गर्भवती पत्नी से मिलने घर लौटे सेना के जवान की माओवादियों ने की निर्मम हत्या, नारायणपुर में आईडी विस्फोट में प्रधान आरक्षक भी बलिदान

The Narrative World    27-Feb-2023
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छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों पर माओवादियों (नक्सलियों/कम्युनिस्ट आतंकियों) के लक्षित हमलें जारी हैं, इस क्रम में माओवादियों ने छुट्टी पर लौटे सेना के एक जवान की शनिवार को निर्ममता से हत्या कर दी है, घटना कांकेर जिले की है जहां पास के बाजार में खरीददारी करने गए जवान को माओवादियों के हिट स्क्वाड ने निशाना बनाया है।
 
सूचना के अनुसार कांकेर जिले के बड़े तवा गांव निवासी मोतीराम अचल अपनी गर्भवती पत्नी से मिलने अपने गांव आए हुए थे जो शनिवार को पास के उसेली गांव में बाजार गए हुए थे, जानकारी है कि तभी सादी वर्दी में आए नक्सलियों ने उन पर गोलियां बरसा दी जिससे मोतीराम की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, हमले के समय बाजार में मोतीराम के भाई एवं अन्य ग्रामीण भी मौजूद थे
 

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 (जवान मोतीराम)
 
बता दें कि यह पहली बार है जब माओवादियों ने अर्धसैनिक बलों एवं पुलिस के जवानों के अतिरिक्त सेना के किसी जवान को निशाना बनाया है, आशंका जताई जा रही है कि यह हत्या किसी पुरानी रंजिश या जवान के सेना अथवा सीआरपीएफ में कार्यरत होने पर संशय की स्थिति में की गई है, हालांकि ग्रामीणों एवं परिजनों के अनुसार जवान मोतीराम पहले भी छुट्टी पर घर आते रहे हैं और उन्हें माओवादियों द्वारा कभी कोई धमकी नहीं दी गई थी।
 
वहीं राज्य में माओवादियों से संबंधित एक अन्य विकास में रविवार को कॉम्बिंग अभियान पर निकले छत्तीसगढ़ आर्म्ड फ़ोर्स (सीएएफ) के एक प्रधान आरक्षक बलिदान हो गए हैं, जानकारी है कि रविवार सुबह छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के ओरछा क्षेत्र में माओवादियों द्वारा बैनर टांगे जाने की सूचना पाकर सीएएफ की एक यूनिट कॉम्बिंग अभियान पर निकली थी, जहां बटुम गांव के समीप जंगलो में प्रधान आरक्षक का पैर माओवादियों द्वारा प्लांट किये गए आईडी के ऊपर आ गया, जिसके बाद हुए ब्लास्ट से उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
 
मृतक प्रधान आरक्षक की पहचान जशपुर के बाम्हणपुर गांव निवासी संजय लकड़ा के रूप में की गई है, संजय सीएएफ की 16वीं वाहिनी में पदस्थ थे, जानकारी है कि ब्लास्ट के बाद संजय के शव को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया जिसके बाद उनके शव को उनके पैतृक गांव ले जाया गया है।
 
पिछले एक सप्ताह में यह सातवीं हत्या
 
ज्ञात हो कि यह हत्या माओवाद प्रभावित छत्तीसगढ़ में माओवादियों द्वारा सुरक्षाबलों के जवानों की बीते एक सप्ताह में की गई सातवीं हत्या है जिससे क्षेत्र में पहले से ही माओवादियों के विरुद्ध चलाये जा रहे वृहद अभियानों में और तेजी लाये जाने की संभावना है, दरअसल बीते वर्षो में सुरक्षाबलों द्वारा बस्तर समेत छत्तीसगढ़ के सभी माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुनियोजित ढंग से फारवर्ड ऑपरेटिंग बेसेज की स्थापना की जा रही है जिसको लेकर माओवादियों की बौखलाहट अपने चरम पर है।
 
यही कारण है कि माओवादी छुट्टियों पर आए जवानों से लेकर कॉम्बिंग अभियानों में निकली टुकड़ियों पर भी घात लगाकर लगातार हमले कर रहे हैं, इस क्रम में अभी बीते सोमवार को ही छत्तीसगढ़ से सटे महाराष्ट्र सीमा पर मोटरसाइकिल से जा रहे दो निहत्थे जवानो पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर माओवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी, हत्या के बाद नक्सलियों ने जवानो की मोटरसाइकिल कप भी आग के हवाले कर दिया था, वहीं राज्य के अति माओवाद प्रभावित सुकमा जिले में भी शनिवार को खोजी अभियान पर निकले डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड्स (डीआरजी) की टुकड़ी पर घात लगाए माओवादियों ने हमला बोल दिया था।
 
यह हमला जगरगुंडा- बासागुड़ा मार्ग पर अभी हाल ही में स्थापित किये गए दो नवीन कैंपो के मध्य हुआ था जिसमें हुई गोलीबारी में तीन जवान बलिदान हो गए थे, जानकारी है कि यह हमला प्रतिबंधित माओवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की सबसे मजबूत सशस्त्र बटालियन माने जानी वाली बटालियन संख्या द्वारा किया गया था जिसमें लगभग 5-6 माओवादियों के भी मारे जाने की खबर है।
 
सिविलियन्स भी निशाने पर
 
बता दें कि सुरक्षाबलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियानों के कारण बौखलाए माओवादियों के निशाने पर बलों के अतिरिक्त वे जनप्रतिनिधि एवं नागरिक भी हैं जो इस कथित क्रांति से इतर विकास की मुख्यधारा में विश्वास जताते रहे हैं, इस क्रम में केवल इसी वर्ष नक्सलियों ने दसियों नागरिकों की हत्याएं की हैं।
 
लक्षित कर के की गई इन हत्याओं में प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रही भारतीय जनता पार्टी के भी चार पदाधिकारी शामिल हैं जिन्हें माओवादियों द्वारा लक्षित कर के मारा गया है।