मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की भावी सरकार ईवीएम मशीन में सुरक्षित

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्य मुकाबला काँग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच है। यद्यपि मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी आदि लगभग आधा दर्जन अन्य राजनैतिक दल भी मैदान में थे और लगभग बीस विधानसभा क्षेत्रों में दोनों दलों के प्रमुख कार्यकर्ता विद्रोह करके मैदान में है।

The Narrative World    20-Nov-2023   
Total Views |


Representative Image

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मतदान प्रक्रिया पूरी हो गई है। भावी सरकार का स्वरूप ईवीएम मशीनों में पहुंच गया है परिणाम तीन दिसम्बर को आयेगा। विभिन्न मीडिया आकलनों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की ओर आगे बढ़ रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में दोनों दलों के बीच काँटे का मुकाबला हुआ। फिर भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रमोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की सभाओं के बाद भाजपा के पक्ष में प्रबल वातावरण बना जिसने काँग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है।


मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्य मुकाबला काँग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच है। यद्यपि मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी आदि लगभग आधा दर्जन अन्य राजनैतिक दल भी मैदान में थे और लगभग बीस विधानसभा क्षेत्रों में दोनों दलों के प्रमुख कार्यकर्ता विद्रोह करके मैदान में है। ये परिणाम को प्रभावित तो करेंगे, इनसे कुछ परिणामों में उलटफेर हो सकती है लेकिन इनमें से अधिकांश की सफलता संदिग्ध है। ये सभी निर्दलीय एवं अन्य सभी दलों को मिलाकर दस सीटों के आसपास सिमटने की संभावना है शेष 220 सीटों के आसपास भाजपा और काँग्रेस के खाते में जाने की संभावना है। वहीं छत्तीसगढ़ में भाजपा और काँग्रेस के अतिरिक्त जोगी काँग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी सक्रिय है लेकिन यहाँ भी मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और काँग्रेस के बीच ही माना जा रहा है।


मध्यप्रदेश में संभावित परिणाम के संकेत


मध्यप्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 में हुआ था और 1957 में पहली बार स्वतंत्र राज्य मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव हुये थे अब 17 नवम्बर को पन्द्रहवी विधान सभा के गठन के लिये मतदान हुआ। प्रदेश की 230 सीटों के लिये कुल 2534 उम्मीदवार मैदान में थे। 5.6 करोड़ मतदाताओं में से 77 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह पिछली बार से लगभग डेढ़ प्रतिशत अधिक है। इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को भारतीय जनता पार्टी और काँग्रेस दोनों अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं। फिर भी मतदाताओं में मतदान के प्रति उत्साह मोदी जी की सभाओं के बाद आया। ग्रामीण क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक रहा और नगरीय क्षेत्र में कम। राजधानी भोपाल और अति जागरुक माने जाने वाले इंदौर नगर में भी मतदान का प्रतिशत उतना नहीं रहा जितना इन दोनों नगरों से सटे हुये ग्रामीण क्षेत्र में रहा। मतदान में युवाओं और महिलाओं की रुचि अधिक देखी गई।


माना जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा महिलाओं के लिये गैस कनेक्शन के लिये आरंभ की गई उज्जवला योजना एवं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा आरंभ की गई लाड़ली बहना योजना के चलते ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं का उत्साह बढ़ा है। इसलिये यह माना जा रहा है कि मतदान का यह बढ़ा हुआ प्रतिशत भाजपा को मजबूती दे रहा है 2018 के विधान सभा चुनाव में भाजपा को 41 प्रतिशत वोट मिले थे अब अनुमान है कि भाजपा को प्राप्त मत 43 प्रतिशत के आसपास हो सकता है जो भाजपा को 130 से 135 सीट जीतने के आसपास संकेत दे रहा है। जबकि सरकार बनाने के लिये 116 विधायक ही चाहिए।


यद्यपि लाड़ली बहना योजना का तोड़ निकालने के लिये काँग्रेस ने नारी सम्मान योजना लागू करने का वचन दिया जिसके अंतर्गत महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपये देने का आश्वासन है। जबकि लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत अभी महिलाओं को 1250 दिये जा रहे हैं तथा इस राशि को तीन हजार रुपये तक बढ़ाने की घोषणा की है। इसलिये काँग्रेस की नारी सम्मान योजना प्रभावकारी होगी यह संभावना कम है।


