छत्तीसगढ़ में मतांतरण के विरुद्ध सत्याग्रह : आखिर क्यों पड़ी इसकी आवश्यकता ?

चूंकि ईसाइयों की अवैध गतिविधियों के कारण प्रदेश में माहौल खराब हो रहा है, साथ ही हिंदुओं को जिस तरह निशाना बनाया जा रहा है, उससे आम हिन्दु समाज के बीच का जनाक्रोश काफी बढ़ चुका है। इसी जनाक्रोश का एक बड़ा उदाहरण प्रदेश के सभी जिलों में 8 फरवरी, बुधवार को देखने को मिला। बीते बुधवार को प्रदेश के लगभग सभी जिलों में हजारों की संख्या में हिन्दु समाज ने बढ़ते धर्मान्तरण के विरुद्ध प्रदर्शन किया।

The Narrative World    11-Feb-2023   
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छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरियों के द्वारा अवैध मतांतरण कराने की तमाम गतिविधियां जारी है
, जिसके चलते प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में साम्प्रदायिक तनाव और सामाजिक विद्वेष की स्थिति बन रही है।


मिशनरियों द्वारा वन्य, अनुसूचित एवं पठारी-पहाड़ी क्षेत्रों में जहां जनजातियों को अपना निशाना बनाया जा रहा है, वहीं मैदानी क्षेत्रों में पिछड़े वर्ग एवं अनुसूचित जाति के निवासियों को लक्षित कर शिकार बनाने का प्रयास किया जा रहा है।


ईसाइयों के द्वारा किए जा रहे इसी अनैतिक गतिविधियों का परिणाम था कि हाल ही में बस्तर क्षेत्र के नारायणपुर जिले साम्प्रदयिक तनाव की स्थिति देखने को मिली।


इस दौरान ईसाइयों के एक विशाल समूह ने पादरी के नेतृत्व में जनजाति ग्रामीणों पर जानलेवा हमला किया था।


इस घटना के बाद जनजाति समाज में अत्यंत अक्रोश था, और धीरे-धीरे यह आक्रोश प्रदेश के सर्व हिन्दु समाज में भी बढ़ने लगा।


चूंकि ईसाइयों की अवैध गतिविधियों के कारण प्रदेश में माहौल खराब हो रहा है, साथ ही हिंदुओं को जिस तरह निशाना बनाया जा रहा है, उससे आम हिन्दु समाज के बीच का जनाक्रोश काफी बढ़ चुका है।


इसी जनाक्रोश का एक बड़ा उदाहरण प्रदेश के सभी जिलों में 8 फरवरी, बुधवार को देखने को मिला।


बीते बुधवार को प्रदेश के लगभग सभी जिलों में हजारों की संख्या में हिन्दु समाज ने बढ़ते धर्मान्तरण के विरुद्ध प्रदर्शन किया।


इस दौरान बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, वृद्ध एवं बच्चे भी इस आंदोलन का हिस्सा बने। दिलचस्प बात यह रही कि राजधानी रायपुर की शहरी आबादी से लेकर सुदूर बीजापुर और नारायणपुर जैसे जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में भी यह विरोध प्रदर्शन देखने को मिला।


इस प्रदर्शन के दौरान लगभग सभी समाजों के लोगों ने भाग लिया, जिससे यह भी संदेश गया कि मतांतरण के विरुद्ध हिन्दु समाज एकजुट है।


लेकिन इन विरोध प्रदर्शनों को लेकर सरकार उदासीन दिख रही है, ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे विरोध प्रदर्शनों से छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को कोई मतलब ही नहीं है, साथ ही हिंदुओ की वेदना ना ही भूपेश सरकार को दिखाई दे रही है, ना ही समझ आ रही है।


अब बात यह आती है कि आखिर इस सत्याग्रह की आवश्यकता क्यों आन पड़ी ? और यह प्रश्न भी उठता है कि अब तक प्रदेश की भूपेश सरकार कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है ?


