तानाशाही उजागर होने के भय से घबराए चीन ने चैटजीपीटी पर लगाया प्रतिबंध, अपना वामपंथी प्रोपेगेंडा चैटबॉट लाने की तैयारी

दरअसल चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने अपने देश की दिग्गज तकनीकी कंपनियों में शामिल टेनसेंट होल्डिंग्स और एंट समूह को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वो चैटजीपीटी का उपयोग ना करें। इसके अलावा चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने यह भी कहा है कि किसी भी ऐसे पक्ष को अपने प्लेटफॉर्म से ना जोड़ें जो चैटजीपीटी की सेवाएं देता हो।

The Narrative World    24-Feb-2023   
Total Views |

Representative Image
3
महीने पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित होने वाले प्रोग्राम चैटजीपीटी को शुरू किया गया था। इसने कम समय में ही पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है।


विभिन्न देशों की मीडिया चैटजीपीटी को लेकर तमाम तरह की रिपोर्ट्स बना रही हैं, वहीं चैटजीपीटी को लेकर लोग उत्साहित भी नजर आ रहे हैं।


लेकिन इन सब के बीच चीन ने एक बार फिर अपनी कम्युनिस्ट तानाशाही का परिचय दिया है।


चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने अपने देश की तमाम तकनीकी कंपनियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वो अपने प्लेटफॉर्म पर चैटजीपीटी से संबंधित किसी भी तकनीक का उपयोग ना करें।


इस निर्देश को लागू करवाने के लिए जो कारण बताया है, वो ना सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि यह भी दिखाता है कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार कैसे लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने का काम करती है।


चीन ने कहा है कि चैटजीपीटी की प्रोग्रामिंग कुछ ऐसे की गई है कि इससे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर अमेरिकी नजरिए से सामने आते हैं। इस कारण को बताते हुए चीनी कम्युनिस्ट तानाशाही सरकार ने चैटजीपीटी पर लगभग प्रतिबंध लगा दिया है।


दरअसल चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने अपने देश की दिग्गज तकनीकी कंपनियों में शामिल टेनसेंट होल्डिंग्स और एंट समूह को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वो चैटजीपीटी का उपयोग ना करें।


इसके अलावा चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने यह भी कहा है कि किसी भी ऐसे पक्ष को अपने प्लेटफॉर्म से ना जोड़ें जो चैटजीपीटी की सेवाएं देता हो।


दरअसल चैटजीपीटी एक अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी ओपन-एआई का चैटबॉट प्रोग्राम है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है।


इस कंपनी में इलोन मस्क जैसे लोगों ने और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों ने निवेश किया है।


लॉन्च होने से पहले ही चैटजीपीटी वैश्विक मीडिया में चर्चित था, और शुरू होने के बाद जल्द ही यह लोकप्रिय हो गया।


कुछ इसी चैटबोट से मिलती जुलती सेवाएं चीनी कंपनी टेनसेंट ने अपने सोशल मीडिया में शुरू की थी, लेकिन इनका स्रोत अमेरिकी कंपनियां ही थीं।


इसी मामले को देखते हुए अब चीनी कम्युनिस्ट सरकार की सख्ती के बाद टेनसेंट ने इस सेवा को अपनी कंपनी से हटा दिया है। सिर्फ इतना ही नहीं, चीनी अखबारों द्वारा चैटजीपीटी को लेकर नकारात्मक मुहिम भी शुरू कर दी गई है।


बीते सोमवार को चीनी कम्युनिस्ट सरकारी प्रोपेगैंडा मीडिया समूह चाइना डेली ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इसका उल्लेख करते हुए कहा था कि इस चैटबोट के माध्यम से सरकार के विरोध में सूचनाएं फैलाने वालों को सहयोग मिल सकता है।


चीनी प्रोपेगैंडा मीडिया ने यह भी कहा था कि इसके माध्यम से वैश्विक घटनाओं को तोड़-मरोड़कर भी पेश किया जा सकता है।


दरअसल चीन ने दशकों से अपने देश में सूचनाओं को दबाने का एक ऐसा मायाजाल बना रखा है कि अब उसे डर है कि उसका यह मायाजाल टूट ना जाए।


चीन अपने नागरिकों को वैश्विक सूचनाओं से लगभग दूर रखता है और दुनियाभर की खबरें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा सेंसर कर दी जाती है।


“चीन के आम नागरिकों को लोकतंत्र, विरोध प्रदर्शन या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे विषयों पर इंटरनेट में कोई जानकारी नहीं दी जाती। इसके अलावा चीन का पूरा इंटरनेट चीनी कम्युनिस्ट प्रोपेगैंडा से भरा हुआ। चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने गूगल, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, व्हाट्सएप जैसे तमाम सोशल मीडिया कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा रखा है।”


चीन के इसी डर को देखते हुए यह माना जा रहा था कि चीन कभी भी चैटजीपीटी पर प्रतिबंध लगा सकता है।


चीन के इंटरनेट उद्योग से जुड़े एक व्यक्ति का कहना है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस तरह के आदेश पर उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई है। उनका कहना है कि चीन में किसी भी चीज पर प्रतिबंध लगना बेहद ही सामान्य घटना है।


वहीं एक चीनी अधिकारी के हवाले से एक मीडिया समूह ने लिखा है कि चीन की सरकार शुरुआत से यही चाहती थी कि चैटजीपीटी को चीन प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।


चीन की इस सेंसरशिप नीतियों का ही परिणाम है कि वहां की जनता को दुनिया की वास्तविक सच्चाई नहीं पता चल पाती।


इसके अलावा चीनी जनता कम्युनिस्टों के द्वारा किए जा रहे विरोध, प्रपंच, षड़यंत्र, लोकतंत्र विरोधी गतिविधियों एवं उसकी तानाशाही नीतियों को भी समझने में असमर्थ है।


अब जब चैटजीपीटी को चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है, तो उसकी योजना है कि वो अपने एजेंडा और प्रोपेगैंडा से जुड़े चैटबोट को शुरू करे और चीन ने इस पर काम शुरू भी कर दिया है।


चीन में टेनसेंट, अलीबाबा और बाईडू जैसी कंपनियां अपने चैटबोट बनाने में जुट गई हैं, जो चीनी कम्युनिस्ट प्रोपेगैंडा को फैलाने का काम करेगी।


ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रोग्रामिंग को पूरी तरह से चीनी कम्युनिस्ट सरकार की नीतियों के तहत बनाया जाएगा, ताकि इसमें पूछे गए प्रश्नों के उत्तर चीनी कम्युनिस्ट सरकार के विचारों को फैलाने का काम करे।