसवें दिन रावण दहन किया जाता है, यह इस बात का भी प्रतीक है कि जब भी व्यक्ति या संस्था अपनी शक्ति के मद् में उसका दुरूपयोग करेंगे तब मां दुर्गा और श्रीराम उसे नष्ट करने के लिए अवश्य आएंगे।
जिस प्रकार महिषासुर को समाप्त कर मां दुर्गा ने समस्त संसार को उसके आतंक और अत्याचार से मुक्त किया गया था, उसी प्रकार प्रभु श्रीराम ने भी रावण का वध कर उसके आतंक और अत्याचार से समस्त संसार को मुक्त कराया था, रामायण में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि भगवान राम चाहते तो रावण और उसकी सम्पूर्ण सेना को स्वयं ही समाप्त कर सकते थे।
किन्तु रावण का भय मिटाने तथा सामान्य जन में आत्मविश्वास जगाने के लिए सभी को संगठित कर धर्मयुद्ध का मार्ग चुन रावण का संहार किया। अधर्म, अनीति और असत्य के मार्ग पर चलने वाला कोई भी व्यक्ति हो समय-समय पर किसी ना किसी ईश्वरीय शक्ति का उद्भव होगा और उसके द्वारा अधर्मी को नष्ट किया जाएगा।
इसी प्रकार हम देखते है कि वामपंथियों और देशविरोधियों के द्वारा प्राचीन समय से देश मे निवास करने वाले तथा हिन्दू संस्कृति और परम्परा का निर्वहन करने वाले भोले भाले लोगों को भ्रमित करने का कार्य किया जा रहा है तथा उन्हें हिन्दू संस्कृति एवं परम्परा के विषय में तथ्यहीन एवं गलत जानकारी प्रदान कर उन्हें महिषासुर और रावण जैसे अत्याचारीयों को पूजने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया जा रहा है।
इस प्रकार का भ्रम फैलाने वालों से सावधान रहनें की जरूरत है तथा हमें अपनी संस्कृति एवं परम्परा जो जनने के उपायों की आवश्यकता है, इसी के साथ सही जानकारी प्रदान कर भ्रमित लोगों को सही मार्ग पर लाने के प्रयास भी अतिआवश्यक है। इसी के साथ एक बार फिर सभी को सत्य की विजय के पर्व दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं।
लेख
सनी राजपूत
अधिवक्ता, उज्जैन