इन विषयों को समझने के लिए हमें प्रदेश में चल रहे मतांतरण के षड्यंत्र को बारीकी से समझना होगा।


दरअसल उत्तरपूर्वी राज्यों में अपना जाल स्थापित कर जब ईसाई मिशनरियों ने मध्य भारत में अपनी जमीन तलाशनी शुरू की, तब उन्हें छत्तीसगढ़ का हिस्सा सबसे अधिक उपयुक्त लगा।


चूंकि यह क्षेत्र पहले मध्यप्रदेश का एक हिस्सा हुआ करता था, जो कि जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र है, इसके अलावा जनजाति क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों ने पहले भी अपनी गतिविधियों को अंजाम दिया हुआ था, यही कारण है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ की भूमि को अपना निशाना बनाया।


छत्तीसगढ़ में भी उत्तरी पठारी हिस्सा और दक्षिणी वन्य एवं पहाड़ी हिस्सा उनका मुख्य केंद्र बना।


दशकों तक फैलाए गए अवैध मतांतरण के इस मायाजाल में फंसकर उत्तर छत्तीसगढ़ की कई जनजातियों ने अपना धर्म परिवर्तन करा लिया, जिसके चलते यहां ईसाइयों की तादाद बढ़ती गई।


धीरे-धीरे उत्तरी छत्तीसगढ़ ईसाइयों की प्रयोगशाला बनता गया, लेकिन इसी बीच वनवासी कल्याण आश्रम एवं दिलीप सिंह जूदेव के अभूतपूर्व कार्यों से ना सिर्फ मतांतरण पर लगाम लगा, बल्कि जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया था, वो भी अपने मूल सनातन धर्म में लौटने लगे।


इस दौरान स्थानीय जनजातियों के बीच व्यापक जनजागरण का कार्य चला और उत्तर छत्तीसगढ़ में जनजातियों के मतांतरण का खेल धीमा हो गया।


लेकिन दक्षिण छत्तीसगढ़ अर्थात बस्तर में ईसाई मिशनरियों को रोकने वाला कोई नहीं था।


चूंकि माओवादी हिंसा के कारण शासन-प्रशासन की पकड़ भी अंदरूनी क्षेत्रों तक नहीं थी, अतः ईसाइयों ने जनजातियों को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार एवं दबाव के माध्यम से ईसाई बनाना शुरू किया।


यह प्रक्रिया पूरे क्षेत्र में लगातार चलती रही, जिसका परिणाम यह हुआ कि आज बस्तर के कई गांवों में 90% जनसंख्या ईसाई हो चुकी है।


ऐसी मतांतरण की गतिविधियों के चलते जनजातीय संस्कृति, बस्तर की परंपरा और छत्तीसगढ़ के अपनी रीति-रिवाजों का ह्रास होता चला गया और ईसाइयों के कारण देवी और देवता को पूजने वाले लोग यीशु मसीह की आराधना करने लग गए।


इसके लिए मिशनरियों ने प्रलोभन के साथ-साथ विवाह और प्रेम जाल का षड्यंत्र भी बुना, जिसके चलते उनकी संख्या बढ़ती गई।


“मिशनरियों ने जो खेल जनजातियों के साथ उत्तरी छत्तीसगढ़ और दक्षिणी छत्तीसगढ़ में खेला, वही खेल उन्होंने छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ करना शुरू किया। पहले दलित वर्ग के लोगों को निशाना बनाया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ में रहने वाले सतनामी समाज के लोग सर्वाधिक प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने पिछड़ा वर्ग के तेली, कुर्मी, कोष्ठा, नाई समेत विभिन्न जातियों को लक्षित कर शिकार बनाने का प्रयास किया।”


स्थिति ऐसी बन गई कि जिस कांग्रेस पार्टी पर मिशनरियों को संरक्षण देने का आरोप लगता रहा है, उसी के नेता और प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी मिशनरियों की अवैध गतिविधियों पर टिप्पणी की थी।


