मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का समय चल रहा है। हर राजनीतिक पार्टी यही चाहती है कि यदि वह राजनीति कर रही है और चुनावी मैदान में उतर रही है तो अधिक से अधिक उसके उम्मीदवार जीतें, किंतु जीत के लिए जो पुरुषार्थ चाहिए वह सतत लोक कल्याण के पथ पर बिना थके, बिना रुके, अहिर्निश चलते रहने के परिणाम स्वरूप ही प्राप्त होता है। अब जनता चुनाव के बाद किसे सत्ता सौपेगी यह तो वक्त ही बताएगा, किंतु मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने लोक कल्याणकारी सरकार होने का जो प्रमाण पेश किया है, निश्चित ही वह अपने आप में एक नजीर है।
लाड़ली लक्ष्मी से लाडली बहना का सफर तय किया है मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने
वस्तुत: आप देख सकते हैं कि शिवराज सरकार का जब से कार्यकाल शुरू हुआ है, किसान और महिला कल्याण उसकी प्राथमिकता में रहे । गरीब और बेसहारा किसी भी कल्याणकारी सरकार के स्वभाविक हिस्सा रहते ही हैं। इसलिए इतने अधिक समय की सरकार के बाद भी नूतन योजनाएं, नवाचार और कल्याण अक्षुण्य भावना से प्रदेश की सरकार को कल्याणकारी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लोकप्रिय बनाया हुआ है। आज भी किसी भी सर्वे में उनकी बराबरी का लोकप्रिय नेता आपको ढूंढने से भी नहीं मिलेगा।
प्रदेश में दो दलीय व्यवस्था है। ऐसे में चुनावी समय में होने वाली घोषणा और क्रियान्वयन का अन्तर समझने की जरूरत है। लाडली बहना योजना का महिला सम्मान और सशक्तिकरण के लिए मील का पत्थर सिद्ध होना तय मानिए । लाड़ली लक्ष्मी से लाडली बहना का सफर सभी दौर को कवर कर लेता है।
किसनों को अन्य राज्यों की तुलना में इस प्रकार से मिल रहा अधिक लाभ
इसी प्रकार से किसान को उत्पादन प्रक्रिया प्रारंभ करने से मिलने वाली सहायता बिक्री तक चलती रहती है। उसे खाद बीज के लिए केन्द्र से मिलने वाली 6 हजार और इसमें प्रदेश के मिलने वाली 4 हजार रुपये से प्रदेश के किसान का अन्य राज्यों की तुलना में अधिक लाभ मिलता है। किसानों को बिना ब्याज के कर्ज मिलने तक पहुंच गया है।
मध्यप्रदेश वह राज्य है जहां योजनाओं का नवाचार चलता ही रहता है। केन्द्र जिस योजना की घोषणा करता है, प्रदेश में उसका क्रियान्वयन उसी दिन से शुरू हो जाता हे। प्रदेश की सरकार इसके लिए हमेशा अर्लट मोड में ही रहती है। किसानों के लिए केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान कल्याण की योजना बनाई। जिसमें प्रत्येक वर्ष 6 हजार रुपये किसानों के खाते में आना थे।
कमलनाथ का किसान कर्जमाफी का नारा हवाहवाई ही निकला था
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक साल में 4 हजार रुपये अतिरिक्त प्रदेश की ओर से भी देना शुरू कर दिये। यह मध्यप्रदेश के किसान को अतिरिक्त लाभ था। इस प्रकार से किसान को अधिक समृद्ध और आर्थिक रूप से ताकतवर बनाने के लिए अनेकों प्रयास किये गये। प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के नियमों को बदलने से शुरूआत हुई थी अब किसान के कल्याण और आर्थिक मदद तक बात पहुंच गई है।
प्रदेश का किसान यह महसूस करता है कि शिवराज सिंह चौहान घोषणा को अमली जामा पहनाते हैं जबकि कमलनाथ ने पहली बार प्रदेश की राजनीति में आकर किसान कर्जमाफी का नारा दिया था और वे उसे पूरा करने का उल्टा तरीका अपनाया और सरकार ही उलट गई। क्रियान्वयन पर भरोसे के मामले में कमलनाथ शिवराज के सामने गच्चा खा गये।
किसानों की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए मध्यप्रदेश में जितने प्रयास किये गये हैं संभवतया किसी अन्य राज्य में इतने सुधार और योजनाएं नहीं हैं। इसलिए किसान कल्याण की योजनाओं के साथ ही प्रदेश में उन योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू हुआ जो आखिरकार किसानों को ही सहायता पुहंचाती हैं। जनजातियों को केन्द्र में रखकर योजनाओं का काम शुरू हुआ। अधिकांश जनजाति किसानी ही करते हैं। विंचितों को लेकर काम शुरू हुआ, वहां भी किसान और मजदूर हैं।
