सरसंघचालक मोहन भागवत जी का बयान - भ्रम और सत्य

सरसंघचालक जी रविदास जयंती पर मराठी में भाषण कर रहें थे। उन्होंने मराठी में जिस पंडित शब्द का उपयोग किया उसका हिंदी अर्थ विद्वान से है न कि ब्राह्मण नाम के किसी वर्ग से।

The Narrative World    07-Feb-2023   
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संत रविदास जी की जयंती पर मराठी में भाषण देते हुए सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी ने जो कहा, उसके अनेकों अर्थ निकाले जा रहें हैं।


इन अर्थों में बहुत कुछ प्रायोजित ही है अन्यथा थोड़ी ही देर में हैशटैग #भागवतमाफीमांगो ट्रेंड नहीं होता, न ही यह विषय कुछ ही देर में सोशल मीडिया, मीडिया और समाचार पत्रों में नहीं आता।


संघ के सरसंघचालक जी के बयान को महत्व दिया ही जाना चाहिए, क्योंकि संघ आज समाज में सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी है।


लेकिन हर माह किसी बयान को तोड़कर, उसके संदर्भों को छुपाकर, भाषण कब,कहां,किस संदर्भ में कहा गया। इन सब अनिवार्य बिंदुओं को छुपाकर, एक "लॉबी" का बार -बार वक्तव्यों से छेड़छाड़ करना गलत ही है।


सरसंघचालक जी रविदास जयंती पर मराठी में भाषण कर रहें थे। उन्होंने मराठी में जिस पंडित शब्द का उपयोग किया उसका हिंदी अर्थ विद्वान से है न कि ब्राह्मण नाम के किसी वर्ग से।


और इसमें तो कोई दोहराव नहीं कि जातियों के व्यर्थ अहंकार ने हिन्दू समाज का बड़ा नुकसान किया हैं। जातीय अहंकार उसे होगा, जो स्वयं की जाति को ऊंचा मानता है और अन्य जातियों को निम्न। यह तंत्र तो ईश्वर ने नहीं बनाया, मनुष्य ने ही बनाया, तथाकथित विद्वानों ने ही बनाया जिन्हें अपने मराठी भाषण में सरसंघचालक जी ने "पंडित" कहा। पंडित से अर्थ यहां ब्राह्मण नहीं हैइसे स्पष्ट कर लीजिए।


वह "लॉबी" जो संघ का उसके जन्म से ही अंधविरोध कर रहीं वह तो करेगी ही, लेकिन हम लोग, हम क्यों प्रतिक्रियावाद के शिकार हो रहें है। मैं यह जानता हूं कि स्वयं को हिंदुत्व के लिए समर्पित कहने वाले, कई लोगो ने जब सरसंघचालक जी के बयान के विरोध में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी, उससे पहले उन्होंने वह बयान नहीं सुना, किसी पेपर की कटिंग, किसी प्रायोजित वेबसाइट की लिंक के आधार पर लिखने लगें कि संघ पंडितो का विरोधी है,खबर की सत्यता जाने बगैर।


यह जाने बगैर कि स्वयं ANI ने जल्दी न्यूज डिलीवर करने की हड़बड़ी अथवा अन्य किसी कारण से गलती की और बाद में सरसंघचालक जी के बयान पर स्पष्टीकरण दिया।


संघ ही नहीं ऐसे सभी विषयों में सबसे अच्छा है कि प्राथमिक जगह से कंटेंट को देख लिया,उसके संदर्भ, विषयवस्तु को समझा जाए और प्रतिक्रियावाद में न फंसे।


लेख


अमन व्यास