मध्य प्रदेश के मिशनरी स्कूल : एक ही काम धर्मांतरण, मतान्तरण और ईसाईयत का फैलाव

इस पूरे मामले को लेकर डॉ. निवेदिता शर्मा राज्‍य बाल संरक्षण आयोग सदस्‍य से बात की गई तो उनका कहना है कि निरीक्षण के दौरान स्कूल में बड़ी मात्रा में धर्म विशेष से संबंधित प्रचार-प्रसार की सामग्री बरामद की गई है। विद्यालय के प्राचार्य और अन्‍य स्‍टाफ का कोई पुलिस वेरिफिकेशन नहीं मिला, जबकि स्कूल के प्राचार्य पर पहले धारा 376 का मुकदमा चल चुका है।

The Narrative World    29-Mar-2023   
Total Views |

Representative Image

मध्य प्रदेश के मुरैना के जिला केंद्र पर राज्य बाल संरक्षण आयोग को अपनी जांच किए दो दिन भी नहीं हुए थे कि ग्वालियर जिले के डबरा तहसील स्थित सिमरिया पर बने सेंट पीटर स्कूल में बालकों के साथ विद्यालय में जहां सुविधाओं के अभाव के बावजूद मोटी फीस वसूली की जाती हुई पाई गई।


वहीं स्‍कूल संचालन की मान्‍यता नहीं होने के साथ ही ईसाई धर्मांतरण संबंधी बड़ी मात्रा में प्रचार सामग्री का जखीरा बरामद हुआ है। जिसके बाद कहना होगा कि प्रदेश के किसी भी कोने में आप चलें जाएं वहां चल रहे ईसाई मिशनरी के स्कूल आपको शिक्षा की आड़ में बिना किसी प्रशासनिक भय के ईसाईयत का प्रचार एवं धर्मांतरण कराते नजर आएंगे, जबकि राज्य में धर्मांतरणरोधी ''धर्म स्वातंत्र्य कानून'' बना हुआ है।


हर कक्षा में क्रॉस, ईशू, बाईबिल उद्धरित


दरअसल, डबरा तहसील के सिमरिया पर बने सेंट पीटर स्कूल में जब मप्र राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा और ओंकार सिंह पहुंचे तो परिसर के हालात देखकर हतप्रभ रह गए, हर कक्षा में न सिर्फ क्रॉस, ईशू, बाईबिल को उद्धरित किया गया था बल्कि प्रार्थना की विशेष पुस्तिकाएं भी जगह-जगह पाई गईं, जिनका कि पाठ सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है।


विद्यालय में अवैध तरीके से रह रही हैं ननें


इतना नहीं तो विद्यालय के अंदर कई ननों का पाया जाना और बिना आवासीय अनुमति के यहां आवास का मिलना तथा इन सभी की उपस्थिति के साथ विशेष कमरे में धर्माप्रचार संबंधी सामग्री का बड़ी मात्रा में जखीरा मिलना साफ बता रहा है कि कई वर्षों से लगातार बिना किसी रोक-टोक के यहां ईसाई मतांतरण कराया जा रहा है।


बाहर से आए ईसाई प्रचारकों के लिए रुकने की सर्वसुविधायुक्त आवास व्यवस्था को देखकर दोनों बाल आयोग सदस्य अचंभित रह गए और उन्होंने स्कूल के प्राचार्य फादर दिलीप नंदा से पूछा भी कि यह धर्मप्रचार की सामग्री स्कूल में क्या कर रही है? लेकिन वे कोई भी संतोष जनक जवाब नहीं दे पाए।


स्‍कूल के पास नहीं है विद्यालय संचालन की मान्‍यता


स्कूल संचालक से जब विद्यालय की मान्‍यता संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो प्रबंधन आवश्‍यक दस्तावेज भी उपलब्‍ध नहीं करा पाया। जिसको लेकर आयोग सदस्‍यों ने नाराजगी व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि बिना मान्यता के विद्यालय संचालित कैसे किया जा सकता है? यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। ऐसे विद्यालयों को प्रशासन तुरंत बंद करे, जिनमें शासन के नियमों का पालन तक नहीं किया जा रहा ।


लाइब्रेरी से धर्म विशेष के प्रचार-प्रसार की सामग्री मिली


आयोग के सदस्यों ने फादर दिलीप नंदा से भवन निर्माण, जमीन के डायवर्सन से संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहा तो वे नियमानुसार उन दस्तावेजों को भी आयोग सदस्‍यों के बीच वे प्रस्‍तुत नहीं कर पाए । लाइब्रेरी से धर्म विशेष के प्रचार-प्रसार की सामग्री भी बाल संरक्षण आयोग की टीम द्वारा बरामद की गई है ।


फादर्स, नन, सिस्‍टर्स, प्रिंसिपल किसी का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं, बिना अनुमति के काट दिया पहाड़


