गुब्बारे से लेकर सीसीटीवी कैमरे तक : अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने चीन पर लगाए जासूसी के आरोप

गुब्बारे से जासूसी के अलावा चीन पर यह आरोप भी लगे हैं कि चीनी कंपनियों के सीसीटीवी के माध्यम से भी चीन किसी ना किसी जासूसी गतिविधि को अंजाम दे रहा है। इन्हीं संदिग्ध परिस्थितियों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने अपने शासकीय इमारतों एवं रक्षा संबंधित क्षेत्रों से सभी चीनी सीसीटीवी कैमरे हटाने का निर्णय लिया है।

The Narrative World    15-Feb-2023   
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अमेरिका के हवाई क्षेत्र में दाखिल हुए चीनी गुब्बारे का मामला अभी भी शांत होता दिखाई नहीं दे रहा है।


इन सब के बीच गुब्बारे को गिराने से पहले अमेरिकी रक्षा विभाग ने यह आरोप लगाए थे कि यह गुब्बारा चीन का जासूसी गुब्बारा है जो अमेरिका के हवाई क्षेत्र से जासूसी कर रहा है।


पेंटागन ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा था कि इस गुब्बारे की निगरानी की जा रही थी। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्देश पर इस गुब्बारे को नष्ट कर गिरा दिया गया।


हालांकि इस गुब्बारे को लेकर चीन ने कहा था कि यह एक सिविलियन गुब्बारा था, जो भटक कर अमेरिकी सीमा में चला गया था, लेकिन अमेरिका ने इसे जासूसी गुब्बारा ही बताया।


अब यह जानकारी सामने आई है कि इस गुब्बारे के मलबे की जांच अमेरिका द्वारा की गई, जिसके बाद कहा गया है कि यह चीन का जासूसी गुब्बारा ही था।


अमेरिकी सेना ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि गुब्बारे के मलबे की जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यह कोई सिविलियन गुब्बारा नहीं, जासूसी गुब्बारा था।


इस घटना के सामने आने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने देश की एजेंसियों को निर्देश दिया था कि वे चीन की खुफिया क्षमताओं का व्यापक स्तर पर मूल्यांकन करें और उसकी पूरी जानकारी इकट्ठा करें।


दरअसल हाल ही में अमेरिकी हवाई क्षेत्र में किसी संदिग्ध गुब्बारे के देखे जाने की 3 घटनाएं सामने आ चुकी हैं।


अमेरिकी फाइटर जेट ने पहले कनाडा के ऊपर एक अज्ञात बेलनाकार वस्तु को मार गिराया था, इसके बाद एक अन्य संदिग्ध वस्तु को अलास्का के ऊपर से गिराया गया और फिर दक्षिण कैरोलिना तट से चीनी गुब्बारे को गिराया गया।


लगातार अमेरिकी हवाई क्षेत्र में इस तरह से संदिग्ध गुब्बारे देखे जाने के बाद वहां की जनता में भी आक्रोश देखा जा रहा है।


हालांकि इन सब के बाद अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीनी गुब्बारे की जांच करने के पश्चात यह कहा है कि इसमें हाई डेफिनेशन सेंसर और कैमरे लगे हुए थे। इसके अलावा इसमें से कुछ और इलेक्ट्रिक उपकरण बरामद किए गए हैं।


अमेरिकी सेना का कहना है कि गुब्बारे में लगे सेंसर्स को उनके विशेषज्ञों ने देखा है और उसकी बारीकी से जांच की गई और इसमें यह पाया गया कि इन सेंसर्स का खुफिया जानकारी जुटाने के लिए ही प्रयोग किया गया है।


हालांकि अमेरिकी रक्षा मंत्री का कहना है कि अमेरिका इस तरह के किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम है।


अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए आरोपों से चीन तिलमिला उठा है। उसने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उसके हवाई क्षेत्र में भी अमेरिकी गुब्बारे दाखिल हो चुके हैं।


