पॉजिटिव नैरेटिव : यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या में लगातार दूसरे वर्ष भारत ने चीन को पछाड़ा

भारत की 23 कंपनियों ने वर्ष 2022 में 1 बिलियन डॉलर का मूल्यांकन हासिल किया है। भारत ने लगातार दूसरे वर्ष सर्वाधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या में चीन को मात दी है।

The Narrative World    16-Mar-2023   
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भारत लगातार स्टार्टअप यूनिकॉर्न के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी राष्ट्र बनते जा रहा है। एक तरफ जहां वर्ष
2021 में चीन कर केवल 21 स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया था, वहीं भारत की 44 कंपनियां यूनिकॉर्न बनी थी।


अब इसी क्रम को जारी रखते हुए वर्ष 2022 में भी भारत ने चीन को पछाड़ कर बाजी मारी है।


चीन में वर्ष 2022 में यूनिकॉर्न बनने वाली स्टार्टअप कंपनियों की संख्या जहां 11 रही, वहीं भारत में यह संख्या 23 रही है।


भारत की 23 कंपनियों ने वर्ष 2022 में 1 बिलियन डॉलर का मूल्यांकन हासिल किया है। भारत ने लगातार दूसरे वर्ष सर्वाधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या में चीन को मात दी है।


आईवीसीए-बेन एंड कंपनी की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि भारत में यूनिकॉर्न वाली कंपनियों की संख्या वर्ष 2022 तक 96 हो गई थी।


वर्ष 2016 में जब भारतीय प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से स्टार्ट अप इंडिया की शुरुआत करने की घोषणा की थी तब किसी ने नहीं सोचा था कि भारत 6 वर्षों के बाद इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगा।


वर्तमान में भारत में 107 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनियां हैं। इन कंपनियों का मूल्यांकन लगभग 340 बिलियन डॉलर से भी अधिक है।


भारत के अंदर जिस तरह से यह स्टार्टअप क्रांति की अलख जगी है वह केवल बड़े शहरों या महानगरों तक सीमित नहीं है।


एक आंकड़े के अनुसार लगभग 52% स्टार्टअप टियर - 2 और टियर - 3 शहरों से हैं।


भारत में सामने आने वाले स्टार्टअप लगभग सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं जिसमें आईटी, कृषि, विमान, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर शामिल हैं।


बेन एंड कंपनी की रिपोर्ट में वर्ष 2022 को लेकर कहा गया है कि कुल फंडिंग के नजरिए से यदि देखें तो इसमें गिरावट नजर आई है लेकिन भविष्य में इसे लेकर बेहतर उम्मीद है।


हालांकि यह भी कहा गया है कि दुनियाभर में स्टार्टअप तंत्र को मूलभूत बदलावों का सामना करना पड़ा है और इसके परिणाम स्वरूप कई नियामक चुनौतियां, छटनी एवं कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दे के कारण उनके सामने चुनौतियां आई हैं।


रिपोर्ट की बात को समझने से यह पता चलता है कि पूरी दुनिया के सामने जिस तरह से आर्थिक अनिश्चितता और निवेश को प्रभावित करने वाली मंदी खड़ी है बावजूद इसके भारतीय स्टार्टअप तंत्र में अद्भुत कार्य किया है।


अर्थव्यवस्था के डगमगाने की आशंका के बीच भी भारतीय स्टार्टअप तंत्र ने चीन को पूरी तरह से पछाड़ दिया है।


रिपोर्ट में एक जानकारी यह भी सामने आई है कि फंडिंग में गिरावट के बावजूद शुरुआती का निवेश जारी रहा है।


इन सबके अलावा स्टार्टअप की कुल फंडिंग में छोटे शहरों से शुरू किए गए स्टार्टअप को मिलने वाले निवेश में लगभग 18% की बढ़ोतरी देखी गई है।


विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में वृद्धि के असीमित विकल्प मौजूद हैं जिसके कारण हैं यहां वैश्विक निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ है।


एक तरफ जहां यूरोपीय देश मंदी के मुहाने पर खड़े हैं, वहीं दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था ने अभी तक खुद को संभाले रखा है।


भारत में स्टार्टअप तंत्र की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि देश में करीब 40% से अधिक स्टार्टअप का प्रतिनिधित्व महिलाएं कर रही हैं। भारत की नारी शक्ति को पूरा विश्व देख रहा है।


भारतीय स्टार्टअप तंत्र ने एक तरफ जहां भारत की अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व योगदान दिया है वहीं दूसरी ओर इस पूरी प्रणाली के कारण भारत में लाखों नौकरियां सृजित की गई हैं।


आंकड़ों के अनुसार भारत में स्टार्टअप के कारण करीब 9 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। कई युवा अब स्टार्टअप के साथ मिलकर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।


केंद्र सरकार की नीतियों के अलावा दिलचस्प बात यह है कि देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी स्टार्टअप नीतियां भी मौजूद हैं, जो युवा उद्यमियों को एक सकारात्मक माहौल प्रदान कर रही हैं।