देशभर में हिन्दु समाज के विरुद्ध जाति-जनजाति, बाहरी-मूलनिवासी और उत्तर-दक्षिण समेत विभिन्न प्रकार की षड्यंत्रकारी नीतियों को लागू कर अपनी राजनीति चमकाने वाली कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर हिन्दु विरोधी रंग दिखाया है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री के करीबी मंत्री ने कुछ ऐसे विवादित बयान दिए हैं, जो एक बार फिर सोनिया गांधी के ईसाई बैकग्राउंड के प्रभाव की ओर संकेत कर रहे हैं।
दरअसल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी एवं प्रदेश सरकार में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने विवादित बयान दिया है कि जनजाति हिन्दु नहीं हैं।
पहले से ही साम्प्रदायिकता की आग से झुलस रहे बस्तर की हवा में और जहर घोलता हुआ लखमा के इस विवादित बयान का पुरजोर विरोध हो रहा है।
कवासी लखमा ने सनातन संस्कृति के संवाहकों एवं मां दंतेश्वरी के उपासक जनजाति समाज के लिए कहा है कि हिंदुओं और जनजातियों के रीति-रिवाज अलग हैं और जनजाति समाज आदिकाल से रहने वाले लोग हैं, जो जंगल में रहते हैं।
लखमा ने कहा कि जनजाति समाज जो पूजा-पाठ करता है, वह हिंदुओं से अलग है।
कांग्रेस का हिन्दु विरोधी चरित्र दिखाते हुए लखमा ने कहा कि जनजाति समाज किसी आयोजन में गांव के पुजारी के पास जाता है, कोई पंडित से पूजा नहीं कराता, इसीलिए हिंदुओं से अलग है।
कवासी लखमा के इस हिन्दु विरोधी बयान के बाद छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ने स्पष्ट रूप से कहा है कि लखमा पढ़े लिखे नहीं हैं, इसीलिए वो सनातन धर्म के बारे में नहीं जानते हैं।
तोड़ेम ने आगे कहा कि जनजातियों के प्रमुख देवता शिव जी हैं, जिन्हें जनजाति बूढ़ादेव के नाम से जानते हैं, और इसमें कोई संदेह नहीं कि जनजाति हिन्दु ही हैं।
वहीं इस मामले में जनजातीय समाज के नेतृत्वकर्ता एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि कांग्रेस पार्टी जनजातियों को बांटना चाहती है।
उन्होंने कहा कि जनजाति भगवान गणेश की उपासना करते हैं, दशहरा जैसे पर्व मानाते हैं, वो हिन्दु ही हैं। केदार कश्यप ने आरोप लगाया कि यह सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की साजिश है कि जनजाति समाज को बांटा जाए।
कवासी लखमा के अलावा हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर संभाग के एक क्षेत्र का दौरा किया था, जिसमें उन्होंने एक और विवादित बयान देते हुए कहा था कि 'आदिकाल से निवास करने वाली जनजातियां आदिवासी हैं, आदिवासियों को वनवासी कहना गलत है।'
भूपेश बघेल ने कहा था कि हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि से पहले आदिवासी इस धरा पर रहते आए हैं, वही इन जंगलों के वास्तविक मालिक हैं।
दरअसल यह कांग्रेस पार्टी की परिपाटी रही है कि उसने हिंदुओं को बांटकर ही अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया है।
लेकिन सोनिया गांधी ने जब से कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली है, तब से कांग्रेस पार्टी का हिन्दु विरोधी रुख प्रत्यक्ष रूप से सामने आया है।
ईसाई समूहों को संरक्षण देना हो, या धर्मान्तरण कराने वालों को बढ़ावा देना हो, अर्बन नक्सल समूहों के पक्ष में खड़े होना हो या मिशनरियों के लिए जमीन तैयार करना हो, इन सभी मामलों को लेकर कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगते रहे हैं।
इसके अलावा बीते 8-9 वर्षों में यदि देखा जाए तो राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेताओं ने देश विरोधी तत्वों, हिन्दु विरोधी तत्वों, असामाजिक गतिविधियों से जुड़े लोगों एवं विदेशी षड्यंत्रकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले लोगों के साथ खड़े दिखाई दिए हैं।
