छत्तीसगढ़ में माओवादियों द्वारा लगाई गई आईडी की चपेट में आने से जवान बलिदान, वहीं गृहमंत्री के दौरे से बौखलाए माओवादियों ने जारी की विज्ञप्ति

बलिदानी जवान के पार्थिव शरीर को भैरमगढ़ थाने लाया गया है, जबकि क्षेत्र में माओवादियों की धर पकड़ को सघन खोजी अभियान चलाया जा रहा है

The Narrative World    27-Mar-2023   
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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में माओवादियों द्वारा प्लांट किये गए प्रेशर आईडी बम की चपेट में आने से सुरक्षाबल के एक जवान के बलिदान होने की सूचना है, घटना माओवाद प्रभावित बीजापुर जिले के मिरतुर की बताई जा रही है, बलिदानी जवान की पहचान उत्तरप्रदेश के बलिया जिला निवासी विजय यादव के रूप में की गई है।
 
जानकारी है कि बीजापुर जिले अंतर्गत मिरतुर थाना क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा था जिसकी देखरेख को एटामेल एवं तिमेनार कैंप से दो अलग अलग टीमों को रवाना किया गया था इसी क्रम में खोजी अभियान चला रहे जवानों की टीम जब सुबह 8 बजे के आसपास टेकरी गांव के समीप पहुंची तो जवान विजय यादव का पैर माओवादियों द्वारा प्लांट किये गए प्रेशर आईडी पर चला गया जिससे हुए विस्फ़ोट में वे बलिदान हो गए।
 
विजय यादव छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) की 19वीं वाहिनी में सहायक प्लाटून कमांडर के रूप में तैनात थे, जानकारी है कि बलिदानी जवान के पार्थिव शरीर को भैरमगढ़ थाने लाया गया है, जबकि क्षेत्र में माओवादियों की धर पकड़ को सघन खोजी अभियान चलाया जा रहा है।
 
ज्ञात हो कि धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को नुकसान पहुँचाने की दृष्टि से माओवादी आईडी बम प्लांट करते रहे हैं, इन क्षेत्रों में प्लांट किये गए इन आईडी बमों से सुरक्षाबलों के जवानों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में ग्रामीण भी इसका शिकार होते रहे हैं।
 
माओवादियों ने जारी की विज्ञप्ति
 
वहीं राज्य में माओवादियों से संबंधित एक अन्य विकास में प्रतिबंधित माओवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) ने केंद्रीय गृहमंत्री के बस्तर दौरे को लेकर विज्ञप्ति जारी की है, विज्ञप्ति में माओवादियों ने गृहमंत्री द्वारा माओवाद के विरुद्ध युद्ध को आखिरी चरण में बताए जाने की आलोचना करते हुए क्षेत्र के लोगों से बयान की निंदा करने की अपील की है।
विज्ञप्ति में माओवाद के विरुद्ध केंद्र सरकार की निर्णायक नीति की आलोचना करते हुए माओवादियों ने दावा किया कि माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा कुल 125 नए कैंप स्थापित किये गए हैं, जिनमे से केवल बस्तर में ही पिछले दो वर्षो के दौरान 53 कैंप खोलने की बात की गई है।
 
वहीं आश्चर्यजनक रूप से विज्ञप्ति में सीआरपीएफ के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए माओवादियों ने दावा किया कि केंद्र सरकार उनका उपयोग प्यादों के रूप में कर रही है और उनका संघर्ष सीआरपीएफ से ना होकर समानता एवं आदिवासियों के जल जंगल एवं जमीन के संरक्षण के लिए है।
 
क्या है वास्तविकता
 
दरअसल बीते कुछ वर्षो में छत्तीसगढ़ समेत देशभर के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में वर्तमान केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में सुरक्षाबलों द्वारा वृहद अभियान चलाया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप कभी धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्र माने जाने वाले क्षेत्रों में भी सुरक्षाबलों की मजबूत हुई है।
 
इन क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की मजबूत होती स्थिति ने दशकों से विकास की मुख्यधारा से दूर रहे क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति दी है, अब सुरक्षा एवं विकास की इस साझी रणनीति ने ना केवल इन क्षेत्रों में दशकों से स्थापित माओवादियों के वर्चस्व को व्यापक चुनौती दी है अपितु इनमें से अधिकांश क्षेत्रों को तो माओवादी हिंसा के दंश से मुक्त भी करा लिया गया है, वहीं ऐसे क्षेत्र जिनमें अभी भी माओवादी संगठन प्रभावी रूप से सक्रिय है वहां भी सुरक्षाबलों द्वारा अभियान चलाए जाने की तैयारियां जोरों पर है।
 
इसी क्रम में विकास कार्यों एवं सुरक्षाबलों की तैयारियों की समीक्षा करने बीते शुक्रवार को गृहमंत्री बस्तर के जगदलपुर भी पहुंचे थे जहां सुरक्षाबलों का उत्साहवर्धन करते हुए गृहमंत्री ने माओवाद के विरुद्ध युद्ध को अंतिम दौर में बताया था, अब गृहमंत्री के इस बयान को लेकर माओवादियों की बौखलाहट अपने चरम पर है विशेषज्ञों की मानें तो माओवादियों की ये बौखलाहट आने वाले महीनों में सुरक्षाबलों द्वारा उनके प्रभाव वाले बचे खुचे क्षेत्रों में वृहद अभियान चलाये जाने के भय से संबंधित है जो उनके लिए सीधे सीधे समानता की इस कथित क्रांति के अस्तित्व बचाये रखने से जुड़ा है।