छत्तीसगढ़ और सीमावर्ती क्षेत्रों में भय से तिलमिला रहे माओवादी

माओवादियों पर जहां मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से शिकंजा कसा जा रहा था, वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के ढीले रवैये के चलते माओवादियों का मनोबल बढ़ा हुआ था। लेकिन जैसे ही इन राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आए हैं, माओवादियों ने भय एवं बौखलाहट से सुरक्षाबलों पर हमला करना शुरू कर दिया है।

The Narrative World    15-Dec-2023   
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हाल ही में देश के 5 राज्यों के चुनाव नतीजे सामने आए हैं, और इन पांच में से तीन राज्यों में भाजपा ने अपनी सरकार बनाई है। एक तरफ जहां मध्यप्रदेश में भाजपा ने जीत हासिल करते हुए अपनी सत्ता बरकरार रखी है, वहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा ने कांग्रेस को बुरी तरह से पछाड़कर चुनाव जीता है।


इन सब के बीच छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दो ऐसे राज्य हैं, जहाँ नक्सलियों-माओवादियों का प्रभाव है, जहाँ माओवादी अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। दरअसल बीते वर्षों में जिस तरह से कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में होने से माओवादी बेखौफ होकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे, वो अब बौखलाहट और भय के रूप नज़र आ रहा है।


माओवादियों पर जहां मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से शिकंजा कसा जा रहा था, वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के ढीले रवैये के चलते माओवादियों का मनोबल बढ़ा हुआ था। लेकिन जैसे ही इन राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आए हैं, माओवादियों ने भय एवं बौखलाहट से सुरक्षाबलों पर हमला करना शुरू कर दिया है।


हालांकि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में सुरक्षाबलों ने माओवादियों को मार गिराया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की तिलमिलाहट के चलते 2 दिनों में 2 जवान बलिदान हो गए हैं।


सबसे पहले हम बात करें छत्तीसगढ़ की तो माओवादी आतंकियों ने लगातार दो दिन तक बस्तर के अलग-अलग जिले में आईईडी विस्फोट किया है। इन दोनों विस्फोट में सुरक्षाबल कर जवान वीरगति को प्राप्त हुए हैं।


माओवादियों ने 13 दिसंबर, बुधवार को नारायणपुर जिले के छोटे डोंगर क्षेत्र में आईईडी विस्फोट किया था, जिसमें छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (CAF) के आरक्षक कमलेश साहू वीरगति को प्राप्त हुए थे। इनके अतिरिक्त एक अन्य जवान इस घटना में बुरी तरह घायल हुए, जिनका उपचार अस्पताल में चल रहा है।


इस घटना के बाद 24 घंटे के भीतर ही नारायणपुर के सीमावर्ती जिला कांकेर में माओवादियों ने 14 दिसंबर, गुरुवार को एक अन्य आईईडी विस्फोट को अंजाम दिया है। माओवादियों के इस हमले में सीमा सुरक्षा बल (BSF) का एक जवान अखिलेश राय बलिदान हुआ है। इस घटना के बाद सुरक्षाबल के जवान लगातार इन क्षेत्रों में सर्च अभियान चला रहे हैं।


माओवादी आतंकियों ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत के बाद एक सप्ताह के भीतर 4 आईईडी विस्फोट को अंजाम दिया है। माओवादियों ने अपनी इन घटनाओं को बस्तर के घोर माओवाद से प्रभावित सुकमा, नारायणपुर एवं कांकेर जिले में अंजाम दिया है।


छत्तीसगढ़ में माओवादी जिस तरह से तिलमिलाहट में इन हमलों को अंजाम दे रहे हैं, उससे एक बात स्पष्ट हो रही है कि प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद उन्हें अपने अस्तित्व के खत्म होने डर नजर आ रहा है।


यही कारण है कि प्रदेश में जिस समय एक जनजाति व्यक्ति मुख्यमंत्री की शपथ ले रहे थे, उस समय माओवादी अपनी हिंसा की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे।


