राज्य में हो रही लक्षित हत्याओं के बीच भूपेश सरकार ने दी नई नक्सल उन्मूलन नीति को स्वीकृति

बता दें कि जनजातीय बाहुल्य छत्तीसगढ़ राज्य, देश भर में माओवाद आधारित हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहा है

The Narrative World    18-Mar-2023   
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त्तीसगढ़ में माओवाद (नक्सलवाद/कम्युनिस्ट आतंक) के मुद्दे पर चौतरफा घिरती राज्य सरकार ने बढ़ते दबाव की दृष्टि से नई नक्सल नीति को स्वीकृति दी है, राज्य सरकार की इस नई नक्सल उन्मूलन नीति को शुक्रवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति दी गई है जिसमें विकास, विश्वास एवं सुरक्षा जैसे तीन मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कैबिनेट में नई नीति को स्वीकृति देते हुए इसे लागू करने एवं इसकी अधिसूचना जारी करने से पूर्व किये जाने वाले संसोधनों के लिए दो माह की समय सीमा तय की गई है।
 
राज्य सरकार द्वारा लाई गई इस नई नीति में सरकार ने स्थानीय माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण को बढ़ावा देनी की दृष्टि से आत्मसमर्पण पर मिलने वाली शासकीय सहायता राशि में परिवर्तन को स्वीकृति दी गई है, इस क्रम में पूर्व में राज्य सरकार द्वारा आत्मसमर्पण पर दी जाने वाली तात्कालिक सहायता राशि को 10000 से बढ़ाकर अब 25000 रुपये कर दिया गया है जबकि वहीं समर्पण के दौरान प्रति राउंड 5 रुपये की दर से दी जाने वाली राशि को भी बढ़ाकर प्रति राउंड 50 रुपये देने का निर्णय लिया गया है।
 
वहीं राज्य में सक्रिय शिर्ष इनामी कमांडरों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करने की दृष्टि से भी सरकार ने घोषणा की है कि पांच लाख के इनामी सक्रिय माओवादियों को आत्मसमर्पण के बाद 10 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान की जाएगी, यह राशि संबंधित माओवादी पर घोषित इनाम के अतिरिक्त प्रदान की जाएगी, जानकारी के अनुसार राज्य सरकार उक्त राशि को आत्मसमर्पण के तीन वर्ष के उपरांत नक्सली के चाल-चरित्र की समीक्षा के बाद संबंधित व्यक्ति के खाते में जमा कराएगी।
 
कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने माओवादी हिंसा से पीड़ित परिवारों को भी शासकीय सहायता देने की घोषणा की है, नई नीति के तहत परिवार के लिए आजीविका अर्जित करने वाले व्यक्ति की माओवादी हमलें में मृत्यु होने पर सरकार द्वारा परिवार के अन्य किसी व्यक्ति को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की घोषणा की गई है, नई नीति के अनुसार यदि सरकार द्वारा संबंधित व्यक्ति को नियुक्ति नहीं दी जाती तो उसके एवज में पीड़ित परिवार द्वारा कृषि भूमि क्रय करने के लिए 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता एवं 3 वर्ष के भीतर भूमि क्रय करने पर 2 एकड़ भूमि पर स्टाम्प ड्यूटी/पंजीयन शुल्क में पूर्ण छूट देने का प्रावधान किया गया है।
 
नागरिक एवं जनप्रतिनिधि रहे हैं निशाने पर
 
बता दें कि जनजातीय बाहुल्य छत्तीसगढ़ राज्य, देश भर में माओवाद आधारित हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहा है जहां बीते वर्षों में सुरक्षाबलों की बढ़ती उपस्थिति से बौखलाए माओवादियों द्वारा आम नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों को लक्षित कर निशाना बनाया गया है, इस क्रम में प्रदेश में वर्ष 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही माओवादियों ने लक्षित कर के अब तक कुल 18 जनप्रतिनिधियों की हत्या की है, आश्चर्यजनक रूप से इनमें से अधिकांश विपक्षी भारतीय जनता पार्टी से संबंधित कार्यकर्ता रहे हैं।
 
वहीं राज्य में अपने वर्तमान कार्यकाल के अंतिम वर्ष में प्रवेश कर चुकी कांग्रेस सरकार प्रदेश में माओवादी हिंसा से सामान्य नागरिकों की सुरक्षा करने के मुद्दे पर भी बुरी तरह से विफल रही है, इसे ऐसे समझे कि बीते वर्ष में ही प्रदेश के अलग अलग जिलों में माओवादियों द्वारा लगभग 3 दर्जन (कम से कम 30) निर्दोष नागरिकों की लक्षित हत्याएं की गई है, इनमें से ज्यादातर हत्याएं सामान्य पृष्टभूमि से आने वाले किसानों एवं युवाओं की हुई हैं जिन्हें माओवादियों द्वारा पुलिस मुखबिर बताकर निर्ममता से मारा गया है।
 
जारी है हिंसा का क्रम
 
राज्य में माओवादियों द्वारा लक्षित कर के की जा रही हिंसा का क्रम इस वर्ष भी जारी है, इस क्रम में बीते जनवरी एवं फरवरी में ही भाजपा से संबंधित तीन कार्यकर्ताओं की लक्षित हत्या की गई है जबकि एक अन्य भाजपा नेता की हत्या कर उसे सड़क दुर्घटना दिखाने का प्रयास करने की बात सामने आई है, आंकड़ों की बात करें तो इस वर्ष केवल बीते ढाई महीनों में ही माओवादियों द्वारा एक 26 वर्षीय छात्र सहित 7 नागरिकों की हत्या की गई है, जबकि अन्य तीन नागरिकों की हत्या में भी माओवादियों का हाथ होने की आशंका जताई गई है।
 
अब ऐसे में राज्य सरकार द्वारा लाई गई माओवाद उन्मूलन की यह नई नीति कितनी सफल होगी यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा है वर्तमान के लिए तो यह कहने में गुरेज नहीं कि केंद्र सरकार द्वारा निरंतर दिए जा रहे आर्थिक सहयोग एवं केंद्रीय सुरक्षाबलों की उपस्थिति के बावजूद छत्तीसगढ़ भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां माओवादी ना केवल अब भी मजबूती से जड़े जमाएं बैठे हैं अपितु स्थानीय पुलिस का आसूचना तंत्र लक्षित कर के की जा रही नागरिकों की हत्या रोकने में भी बुरी तरह असफल रहा है।