मध्यप्रदेश में महिला मतदाताओं की कुल संख्या 2.72 करोड़ है। इनमें से 1.31 करोड़ महिलाएँ लाड़ली बहना योजना की हितग्राही सूची में आ चुकीं हैं। अर्थात प्रदेश में कुल महिला मतदाताओं में से आधी महिलाएँ इस योजना की लाभार्थी हैं। इसलिये इस योजना को भविष्य में भाजपा की सरकार के बनने और ग्रामीण क्षेत्र में मतदान प्रतिशत वृद्धि का कारण माना गया है। चूँकि प्रदेश का औसत मतदान भले 77% हो पर अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत 80 के आसपास रहा है।ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा द्वारा किसानों के लिये चावल का समर्थन मूल्य 3100 तथा गेंहू का समर्थन मूल्य 2700 रुपये करने के आश्वासन भी प्रभावी माना गया। इसके साथ भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र में क्रियान्वयन की गारंटी के रूप में मोदी जी का चेहरा था। इससे भी भाजपा के पक्ष में वातावरण बना। चूँकि मोदी जी का नाम और चेहरा इन दिनों पूरी दुनियाँ में सर्वाधिक प्रतिष्ठित चेहरा है।


हालाँकि काँग्रेस ने भाजपा सरकार द्वारा किये विकास के दावों और मोदी जी के चेहरे के प्रभाव को तोड़ने के लिये जातिवाद का दाव खेला है। काँग्रेस ने जातीय आधारित जनगणना का वादा तो किया ही है। इसके साथ उम्मीदवारों के चयन में भी जाति पर जोर देने की नीति अपनाई गई। इसका उदाहरण मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र तौमर सहित प्रमुख भाजपा नेताओं के विरुद्ध उतारे गये उम्मीदवारों में झलकता है।


मध्यप्रदेश में भविष्य की सरकार का स्वरूप क्या होगा वह तो तीन दिसम्बर को ही स्पष्ट होगा फिर भी मध्यप्रदेश में मतदान का रुझान भारतीय जनता पार्टी के लिये सफलता की प्रबल संभावना व्यक्त कर रहा है।


मध्यप्रदेश में मतदान का प्रबंध


यदि मध्यप्रदेश में मतदान प्रबंध और मतदान प्रतिशत की चर्चा की जाये तो इसके लिये यह चुनाव अनूठा माना जायेगा। मध्यप्रदेश में इस बार मतदान का कीर्तिमान बना। कुल 5.61 करोड़ कुल मतदाताओं में से 77 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। यह पिछले किसी भी विधानसभा चुनाव की तुलना में सर्वाधिक है। पिछली बार मतदान का प्रतिशत 75.6 था। मतदान प्रक्रिया के लिये भी कुछ नये प्रयोग किये गये थे। व्यवस्थित मतदान के लिये कुल 64626 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इनमें 64523 मुख्य और 103 सहायक मतदान केंद्र थे, और 17032 संवेदनशील मतदान केंद्र माने गये। यहाँ सुरक्षा के अतिरिक्त प्रबंध किये गये थे इस बार 5160 मतदान केंद्र पूर्णतः महिलाओं द्वारा संचालित किये गये। इनमें सभी अधिकारी और कर्मचारी महिलाएँ तैनात की गईं थीं। वहीं 183 मतदान केंद्र दिव्यांग जनों द्वारा संचालित किए गये और 371 मतदान केंद्र ऐसे थे जो पूर्णतः युवाओं द्वारा संचालित किये गये। यह प्रयोग पहलीबार किया गया था।


छत्तीसगढ़ में संघर्ष काँटे का


छत्तीसगढ़ पहले मध्यप्रदेश राज्य का ही अंग था। नवम्बर 2000 में प्रथक प्राँत बना और वर्ष 2003 में पहली बार पृथक छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा के चुनाव हुये और अब पाँचवी विधान सभा के गठन केलिये मतदान हुआ। कुल 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिये इस बार दो चरणों में मतदान हुआ। पहले चरण में सात नवम्बर को बीस विधानसभा क्षेत्रों में और 17 नवम्बर को दूसरे चरण में शेष 70 सीटों पर मतदान हुआ और लगभग 71 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। द्वितीय चरण में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह की सभाओं से चुनावी वातावरण में तेजी आई। मतदान प्रतिशत बढ़ने का श्रेय दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और काँग्रेस अपनी अपनी जीत का दावा कर रही हैं। फिर भी छत्तीसगढ में मतदान के रुझान देखकर काँटे का मुकाबला मान रहे हैं।

लेख

रमेश शर्मा