दूसरी ओर माओवादियों ने छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में बीते 5 वर्षों में पैठ बनाने की कोशिश की, जिसमें मध्यप्रदेश उनका मुख्य निशाना था। माओवादी मैकाल पर्वत श्रेणी से कान्हा वन्य क्षेत्र तक एक नया 'माओवादी गलियारा' बनाने की फिराक में है, जिसे सुरक्षाबलों के द्वारा बार-बार ध्वस्त किया जा रहा है।


इसी क्रम में सुरक्षाबलों को मध्यप्रदेश में माओवाद से प्रभावित बालाघाट जिले में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। केंद्रीय सुरक्षाबल एवं स्थानीय पुलिस ने संयुक्त रूप से अभियान चलाते हुए एक खूंखार माओवादी आतंकी हिडमा मरकाम उर्फ चैतू को मार गिराया है, जिस पर 3 राज्यों में कुल 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था।


महत्वपूर्ण बात यह है कि सुरक्षाबल के जवानों ने इस इनामी माओवादी को उस दौरान मार गिराया है, जब माओवादी आतंकी जंगल के भीतर सुरक्षाबलों पर हमला कर रहे थे।


जिला पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार बालाघाट एवं मंडला पुलिस ने सीआरपीएफ के साथ अभियान चलाया था। इस अभियान के दौरान जब सुरक्षाबल के जवान खामको दादर के अंदरूनी वन्य क्षेत्र में पहुंचे तब, पहले से ही घात लगाकर बैठे माओवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमला शुरू कर दिया। इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए सुरक्षाबल के जवानों ने जवाबी फायरिंग की, जिसमें हिडमा उर्फ चैतू की मौत हुई।


मिली जानकारी के अनुसार 25 वर्षीय चैतू छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का निवासी था, जो एमएमसी जो स्पेशल कमेटी के सचिव दामा की सुरक्षा में रहता था। मारे गए माओवादी आतंकी को दंडकारण्य जोन से वर्ष 2020 में एमएमसी जोन में भेजा गया था।


पुलिस ने बताया कि चैतू पर मध्यप्रदेश में 3 लाख रुपये, छत्तीसगढ़ में 5 लाख रुपये और महाराष्ट्र में 6 लाख रुपये, कुल मिलाकर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था। सुरक्षाबलों को इस मुठभेड़ के बाद यह भी अनुमान है कि, इस गोलीबारी में अन्य माओवादी भी घायल हुए हैं। मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबल के जवान पूरे क्षेत्र की सर्चिंग कर रहे हैं।


छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बाद माओवादियों को लेकर एक बड़ी खबर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से आई है। क्षेत्र में माओवादियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे क्षेत्र में माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ में 2 माओवादी आतंकी मारे गए हैं।


जिला पुलिस अधीक्षक के अनुसार इन माओवादियों को मारे जाने के बाद सुरक्षाबलों ने माओवादियों की एक बड़ी साजिश को भी नाकाम किया है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार ये माओवादी एक बड़ी टुकड़ी के साथ मिलकर सुरक्षाबलों पर हमला करने की योजना से आये थे।


इसके अलावा इनके निशाने पर एक स्थानीय जनजातीय नागरिक भी था, जिसे मुखबिर कहकर माओवादी मारने वाले थे। लेकिन माओवादियों द्वारा ऐसी किसी भी घटना को अंजाम दिया जाता, उससे पहले ही सुरक्षाबलों ने उनके नापाक इरादों को ध्वस्त कर दिया।


माओवादी छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर जिले के अंतिम चौकी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर घात लगाए बैठे थे, जिनके निशाने पर सुरक्षाबल के जवान और मुखबिर थे।


छत्तीसगढ़ और उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में माओवादियों की इन गतिविधियों से यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि माओवादी अब बौखलाहट और डर के कारण बिना रणनीति के इन हमलों को अंजाम दे रहे हैं।


हालांकि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में प्रदेश की पुलिस को भाजपा सरकार से स्पष्ट निर्देश है कि माओवादी विषय पर किसी तरह की ढिलाई नहीं होने दें, लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रहते ऐसा देखने को नहीं मिला था।


लेकिन अब जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है, ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि केंद्रीय सुरक्षाबल एवं राज्य की पुलिस अब मिलकर काम करेंगे और इस समन्वय का परिणाम जमीन पर दिखाई देने लगेगा।