स्टालिन का वो कम्युनिस्ट कमांडर, जिसने हजारों-लाखों लोगों का नरसंहार किया

वर्तमान समय में जब भी हजारों लोगों के हत्यारों की बात की जाती है तो माओ ज़ेडोंग, स्टालिन, लेनिन, फिदेल कास्त्रो, हिटलर, पोल पोट जैसे तानाशाहों की बात होती है, लेकिन इन सबके बीच एक नाम छुप जाता है वोरोशिलोव का, क्योंकि इसने व्यापक स्तर पर नरसंहार तो नहीं किया, लेकिन स्टालिन के द्वारा की गई प्रत्येक बड़ी हत्या के घटनाक्रम में शामिल रहा।

The Narrative World    07-Dec-2023   
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जोसेफ स्टालिन ने लंबे समय तक तत्कालीन सोवियत संघ में शासन किया और अपनी कम्युनिस्ट नीतियों के तहत तानाशाही चलाई। इस दौरान कई ऐसे बड़े नेता हुए जो स्टालिन के नीतियों से अत्यधिक प्रभावित थे और उसकी तरह ही तानाशाह बनना चाहते थे। उन्हीं में से एक व्यक्ति था क्लाइमेंट येफ्रोमोविच वोरोशिलोव।


स्टालिन की तरह ही कम्युनिस्ट विचार को आगे बढ़ाने वाले और हजारों बेगुनाहों की मौत के गुनहगार वोरोशिलोव की मौत दिसंबर 1969 को हुई थी।


वर्तमान समय में जब भी हजारों लोगों के हत्यारों की बात की जाती है तो माओ ज़ेडोंग, स्टालिन, लेनिन, फिदेल कास्त्रो, हिटलर, पोल पोट जैसे तानाशाहों की बात होती है, लेकिन इन सबके बीच एक नाम छुप जाता है वोरोशिलोव का, क्योंकि इसने व्यापक स्तर पर नरसंहार तो नहीं किया, लेकिन स्टालिन के द्वारा की गई प्रत्येक बड़ी हत्या के घटनाक्रम में शामिल रहा।


वोरोशिलोव का जन्म 4 फरवरी 1881 में वर्तमान यूक्रेन में हुआ था। यह शुरुआती काल में बोल्शेविक समूह से जुड़ा और फिर वर्ष 1917 के तथाकथित रूसी क्रांति में बढ़-चढ़कर शामिल हुआ।


वर्ष 1919 में यह स्टालिन के करीब आया और इसके बाद वर्ष 1921 में वोरोशिलोव कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल कमेटी में शामिल हुआ। स्टालिन से नजदीकी की वजह से वर्ष 1925 में स्टालिन ने इसे सेना और नौसेना का प्रमुख (रक्षामंत्री के समकक्ष) बनाया। 1926 में यह पोलितब्यूरो का सदस्य बना और 1935 आते आते हैं इसे सोवियत यूनियन का मार्शल बना दिया गया।


स्टालिन द्वारा वर्ष 1936 से लेकर 1938 के बीच चलाए गए ग्रेट टेरर के दौरान वोरोशिलोव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान स्टालिन के आदेश के बाद लगभग 12 लाख लोग मारे गए। इन लाखों मौतों का जिम्मेदार वोरोशिलोव भी था।


इस दौरान कम्युनिस्ट तानाशाही ने ना सिर्फ़ राजनीतिक विरोधियों, बल्कि रेड आर्मी के शीर्षस्थ लोगों, कार्यकर्ताओं एवं आम जनता को भी निशाना बनाया गया। इस नरसंहार के लिए कम्युनिस्ट तानाशाह स्टालिन का तो नाम आता है, लेकिन वोरोशिलोव जैसे नाम छूट जाते हैं, जिन्होंने लोगों को मारने के लिए आदेश दिया।


इस दौरान स्टालिन के आदेश पर वोरोशिलोव ने अपने पुराने साथियों को धोखा दिया और निजी तौर पर हजारों लोगों को मारने के दस्तावेजों में हस्ताक्षर किया।


द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान तत्कालीन सोवियत संघ की विफलता का कारण वोरोशिलोव की कम्युनिस्ट नीतियां ही थी, जिसके कारण उसे उसके पद से हटाया भी गया।


स्टालिन की मृत्यु के बाद वर्ष 1953 में उसे प्रेसीडियम ऑफ द सुप्रीम सोवियत के चेयरमैन का पद दिया गया। यह एक ऐसा पद था जो तत्कालीन सोवियत में सबसे महत्वपूर्ण और सबसे शक्तिशाली पदों में से एक माना जाता था।


जिस तरह से वोरोशिलोव ने हजारों लाखों बेगुनाहों को मारने के लिए निर्देश दिया और उनके हत्या का कारण बना, बावजूद इसके इतिहास के नरसंहारों में और सबसे बड़े हत्यारों में उसका नाम शामिल नहीं किया जाता। वैश्विक इतिहास और वैश्विक मीडिया में बैठे वामपंथी अपने इन कम्युनिस्ट तानाशाहों का नाम कभी नहीं लेते हैं जिन्होंने बेगुनाहों को मौत के घाट उतार दिया।