जांच में यह भी सामने निकल कर आया है कि स्कूल के किसी भी कर्मचारी, यहां रह रहे फादर्स, नन और सिस्‍टर्स तक बल्‍कि खुद प्रिंसिपल का भी कोई पुलिस वेरिफिकेशन नहीं किया गया । इसके साथ ही इस विद्यालय का भवन भी एक पहाड़ को काटकर बिना किसी अनुमति के तैयार कर लिया गया है। जिसको लेकर आयोग के सदस्यों ने नाराजगी व्यक्त की है।


देर रात तक यह कार्रवाई चलती रही, जिसमें स्‍कूल की ओर से कोई मान्यता प्राप्त दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए जा सके, इसके बाद एसडीएम के निर्देश पर स्कूल को सील कर दिया गया है।


स्‍कूल के फादर प्रिंसिपल पर चल चुका है रेप का मामला


इस पूरे मामले को लेकर डॉ. निवेदिता शर्मा राज्‍य बाल संरक्षण आयोग सदस्‍य से बात की गई तो उनका कहना है कि निरीक्षण के दौरान स्कूल में बड़ी मात्रा में धर्म विशेष से संबंधित प्रचार-प्रसार की सामग्री बरामद की गई है। विद्यालय के प्राचार्य और अन्‍य स्‍टाफ का कोई पुलिस वेरिफिकेशन नहीं मिला, जबकि स्कूल के प्राचार्य पर पहले धारा 376 का मुकदमा चल चुका है।


आईसीएससी की आड़ में बचता आ रहा है मिशनरी स्‍कूल


डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि 1997 में स्थापित यह स्कूल 2007 तक एमपी बोर्ड के अधीन चलता रहा ऐसा बताया गया और उसके बाद आईसीएससी से इसने मान्यता ली। आईसीएससी भी किसी को लगातार 10 साल की मान्यता देती है। एक बार को यह भी सच मान लें तब भी 2017 में सेंट पीटर स्कूल की मान्यता समाप्त हो गई, लेकिन उसके बाद भी यह विद्यालय संचालित हो रहा है।


उन्‍होंने कहा है कि स्‍कूल प्रबंधक किसी भी तरह की मान्यता प्राप्ति का कोई दस्तावेज नहीं दिखा सका है। जब विद्यालय प्रबंधक से पूछा गया कि वर्ष 1997 में यह विद्यालय मध्‍य प्रदेश स्‍कूल शिक्षा विभाग से मान्‍यता लेकर आरंभ किया गया था तो आप मान्‍यता संबंधी कागज बताएं तो यहां का प्रबंधक एक भी दस्‍तावेज नहीं दिखा पाया। यानी कि यह स्कूल फर्जी तरीके से चलाया जा रहा है।


बच्‍चियों की निजता से हो रहा सीधा खिलवाड़


इसके साथ ही आयोग की सदस्‍य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि यहां बच्‍चियों के टॉयलेट भी अंदर से खुले हुए पाए गए हैं, यह सीधे तौर पर बच्‍च‍ियों की निजता से खिलवाड़ है। जिसे बर्दाश्‍त नहीं किया जा सकता है। इसलिए हमारा कहना है कि ऐसे विद्यालयों को पूरी तरह जड़ से समाप्‍त कर देना होगा जोकि शासन के नियमों को नहीं मानते हैं।


यहां पढ़ते हैं 97 प्रतिशत से अधिक हिन्‍दू बच्‍चे


बाल आयोग के दूसरे सदस्‍य ओेंकार सिंह ने कहा कि विद्यालय की हर कक्षा में धर्म विशेष की प्रार्थना का पाया जाना, हर जगह से धर्म विशेष का साहित्‍य मिलना जबकि यहां 97% से अधिक बहुसंख्‍यक समाज के बच्‍चे पढ़ते हैं, किसी ओर दिशा की ओर इशारा कर रहा है। यहां पहली नजर से पता चलता है कि नियमविरुद्ध कार्य इस स्‍कूल में हो रहे हैं। बालकों के हित में कार्य करनेवाला हमारा आयोग जिसे कभी भी स्‍वीकार्य नहीं कर सकता है। हमारे लिए बालकों का हित ही सर्वोपरि है। इसके साथ अंदर ननों का मिलना तथा आवासीय नहीं होने पर आवास मिलना भी कई संदेह पैदा करता है। फिलहाल हमने अपनी प्ररंभिक कार्रवाई की है, अंतिम रिपोर्ट भोपाल पहुंच कर तैयार की जाएगी।


शिक्षा अधिकारी करते रहे पत्राचार लेकिन स्‍कूल करता रहा अवहेलना


यहां शिक्षा विभाग की ओर से उपलब्‍ध डबरा ब्लॉक के शिक्षा अधिकारी बीआरसी विवेक चौखुटिया का कहना था कि स्कूल प्रबंधन के पास मान्यता नहीं है, यह बात बिल्‍कुल सच है। इस संबंध में हमारी ओर से अनेक पत्र समय-समय पर लिखे जाते रहे हैं, लेकिन आज तक कोई भी मान्यता लेने का प्रयास स्कूल प्रबंधन ने नहीं किया है।


