ईसाई बिशप समेत मिशनरी संस्थानों पर ईडी का शिकंजा, विदेशी फंडिंग से लेकर अंडरवर्ल्ड तक का कनेक्शन आया सामने

चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया की दिल्ली इकाई के पूर्व बिशप वारिस मसीह ने इस विषय पर बात करते हुए कहा था कि पीसी सिंह ने विभिन्न प्रदेशों में चर्च की जमीन और विद्यालयों की जमीन को अवैध रूप से बेचकर घोटाला किया है।

The Narrative World    17-Mar-2023   
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देशभर में वित्तीत अपराधों से जुड़े मामलों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय
(ईडी) के द्वारा विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।


इसी क्रम में ईडी ने चर्च से जुड़े लोगों, मिशनरी संस्थाओं एवं उससे जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की है।


प्रवर्तन निदेशालय ने चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) के के बर्खास्त बिशप पीसी सिंह और उसके करीबी सुरेश जैकब के ठिकानों पर लगातार दो दिन कार्यवाई जारी रखी है।


इस दौरान ईडी की टीम ने क्राइस्ट चर्च बालक और क्राइस्ट चर्च बालिका विद्यालय के कार्यालयों में भी जांच की है।


ईडी की इस जांच में कई जानकारियां सामने आई हैं। पूछताछ में यह भी पता चला है कि सीएनआई के माध्यम से ईसाई बिशप को इंग्लैंड से फंडिंग की जाती थी।


प्रवर्तन निदेशालय की पूरी टीम अभी से संबंधित सभी दस्तावेजों को जुटाने का प्रयास कर रही है ताकि इंग्लैंड एवं अन्य विदेशी स्थानों से फंड की पूरी जानकारी मिल सके।


बीते वर्ष आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने भी जबलपुर में ही बिशप के विरुद्ध कार्यवाई की थी, जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी थी।


इस कार्रवाई के बाद चर्च और उससे जुड़े लोगों के द्वारा किए जा रहे व्यापक भ्रष्टाचार की सच्चाई भी बाहर आई थी।


द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया के तत्कालीन चेयरमैन ईसाई बिशप पीसी सिंह के घर में की गई इस छापेमारी में 1.65 करोड़ रुपये की नगदी सहित बड़ी मात्रा में संपत्ति बरामद की गई थी।


सामने आई जानकारी के अनुसार ईसाई बिशप के घर से मिली नगदी को गिनने के लिए नोट गिनने की मशीन का उपयोग किया गया था। इसके अलावा ईसाई बिशप के घर से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी बरामद की गई थी।


मिली जानकारी के अनुसार ईसाई बिशप पीसी सिंह पर 2.70 करोड़ रुपये गबन करने का आरोप लगा था।


दरअसल जांच एजेंसी को नगदी पैसों के अलावा 17 संपत्तियों के दस्तावेज, 48 बैंक खातों के दस्तावेज, 1 किलो से अधिक सोने के जेवर प्राप्त हुए थे।


मिली जानकारी के अनुसार ईसाई बिशप पीसी सिंह मूल रूप से बिहार का रहने वाला है, उसने किशोरावस्था में ईसाई धर्म अपनाया था।


शुरुआत में वह पास्टर बना फिर बिशप बनने के बाद उसने चर्च के विद्यालयों के पैसों को ईसाई धर्म से जुड़े कार्यों में खर्च कर करीब 2.70 करोड़ रुपये का गबन किया।


पीसी सिंह और चर्च के कारनामें


दरअसल चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया भारत में चर्च का सबसे बड़ा संगठन है। यह संगठन दक्षिण भारत के चर्च को छोड़कर शेष भारत के अधिकांश चर्च से जुड़ा हुआ है। यह देश की सबसे बड़ी ईसाई मिशनरी संस्था है।


ईसाई बिशप पीसी सिंह इसी संस्था का मॉडरेटर भी था। पीसी सिंह पर चर्च के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप पहले भी लग चुका है।


चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया की दिल्ली इकाई के पूर्व बिशप वारिस मसीह ने इस विषय पर बात करते हुए कहा था कि पीसी सिंह ने विभिन्न प्रदेशों में चर्च की जमीन और विद्यालयों की जमीन को अवैध रूप से बेचकर घोटाला किया है।


इसके अलावा उन्होंने बताया कि पीसी सिंह ने शासकीय जमीनों का भी हेरफेर किया है।


इसके अलावा वारिस मसीह ने यह भी आरोप लगाया था कि पीसी सिंह के बड़े लोगों से संबंध हैं, इसी कारण उसपर कोई कार्यवाई नहीं होती।


ईसाई संस्था से ही जुड़े जबलपुर सीनेट के नितिन लारेंस ने भी पीसी सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे।


लारेंस का कहना था कि इस ईसाई बिशप ने 300 करोड़ की भूमि को अवैध रूप से लीज पर दिया है।


इसके अलावा उस पर भारत के विभिन्न नगरों में 100 से अधिक केस दर्ज है। पीसी सिंह पर यह भी आरोप लगा है कि उसने विद्यालयों के पैसों से ईसाई पादरियों को वेतन देने का कार्य किया है।


अंडरवर्ल्ड और राजनीतिक कनेक्शन


ईसाई बिशप पीसी सिंह पर भ्रष्टाचार और पैसों के गबन का ही नहीं, बल्कि अंडरवर्ल्ड कनेक्शन और बड़े राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण का भी आरोप लगा है।


दरअसल नितिन लारेंस ने पीसी सिंह पर आरोप लगाया था कि उसने दाऊद के सहयोगी रियाज भाटी को चर्च की जमीन लीज़ पर दी है।


इसके अलावा यह भी आरोप लगे हैं कि पीसी सिंह ने भ्रष्टाचार के द्वारा अर्जित किए गए पैसों से देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।


पीसी सिंह पर यह भी आरोप लगे हैं कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण मिल रहा है।


यह भी जानकारी सामने आई है कि उत्तरप्रदेश के चुनाव में पीसी सिंह ने गुप्त रूप से एक विशेष दल के लिए प्रचार किया था।


पीसी सिंह राजनीतिक दलों को फंडिंग करने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध मतांतरण की गतिविधियों में भी इन पैसों का उपयोग कर रहा था।