गढ़चिरौली माइंस में माओवादियों ने रुकवाया उत्पादन, कोंटा में भी मजदूरों से मारपीट

गढ़चिरौली जिला महाराष्ट्र में माओवादियों का गढ़ माना जाता रहा है जहां सूरजगढ़ माइंस को माओवादी पहले भी निशाना बनाते रहे हैं

The Narrative World    01-Mar-2023   
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प्रतिबंधित माओवादी (नक्सली/कम्युनिस्ट आतंकी) संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ( माओइस्ट) - सीपीआई (माओइस्ट) ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में तुगलकी फरमान जारी करते हुए ग्रामीणों को सूरजगढ़ स्थित आयरन ओर माइंस (लौह अयस्क खदान) में कार्य करने से रोक दिया है, जानकारी के अनुसार संगठन के दो वरिष्ठ माओवादियों ने इस संदर्भ में खदान में काम करने वाले कुल 13 गांवों के मजदूरों को कार्य ना करने की चेतावनी दी है।
 
जानकारी के अनुसार सीपीआई माओइस्ट के गिरिधर एवं रघु ने इस संदर्भ में ग्रामीणों को चेताते हुए कहा है कि आने वाले दिनों में खदान में काम बंद करने के अतिरिक्त माइंस में ऑपरेट कर रहे समूह ल्योड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड (एलएमइएल) के विरुद्ध बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा जिसमें प्रत्येक घर के एक सदस्य को सहभागिता दिखानी है।
 
सूचना है कि माओवादियों ने ग्रामीणों को यह चेतावनी ल्योड्स समूह द्वारा माइंस में उत्पादन को तीन गुना बढ़ाने के निर्णय के बाद किया गया है, दरअसल ल्योड्स समूह ने अभी हाल ही में खदान में वर्तमान में हो रहे तीन टन के उत्पादन को 10 टन तक ले जाने की बात कही है, अब आशंका जताई जा रही है कि समूह द्वारा की गई इस घोषणा को लेकर माओवादियों के साथ प्रोटेक्शन मनी को लेकर बात नहीं बन पाई है जिसको लेकर माओवादियों ने ग्रामीणों को सूरजगढ़ माइंस में काम बंद करने की चेतावनी दी है।
 
वहीं इस संदर्भ में समूह के अधिकारियों का कहना है कि माओवादियों की घोषणा के बाद कार्य पर आने वाले मजदूरों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है यहां तक कि समूह द्वारा वेलफेयर स्कीम के तहत महिलाओं के लिए खोले गए लघु उद्योग केंद्र में भी दैनिक उपस्थिति तेजी से घटी है।
 
बता दें कि गढ़चिरौली जिले का इत्तपल्ली तहसील महाराष्ट्र के उन गिने चुने क्षेत्रों में से है जहां अभी भी माओवादियों का अच्छा खासा प्रभाव है, दरअसल गढ़चिरौली जिला महाराष्ट्र में माओवादियों का गढ़ माना जाता रहा है जहां सूरजगढ़ माइंस को माओवादी पहले भी निशाना बनाते रहे हैं, छत्तीसगढ़ के सीमा से सटे इस क्षेत्र में स्थित लौह अयस्क की इस खदान को वर्ष 2016 में भी माओवादियों द्वारा निशाना बनाते हुए खदान के पास खड़ी दर्जनों गाड़ियों में आगजनी कर दी गई थी।
 
वहीं इस घटना के संदर्भ में बात करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल ने कहा है कि हमें घटना के संदर्भ में जानकारी मिली है, हमनें अपनी ओर से ग्रामीणों से संपर्क बढ़ा दिया है, हम क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही ग्रामीणों को यह समझा रहे हैं कि खदान में काम ना करने से उनके जीविकोपार्जन पर बुरा प्रभाव होगा, ज्ञात हो कि सूरजगढ़ खदान में स्थानीय जनजातीय समुदाय के लगभग 3500 मजदूर कार्यरत हैं।
 
माओवादियों ने मजदूरों को पीटा
 
वहीं माओवादियों से संबंधित एक अन्य विकास में छत्तीसगढ़ के धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्र में माओवादियों द्वारा मजदूरों को पिटे जाने एवं बोलेरो गाड़ी में आगजनी किये जाने की खबर सामने आई है।
 
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह घटना कोंटा- गोलापल्ली मार्ग पर घटी है, जहां माओवादियों द्वारा तीन मजदूरों को बेदम होने तक पीटा गया है, जानकारी है कि तीनों ही मजदूरों को उपचार के लिए कोंटा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार किया जा रहा है।
 

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सूचना के अनुसार माओवादियों ने बोलेरो वाहन में आगजनी के अतिरिक्त घटनास्थल पर एक हस्तलिखित पर्चा भी छोड़ा है जिसमें माओवादियों की कोंटा एरिया कमेटी ने घटना की जिम्मेदारी लेते हुए मजदूरों पर सुरक्षाबलों के लिए कार्य करने का आरोप मढ़ा है।