इस विद्यालय का प्रबंधक हर बार आईसीएससी बोर्ड मान्यता का हवाला देकर मौखिक तौर पर अपनी जिम्‍मेदारी से भागता रहा है, लेकिन हम भी लगातार देख रहे थे कि आखिर कब तक ये अपनी मान्‍यता रिन्‍यू नहीं कराते। आज आयोग के अचानक हुए इस निरीक्षण से अनेक अन्‍य अनियमितताएं भी विद्यालय की उजागर हुई हैं। फिलहाल एसडीएम महोदय के निर्देशानुसार सेंट पीटर स्कूल को सील कर दिया गया है।


विश्‍व हिन्‍दू परिषद और हिन्‍दू जागरण मंच हुए सक्रिय


दूसरी ओर जैसे ही इन अनियमितताओं की खबर विश्‍वहिन्‍दू परिषद और हिन्‍दू जागरण मंच को मिली वे डबरा एसडीएम कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करने पहुंच गए।


डबरा एसडीएम ने जब विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी तो विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा तहसील प्रांगण में ढोल नगाड़े बजाए गए और साथ ही एसडीएम कार्यालय के सामने बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया। मामला बढ़ते देख डबरा एसडीएम कार्यालय से बाहर निकले और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं से आवेदन लेकर उनकी मांगे सुनी।


विहिप ने सौंपा ज्ञापन


इस संबंध में विश्व हिंदू परिषद डबरा के जिला अध्यक्ष दीपक भार्गव ने कहा कि यदि प्रशासन इस तरह स्कूलों में चल रहे धर्मांतरण के प्रचार प्रसार को लेकर पहले से गंभीर रहता और कार्रवाई करता तो आज यह नौबत नहीं आती।


आज विश्व हिंदू परिषद द्वारा प्रशासन के समक्ष ज्ञापन सौंपते हुए मांग रखी गई है कि ऐसे स्कूलों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए क्योंकि यहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।


स्‍कूल की अधिकांश भूमि कृषि भूमि पाई गई


उल्‍लेखनीय है कि इस कार्रवाई के दौरान जब स्कूल का डायवर्सन एसडीएम व नायब तहसीलदार ने चेक किया तब पाया गया कि यहां कि अधिकांश भूमि कृषि भूमि है। जोकि कई बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इस स्कूल में करीब 1300 विद्यार्थी पढ़ते हैं।


इससे पहले शनिवार को बाल संरक्षण आयोग की सदस्‍य डॉ. निवेदिता शर्मा मुरैना के सेंट मैरी स्कूल अचानक निरिक्षण करने पहुंची थीं, जहां फादर के कमरे से शराब की बोतलें समेत बेहद आपत्तिजनक वस्‍तुएं पाई गईं थीं। जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए इस स्कूल को सील कर दिया था।


मध्‍य प्रदेश के हर कोने से आ रही हैं धर्मांतरण की शिकायतें


कहना होगा कि मध्‍य प्रदेश में जहां भी ईसाई मिशनरी अपने विद्यालय या अन्‍य सेवार्थ नाम से कार्यक्रम संचालित कर रही है, वहां हर जगह सेवा या शिक्षा की आड़ में ईसाई मतांतरण ही निकलकर सामने आ रहा है।


कहीं अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा भोलेभाले ग्रामीणों के बीच चंगाई सभाएं कराई जा रही हैं तो कहीं शिक्षा के मंदिर में अच्‍छी शिक्षा खासकर अंग्रेजी पढ़ाए और सिखाए जाने के लालच में बच्‍चों के मानस को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।


पिछले एक बर्ष में ग्‍वालियर, मुरैना, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, सागर, सतना समेत मध्‍य प्रदेश का कोई क्षेत्र ऐसा शेष नहीं हैं जहां से कोई न कोई शिकायत मतांतरण-धर्मांतरण संबंधी न आई हो।


धर्म स्‍वातंत्र्य कानून का नहीं है कोई भय


यानी कि आज पूरा प्रदेश ईसाई धर्मांतरण की चपेट में है, जबकि यहां पर शिवराज सरकार ने ध्‍यान रहे धर्म स्‍वातंत्र्य कानून लागू कर रखा है। मध्य प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता कानून "जबरदस्ती, बल, गलत बयानी, अनुचित प्रभाव और प्रलोभन" के साथ-ही धोखाधड़ी, या विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाता है।


इसके साथ ही यह किसी व्यक्ति को ऐसे धर्मांतरण के लिए "उकसाने और साजिश रचने" से रोकता है। इसमें ऐसे रूपांतरणों को "अशक्त और शून्य" घोषित करने का प्रावधान है। लेकिन मतान्‍तरण और धर्मांतरण में लगे लोगों को इस कानून से कोई भय यहां दिखाई देता हुआ नहीं दिख रहा है।


लेख


डॉ. मयंक चतुर्वेदी