छत्तीसगढ़ : सुकमा में सुरक्षाबलों की माओवादियों से मुठभेड़, 6 माओवादी घायल, यूजीएल समेत विस्फोटक बरामद

जानकारी है कि यह मुठभेड़ लगभग 45 मिनट चली जिसके बाद जवानों को भारी पड़ता देख माओवादी अपने घायल साथियों के साथ जंगलो के भीतर भाग गए

The Narrative World    10-Mar-2023   
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त्तीसगढ़ के सुकमा में गुरुवार तड़के कॉम्बिंग अभियान पर निकले सुरक्षाबलों एवं माओवादियों (कम्युनिस्ट आतंकियों/ नक्सलियों) के बीच मुठभेड़ हुई है, जानकारी के अनुसार सुकमा जिले अंतर्गत स्थित डब्बामरका कैंप से एसटीएफ एवं सीआरपीएफ की एलीट यूनिट माने जाने वाले "कमांडो बटालियन फ़ॉर रेसोलुट एक्शन" (कोबरा) जवानो की एक संयुक्त टीम सिकलेर की ओर खोजी अभियान पर निकली थी तभी सिकलेर गांव के समीप उनकी माओवादियों से मुठभेड़ हो गई है।
 
सूचना के अनुसार जवानों की टीम जब सिकलेर गांव के समीप पहुंची तभी घात लगाए बैठे माओवादियों ने उन पर हमला बोल दिया, माओवादियों के इस हमले का सुरक्षाबलों ने भी जोरदार पलटवार किया जिसमें 5-6 नक्सलियों के गंभीर रूप से घायल होने की सूचना है, जबकि माओवादियों द्वारा की गई फायरिंग में सुरक्षाबलों के भी दो जवान घायल हो गए हैं।
 
घायल जवानो की पहचान कोबरा बटालियन संख्या 202 के निरीक्षक मुकेश कुमार मीणा एवं 208 वीं वाहिनी के अमित मोदक के रूप में की गई है, दोनों ही जवानों को प्रारंभिक उपचार के उपरांत सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
 
वहीं मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए सुकमा जिला पुलिस अध्यक्ष सुनील शर्मा ने बताया कि "गुरुवार सुबह जिले के किस्टाराम थाना क्षेत्र अंतर्गत सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम एवं माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई है जिसमें लगभग आधा दर्जन माओवादियों के घायल होने की सूचना है जबकि मुठभेड़ के दौरान हमारे दो जवानों को भी मामूली चोटें आईं हैं।"
 
जानकारी है कि यह मुठभेड़ लगभग 45 मिनट चली जिसके बाद जवानों को भारी पड़ता देख माओवादी अपने घायल साथियों के साथ जंगलो के भीतर भाग गए, वहीं माओवादियों के जाने के बाद सुरक्षाबलों द्वारा क्षेत्र की सघन जांच करने पर बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) समेत भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया गया है, जिसके बाद घायल हुए माओवादियों एवं दस्ते की धड़-पकड़ की दृष्टि से क्षेत्र में खोजी अभियान तेज कर दिया गया है।
 
अभियानों में लाई जा रही तेजी
 
बता दें कि छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में सुरक्षाबलों द्वारा माओवादियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियानों में बीते कुछ महीनों से तेजी लाई गई है जिससे क्षेत्र में दशकों से मजबूत जड़े बनाये माओवादियों को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है।
 
इसे ऐसे समझे कि बीते एक साल में ही राज्य के अति माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों ने अपनी स्थिति को बेहद मजबूत किया है और अब उनकी उपस्थिति उन क्षेत्रों में भी मजबूत हो चली है जिनमे कभी माओवादियों की तूती बोलती थी, इन बदली हुई परिस्थितियों के पीछे मोटे तौर पर केंद्र सरकार की सुरक्षा एवं विकास की साझी रणनीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसके माध्यम से सरकार दशकों से माओवाद का दंश झेल रहे क्षेत्रो में धीरे धीरे ही सही माओवादियों के भ्रम जाल को तोड़ने में सफल होते दिखाई दे रही है।
 
दरअसल जहां एक ओर इन क्षेत्रों में सरकार सुरक्षाबलों के नवीन कैंप स्थापित कर ग्रामीणों के भीतर सुरक्षा का भाव भर रही है तो दूसरी ओर विकास के कार्यों एवं क्षेत्र के जनजातीय समुदाय से आने वाले युवाओ को भर्तियों में वरीयता दिए जाने से माओवादियों के गढ़ रहे इन क्षेत्रों में अब विकास विरोधी माओवादियों का स्याह चेहरा उजागर होता दिखाई दे रहा है।