कुछ समय पूर्व राहुल गांधी ने स्वयं यह बयान दिया था कि जनजाति समाज को 'वनवासी' ना कहा जाए।
राहुल गांधी ने जनजातियों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि आप हिंदुस्तान के पहले मालिक हो।
दरअसल यह राहुल गांधी का बयान हो या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कवासी लखमा की टिप्पणी, यह सभी वही एजेंडा है जो चर्च समेत विदेशी षड्यंत्रकारी शक्तियां भारत में प्रसारित करने का प्रयास कर रहीं हैं।
एक तरफ जहां सोनिया गांधी विवाह के पूर्व एक इतालवी कैथोलिक ईसाई परिवार से ताल्लुक रखती हैं, वहीं राहुल गांधी पर भी उनके ननिहाल का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।
इन पृष्ठभूमि के कारण भारत में ईसाई समूहों के लिए कांग्रेस पार्टी एवं उसके नेताओं के द्वारा थोड़ी नर्मी दिखाई जाती है।
जिस तरह केदार कश्यप ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जनजातियों को बांटने का कार्य कर रहीं है, यह बात भी सहीं नजर आती है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता के हिन्दु विरोधी बयान ने भी काफी विवाद पैदा किया था, जिसके बाद हिंदुओं ने आपत्ति जताई थी।
लेकिन हिंदुओं एवं उनके आराध्यों का अपमान करने के बाद भी किसी कांग्रेसी नेता ने भूपेश बघेल के पिता के बयान की निंदा नहीं की।
इन सब के साथ-साथ जनजातियों को अनदेखा करते हुए भूपेश बघेल के कुछ विधायकों ने पूर्व में ईसाई मिशनरियों का साथ देते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया था, जिसका परिणाम यह निकला कि नारायणपुर में ईसाइयों के एक बड़े समूह ने जनजाति ग्रामीणों पर हिंसक हमले किए।
एक और घटनाक्रम पर नजर डालें तो कांग्रेस के नेताओं के इन बयानों के पीछे की राजनीति समझ आने में आसानी होगी।
बीते वर्ष 9 नवंबर को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान नांदेड़ में चर्च के एक प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी से मुलाकात कर ईसाइयों के हित मे फैसले लेने के लिए कुछ मांग सामने रखी थी।
इस दौरान राहुल गांधी को भविष्य में प्रधानमंत्री बनने के बाद ईसाई बन चुके जनजातियों को लेकर भी चर्च के पक्ष में फैसले लेने के लिए एक ज्ञापन भी दिया गया था।
ईसाई समूह ने यह कहा था कि भारत के तमाम चर्चों में राहुल गांधी की सफलता के लिए दुआएं मांगी जा रही है।
इस मुलाकात के बाद ही राहुल गांधी ने वनवासी-जनजाति शब्द को लेकर भ्रमजाल फैलाना शुरू किया था।
इन सबके अलावा जिस तरह से राहुल गांधी और फिर बाद में भूपेश बघेल ने जनजाति समाज को भारत का असली मालिक कहा, वह भी ईसाइयों के द्वारा गढ़ी गई एक कहानी है जिसके माध्यम से उन्होंने अपने ब्रिटिश इसाई सत्ता के दौरान शासन और अत्याचारों को सही ठहराने का प्रयास किया है।
कुल मिलाकर यह देखा जा सकता है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से हिंदुओं को बांटने और तोड़ने का षड्यंत्र रच रही है।
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ साथ अलग-अलग क्षेत्रीय नेता समय-समय पर जनजातियों को हिंदू समाज से अलग करने के लिए विमर्श तैयार कर रहे हैं, जिसमें उनका साथ ईसाई मिशनरियां और कम्युनिस्ट लॉबी पूरी ताकत के साथ कर रहे हैं।
मां दंतेश्वरी की उपासना करने वाला, ढोलकल गणेश को पूजने वाला, दूल्हा देव, बूढ़ा देव को पूजने वाला, कंकालिन देवी को पूजने वाला और शाक्त परंपरा का निर्वहन करने वाला जनजाति समाज कांग्रेस और मिशनरियों के निशाने पर है, जो इनके अस्तित्व पर ही संकट लाना चाहते हैं, ताकि आसानी से इन्हें सनातनी जड़ों से काटा जा सके।