चीन का कहना है कि बीते एक वर्ष के दौरान 10 अधिक अमेरिकी गुब्बारे चीन की हवाई सीमा में घुस चुके हैं, लेकिन चीन ने इसे कभी गैरमामूली नहीं समझा।


चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबीन ने इस पूरी घटना को अत्यंत ही सामान्य घटना बताते हुए कहा है कि अमेरिकी गुब्बारों का भी अन्य देशों की हवाई सीमा में घुसना आम बात है।


हालांकि पहले से ही बैकफुट में जा चुका चीन अब यह कह रहा है कि अमेरिका को टकराव भड़काने के बजाय अपना रवैया बदलना चाहिए।


चीन ने इस बात को फिर दोहराया कि उसका गुब्बारा जासूसी गुब्बारा नहीं था, बल्कि मौसम संबंधी अनुसंधान के लिए बनाया गया एक मानवरहित हवाई यान था, जो भटक कर अमेरिका में पहुंच गया।


चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा अमेरिका पर भी गुब्बारे संचालित करने का आरोप लगाने के बाद अमेरिका ने भड़कते हुए इन सभी आरोपों को खारिज किया है।


वाशिंगटन के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चीन द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं।


प्रवक्ता अन्द्रियाने वाटसन ने कहा कि चीनी की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से जुड़ा हुआ जासूसी गुब्बारा प्रोग्राम केवल चीन द्वारा चलाया जाता है, जो खुफिया सूचना एकत्रित करने के लिए उच्च निगरानी कार्यक्रम है।


अमेरिका ने चीन पर यह भी आरोप लगाया है कि चीन ने अपने षड्यंत्र का उपयोग कर 40 से अधिक देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है।


इस गुब्बारा विवाद के कारण अब चीन और अमेरिका के रिश्ते अपने निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन जो चीन यात्रा पर जाने वाले थे, इस गुब्बारा कांड के बाद उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी है।


ऑस्ट्रेलिया को भी चीन दे रहा धमकी


गुब्बारे से जासूसी के अलावा चीन पर यह आरोप भी लगे हैं कि चीनी कंपनियों के सीसीटीवी के माध्यम से भी चीन किसी ना किसी जासूसी गतिविधि को अंजाम दे रहा है।


इन्हीं संदिग्ध परिस्थितियों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने अपने शासकीय इमारतों एवं रक्षा संबंधित क्षेत्रों से सभी चीनी सीसीटीवी कैमरे हटाने का निर्णय लिया है।


ऑस्ट्रेलिया अपने मंत्रालयों से लेकर तमाम अहम क्षेत्रों में लगे सीसीटीवी कैमरों को निकाल रहा है। अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार 1000 से अधिक कैमरों को निकाला जा चुका है।


ऑस्ट्रेलिया के द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद चीन ने तिलमिलाहट में ऑस्ट्रेलिया को धमकी दी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न क्षेत्रों में लगे हुए 'मेड इन चाइना' सीसीटीवी कैमरे को हटाने के फैसले को गलत ठहराया है।


चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया का यह फैसला अव्यवसायिक है। उन्होंने कहा कि चीन ऑस्ट्रेलिया के इस कदम की निंदा करता है।


चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा का बहाना बनाकर सरकारी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रही है, जबकि सच्चाई यह है कि वह चीनी कंपनियों को बदनाम कर उन्हें व्यापार से रोकना चाहती है।


चीनी विदेश मंत्रालय ने धमकी भरे लहजे में कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने जो भी किया है उसका जवाब दिया जाएगा।


हालांकि चीन का कहना है कि उनकी कंपनियों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए, किसी भी मामले की साफ-सुथरी जांच होनी चाहिए।


चीन ने इस बात को भी स्वीकार किया कि उनके और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहले से ही कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं।


वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बेनीस का स्पष्ट आदेश है कि ऑस्ट्रेलिया के रक्षा संबंधित सभी क्षेत्रों से चीनी निगरानी कैमरे पूरी तरह से हटाया जाएं।


ऑस्ट्रेलियाई सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री ने यह फैसला ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया है।