अवैध ईसाई कन्वर्जन के कारण बस्तर में फिर साम्प्रदयिक तनाव, पत्थरबाजी में 4 जवान घायल

डिलमिली में हुआ मामला हो, नारायणपुर की हिंसक घटना हो या अब तोकापाल में चल रहा विवाद हो, इन सब के पीछे का एक ही कारण है "ईसाइयों के द्वारा किया जा अवैध कन्वर्जन", जब तक इसे नहीं रोका जाएगा, तब तक स्थितियां ऐसे ही गंभीर होती रहेगी और धीरे-धीरे पूरा समाज ही आपसी द्वेष की चपेट में आ जाएगा।

The Narrative World    21-Mar-2023   
Total Views |

Representative Image
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में अवैध कन्वर्जन के माध्यम से ईसाई मिशनरियों ने जो जहर बोया है, उसके अब दुष्परिणाम आते हुए दिखाई दे रहे हैं।


एक तरफ जहां नारायणपुर में ईसाइयों के आतंक से जनजाति समाज ना सिर्फ परेशान है, बल्कि आक्रोशित है, वहीं दूसरी ओर अब बस्तर जिले में भी साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति देखने को मिल रही है।


मिली जानकारी के अनुसार जिले के तोकापाल ब्लॉक के भीतर उपजे इस साम्प्रदयिक तनाव की स्थिति के कारण 4 पुलिस जवान घायल हो गए हैं।


स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है, वहीं क्षेत्र के प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी माहौल को शांत करने में जुट गए हैं।


हालांकि माहौल तो शांत हो जाएगा लेकिन जिस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है, उसके मूल को समझना आवश्यक है।


सबसे पहले बात करते हैं वर्तमान घटना की। दरअसल तोकापाल ब्लॉक के भेजरी पदर गांव में धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन चुकी महिला की मौत के बाद यह स्थिति निर्मित हुई है।


मृतक महिला के अंतिम संस्कार को लेकर जनजाति समाज और ईसाइयों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि पूरे क्षेत्र में पुलिस फोर्स तैनात करनी पड़ी।


स्थानीय जनजातियों समेत मृतका के परिजनों का कहना है कि वे मृत महिला का अंतिम संस्कार जनजातीय परंपरा, रीति-रिवाज एवं पुरखों की सिखाई हुई संस्कृति के अनुसार करना चाहते हैं।


लेकिन ईसाई समूह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि चूंकि महिला ईसाई बन चुकी थी, अतः उसका अंतिम संस्कार ईसाइयों की 'विदेशी रीति-रिवाज और परंपरा' के माध्यम से होगा। इस मामले को लेकर गांव में विवाद छिड़ गया है।


ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार भेज पदर गांव में 58 वर्षीय महिला की बीते रविवार को मौत होने के तत्काल बाद ईसाइयों द्वारा अपने रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करने की मांग करने के बाद क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है।


मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे पंचायत क्षेत्र में बीते वर्षों में ईसाई मिशनरियों ने अवैध कन्वर्जन के माध्यम से अधिकांश लोगों को ईसाई बना लिया है।


स्थिति ऐसी है कि अब यह क्षेत्र ईसाई बाहुल्य क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। स्थानीय पुलिस के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि यह क्षेत्र ईसाई बहुल हो चुका है।


अब ऐसी परिस्थितियों में जहां ईसाइयों की संख्या स्थानीय जनजातियों से अधिक हो रही है, वहाँ इस तरह से साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति निर्मित होना, एक पैटर्न की ओर इशारा करता है।


ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्र के चलते तोकापाल में रविवार शाम से ही स्थिति उग्र हो चुकी थी, जिसके बाद पूरे क्षेत्र को छावनी के रूप में तब्दील कर दिया गया है।


स्थिति ऐसी है कि बस्तर जिले के कलेक्टर, एडिशनल एसपी, सीएसपी, एसडीओपी एवं टीआई समेत दर्जनों एसआई मौके पर मौजूद थे। कुछ डीआरजी जवानों और तीन पुलिस थानों के जवानों को भी एहतियातन क्षेत्र में तैनात किया गया है।


इन सब के बावजूद सोमवार को पत्थरबाजी देखी गई, जिसमें 4 जवान घायल हुए हैं।


जिले में पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना


बस्तर जिले में इस तरह की घटना का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले बीते वर्ष अगस्त-सितंबर माह में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी।


जिले के डिलमिली ग्राम पंचायत में ईसाई बन चुके एक परिवार में अपने परिवार की एक मृत महिला का अंतिम संस्कार जनजातियों के अंतिम संस्कार की भूमि पर कर दिया था।


इस मामले के विरोध में आसपास के क्षेत्र के सभी गांव में ईसाई मृतक के शव को दफनाने का जमकर विरोध किया और जनजाति ग्रामीणों ने विरोध स्वरूप जगदलपुर से दंतेवाड़ा जाने वाली नेशनल हाईवे पर चक्काजाम कर दिया था।


इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों का कहना था कि जनजाति समाज क्षेत्र में लगातार ईसाइयों के द्वारा किए जा रहे हैं कन्वर्जन का विरोध कर रहा है, बावजूद इसके ईसाई समूह अपने अनैतिक गतिविधियों में लगा हुआ है।


स्थानीय ग्रामीणों का कहना था कि वे बिल्कुल नहीं चाहते कि उनके मुक्तिधाम में किसी भी ईसाई धर्म के व्यक्ति का ईसाई रीति रिवाज से अंतिम संस्कार हो।


स्थानीय जनजातीय ग्रामीणों का यह भी कहना है कि उनके क्षेत्र के ईसाई समुदाय के लोग जानबूझकर ऐसा करते हैं जिससे जनजातियों की संस्कृति अपवित्र होती है।


दरअसल ईसाई समूह के लोगों ने क्षेत्र में अवैध कन्वर्जन के माध्यम से ईसाई लोगों की संख्या तो बड़ा ली है लेकिन आधिकारिक रूप से दस्तावेज में उन लोगों ने स्वयं को ईसाई नहीं बताया है।


यही कारण है कि वे लोग क्षेत्र में जनजातियों की भूमि पर कब्जा कर, उन्हें अपवित्र कर रहे हैं। बस्तर के आम जनजाति ग्रामीण की यही राय है।


क्या है कारण ?


बस्तर की भूमि सनातन संस्कृति के संवाहकों अर्थात जनजाति समाज की भूमि रही है।


मां दंतेश्वरी की आराधक, बड़ा देव और बूढ़ा देव के उपासक एवं माता शीतला को मानने वाले जनजाति समाज को पथभ्रष्ट और दिग्भ्रमित कर ईसाई बनाया जा रहा है, जिसके कारण अब क्षेत्र में वैमनस्यता अपने चरम पर पहुंच गई है।


“डिलमिली में हुआ मामला हो, नारायणपुर की हिंसक घटना हो या अब तोकापाल में चल रहा विवाद हो, इन सब के पीछे का एक ही कारण है 'ईसाइयों के द्वारा किया जा अवैध कन्वर्जन', जब तक इसे नहीं रोका जाएगा, तब तक स्थितियां ऐसे ही गंभीर होती रहेगी और धीरे-धीरे पूरा समाज ही आपसी द्वेष की चपेट में आ जाएगा।”