मध्य छत्तीसगढ़ में निवास करने वाली तमाम जातियों को एक के बाद एक मिशनरी अपना निशाना बना रहे हैं, और उनके बीच मतान्तरण का षड्यंत्र रच रहे हैं।


रायपुर, भिलाई, दुर्ग, कोरबा, राजनांदगांव, धमतरी, जांजगीर, बिलासपुर, मुंगेली और कवर्धा जैसे शहरों से लगातार मतांतरण की घटनाओं की खबरें आ रहीं हैं, जिसके बाद इन क्षेत्रों और संबंधित पुलिस थानों में हंगामे की घटना भी हुई है।


वहीं मैदानी क्षेत्रों के अलावा हाल ही में नारायणपुर में जिस तरह से ईसाई पादरी के नेतृत्व में धर्मान्तरित ईसाइयों ने जनजातियों ने जानलेवा हमला किया, उसने भी पूरे प्रदेश में सभी समाजों के भीतर आक्रोश पैदा किया है। यही कारण है कि प्रदेश के सर्व हिन्दु समाज ने इस षड्यंत्र के विरुद्ध प्रदर्शन किया।


अब बात आती है कि प्रदेश की भूपेश सरकार इस इस विषय पर अब तक कोई ठोस फैसला क्यों नहीं लिया या कोई ठोस कार्यवाही क्यों नहीं की।


दरअसल प्रदेश में धर्मान्तरित समूह प्रमुख रूप से कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है। इसके अलावा जिस तरह से वामपंथियों ने विभिन्न फ़ैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के माध्यम से ईसाइयों का पक्ष लेकर जनजातियों को निशाना बनाने का कार्य किया उसने भी सरकार को ईसाइयों के पक्ष में खड़े रहने का दबाव बनाया है।


चूंकि वर्तमान कांग्रेस सरकार (छत्तीसगढ़ प्रदेश) पर यह आरोप लगते रहे हैं कि इस सरकार में वामपंथियों का प्रभाव है और उनके नीतियों से यह सरकार चल रही है, ऐसे में ईसाइयों कस तुष्टिकरण की नीति भी किसी भी कठोर निर्णय के आड़े आ रही है।


इन सब के साथ-साथ बस्तर क्षेत्र में जिस तेजी से ईसाइयों की संख्या बढ़ी है, ऐसे में कांग्रेस सरकार को यह भय है कि उन्होंने धर्मान्तरण पर कोई ठोस कार्रवाई की तो उनका एक बड़ा वोटर बेस छिटक जाएगा।


लेकिन कांग्रेस की इस राजनीति के चलते हिंदु समाज का अस्तित्व संकट से गुजर रहा है, उनकी संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और रीतियों का पतन हो रहा है।


इन्हीं कारणों से अब छत्तीसगढ़ का सर्व हिन्दु समाज आक्रोशित और उद्वेलित है। समाज ने जिन स्थानों पर प्रदर्शन किए उसमें उन्होंने प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है।


इस ज्ञापन में नारायणपुर की घटना से लेकर ईसाइयों की तमाम अनैतिक गतिविधियों को लेकर आक्रोश जाहिर किया गया है। ज्


ञापन में कहा गया है कि मिशनरियों की गतिविधियों के कारण प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कानून व्यवस्था एवं सौहार्द बिगड़ने की घटनाएं भी देखी जा रहीं हैं।


इसके अलावा सर्व हिन्दु समाज ने मतांतरण की गतिविधियों पर रोक लगाने से लेकर मतांतरण करने वाले आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।


इसके अलावा यह भी मांग की गई है कि नारायणपुर मामले में जिन निर्दोष जनजातीय ग्रामीणों को पादरी की शिकायत पर जेल में डाला गया है, उन्हें निःशर्त रिहा किया जाए।


हिन्दु समाज का यह ज्ञापन इस बात को अच्छी तरह प्रतिलक्षित करता है कि कैसे छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरियां माहौल को बिगाड़ रहीं हैं और इसके कारण सामाजिक विद्वेष बढ़ रहा है।