असंगठित मजदूर क्षेत्रों के लिए योजनाएं बनी और उनका लाभ लेने का असर दिखाई दे रहा है। किसानों को कर्ज में सुविधा और बिना ब्याज के राशि भरने के लिए सरकार की सहायता ने किसानों के क्षेत्र में क्रान्ति का काम किया है। यह सामाजिक क्षेत्रों में सुधार और आत्मविश्वास का आधार पर भी बना है।
कर्जमाफी की योजना में आकर किसानों ने प्रदेश में सत्ता बदलने का प्रयास किया। बदलने और न बदलने के चक्कर में प्रदेश के चुनावी इतिहास में पहली बार त्रिशंकु विधानसभा बन गई। लेकिन किसान का विश्वास डोल गया। न कर्जमाफी अपनी घोषणा के अनुरूप हुई और न ही उस पर जिस फाइल का प्रदर्शन किया गया था वह ही बाद में सामने आई।
मध्यप्रदेश को मिल रहा केंद्र की मोदी सरकार का बराबर से सपोर्ट
अब प्रदेश में बड़ी क्रान्ति महिला कल्याण की दिशा में हुई है। शिवराज सरकार ने मार्च 2023 मे लाड़ली बहना योजना की शुरूआत की थी। महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए इस योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना के तहत प्रदेश में हर महिला के खाते में 1250 रुपए सरकार ट्रांसफर करती है। इस राशि को जल्द ही 3000 रुपए तक किया जाएगा।
लाडली बहना योजना ने प्रदेश की महिलाओं में उत्साह का संचार किया हुआ है। इसके साथ ही यदि केन्द्र की मोदी सरकार की गतिविधियों को देखते हैं तब एक बात साफ दिखाई देती है। मोदी सरकार सभी क्षेत्रों में समान रूप से काम कर रही है। इसी प्रकार से यदि मध्यप्रदेश का आंकलन करते हैं तब शिवराज सरकार भी सभी क्षेत्रों में समान रूप से काम करती हुई दिखाई देती है। पैसा खर्च करने के साथ ही पैसा आयेगा कहां से इसका समीकरण भी देखा जाता है।
प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश हो। रोजगार के साथ स्वरोजगार की ओर भी युवा आकर्षित हो। शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं सहित युवाओं को प्रोत्साहन की बात हो। कानून व्यवस्था में सुधार बनता ही जाये। जल संरक्षण और सिंचाई के क्षेत्र में सुधार हो। सिंचित रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। किसान और घरेलु विद्युत व्यवस्था में बाधा न आये इसके लिए दो फीडर बनाये जा चुके हैं। सामाजिक क्षेत्रों में निवेश का काम भी तेजी से हुआ है। कोरोना के समय सुविधा बौनी हो गई थी। महामारी की विकरालता के समाने हर क्षेत्र बौना दिखाई दे रहा था। समुचित प्रबंधन से कम से कम नुकसान के साथ समय को पाट लेना प्रबंधन का प्रमाण है।
मप्र में अब तक कई लाख महिलाएं में आई योजनाओं से आत्मनिर्भरता
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने जब से लाडली बहना योजना शुरू की है राजनीतिक वातावरण में बदलाव के साथ यह भी मंथन शुरू हो गया है कि प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में कितना काम हुआ है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना, कन्यादान योजना, शिक्षा के समय स्कूटी दिये जाने की योजना और अब यह तीन हजार रुपये की संभावना वाली लाडली बहना योजना। मतलब जन्म के समय से लगाकार शिक्षा और विवाह में सहयोग देने की योजना अभी तक रही हैं।
अब इस नई योजना ने महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में बड़ा योगदान दिया है। यह सामाजिक बदलाव का आधार भी बनेगा। जिस मां के पास अपनी आर्थिक स्थिति होगी वह अपने बच्चों को भी विश्वास के साथ सीख दे पायेगी। इस प्रकार के एक समृद्ध समाज का निर्माण होने की दिशा भी इससे बनेगी।
सभी योजनाओं की विशेषता यह भी है कि यह जातियों की सीमाओं से आगे निकलती हैं। इनमें धर्म का कोई बंधन नहीं होता। सभी प्रदेशवासियों के लिए ये योजनाएं बनती हैं और काम करती हैं। यही कारण है कि शिवराज सिंह आम जनता में लोकप्रिय हैं और सरकार दर सरकार बना रहे हैं।