रायपुर से लेकर गाजियाबाद तक ईसाई मिशनरियों का षड्यंत्र जारी, वहीं असम में हुई अब तक की सबसे बड़ी घर वापसी

छत्तीसगढ़ की राजधानी से लेकर देश की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से लगे विभिन्न क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों के द्वारा धड़ल्ले से कन्वर्जन का कार्य किया जा रहा है, जिसके कारण स्थानीय क्षेत्रों में साम्प्रदायिक तनाव एवं गुटों के बीच झड़पों की स्थिति निर्मित हो रही है।

The Narrative World    04-Mar-2023   
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छत्तीसगढ़ की राजधानी से लेकर देश की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से लगे विभिन्न क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों के द्वारा धड़ल्ले से कन्वर्जन का कार्य किया जा रहा है
, जिसके कारण स्थानीय क्षेत्रों में साम्प्रदायिक तनाव एवं गुटों के बीच झड़पों की स्थिति निर्मित हो रही है।


एक खबर के अनुसार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से दो गुटों के बीच विवाद का मामला सामने आया है, जिसके पीछे का कारण ईसाइयों द्वारा अवैध कन्वर्जन बताया जा रहा है।


हालांकि पुलिस ने इस मामले में आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है, लेकिन स्थानीय निवासियों से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्र में अवैध कन्वर्जन को लेकर ही तनातनी की स्थिति निर्मित हुई थी।


नवा रायपुर के सेक्टर 29 में शुक्रवार 3 मार्च की रात को यह हंगामा देखा गया, जिसके बाद पुलिस ने पूछताछ के लिए कुछ लोगों को थाने बुलाया, हालांकि मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी गई। स्


थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में ईसाई समूह के द्वारा गरीब तबके के लोगों को बहला-फुसलाकर ईसाई बनाने का प्रयास किया जा रहा है।


प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सेक्टर - 29 में कुछ व्यक्तियों के द्वारा एक महिला को बाल खींचकर घसीटते हुए ले जाया जा रहा था, जिसके बाद वह महिला जोर-जोर से चीख रही थी।


इसे देखने के बाद पड़ोस के ही लोगों ने अन्य लोगों को जानकारी दी, जिसके बाद स्थानीय निवासियों ने आरोपियों को महिला के साथ जबरदस्ती करने का विरोध किया।

स्थानीय लोगों ने आरोपियों पर जबरन कन्वर्जन कराने का आरोप लगाया, और इसके बाद दोनों पक्षों के लोगों के बीच झड़प शुरू हो गई।


इस बीच पुलिस ने मामले को शांत कराया, लेकिन किसी भी तरह की जानकारी सामने नहीं आ पाई है।


“2 महीने पहले बस्तर के नारायणपुर में भी ईसाई मिशनरियों द्वारा जनजातीय समाज पर हमला किया गया था, जिसके बाद पुलिस की गतिविधियां भी संदेहास्पद थी, और जनजाति समाज ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि पुलिस एकपक्षीय कार्रवाई कर रही है, ऐसे में एक बार फिर छत्तीसगढ़ पुलिस ईसाई मिशनरियों के सामने लाचार दिखाई दे रही है।”


वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से लगे हुए गाजियाबाद के चनवानी गांव में प्रलोभन देकर कन्वर्जन कराने के मामले में पुलिस ने ईसाई पादरी और उसकी पत्नी को गिरफ्तार किया है।


पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार दोनों ईसाई आरोपी केरल के निवासी हैं। जयपुरी घटना बीते सोमवार 27 फरवरी की है।


अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाना क्षेत्र के भीतर स्थित इस गांव में ईसाई पादरी संतोष जोहन अब्राहिम अपनी पत्नी जीजी जोहन के साथ रह रहा था।


इन दोनों आरोपियों ने स्थानीय निवासियों को ईसाई बनाने लिए तरह-तरह के प्रलोभन देने का प्रयास किया था।


मिली जानकारी के अनुसार यह दोनों आरोपी क्षेत्र के लोगों को जमीन, घर, पैसे समेत अन्य तरह के प्रलोभन देने का प्रयास करते थे।


पुलिस की जांच में यह भी जानकारी सामने आई है कि इन दोनों आरोपियों ने स्थानीय निवासियों को ईसाई बनाने के लिए प्रार्थना सभा का आयोजन करते थे जिसके लिए उन्होंने एक हॉल भी किराए में ले रखा था।


इसी कमरे के माध्यम से वह लोगों को एकत्रित कर प्रार्थना सभा करते थे और यही प्रलोभन देकर उनके कन्वर्जन का प्रयास किया जाता था।


पुलिस द्वारा जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है कि क्षेत्र के ही प्रवीण नागर एवं शिवकुमार द्वारा पुलिस में इन दोनों आरोपियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई गई थी कि यह दोनों स्थानीय निर्धन एवं असहाय लोगों को लालच देकर कन्वर्जन के लिए प्रेरित करते हैं।


इस शिकायत के आधार पर संतोष जोहन अब्राहिम और उसकी पत्नी के विरुद्ध उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कराया गया था।


पुलिस ने बताया कि इस मामले को लेकर दोनों आरोपियों को उनके निवास स्थान से गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।


पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ कर यह जानकारी दी है कि आरोपी संतोष अब्राहिम केरल के शेरुन फेलोशी चर्च का पादरी है जो वर्ष 1996 से गाजियाबाद में रहकर ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार कर रहा है।


पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार दोनों आरोपी यूसीपीआई (यूनाइटेड क्रिश्चियन प्रेयर फ़ॉर इंडिया) से संबंधित मिशन संस्था में साथ काम करते हैं।


वहीं इन दोनों आरोपियों को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराने वाले प्रवीण नागर ने कहा कि ईसाई मिशनरी से जुड़े पादरी और उसकी पत्नी कन्वर्जन के लिए 25 गज का मकान और ₹2 लाख नगद देने की बात कर रहे थे।


एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी भी सामने आई है कि इन दोनों आरोपियों के द्वारा पाठशाला के माध्यम से भी छोटे बच्चों का ब्रेनवाश किया जाता था।


विद्यालय में पढ़ने वाले छोटे बच्चों को हिंदू पर्वों को मनाने से मना कर घर जाकर प्रभु यीशु की आराधना करने की बात की जाती थी।


पुलिस से पूछताछ में आरोपियों ने यह भी स्वीकार किया है कि उनकी संस्था के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को 20 लोगों को जोड़ने का लक्ष्य दिया गया था।


असम में हुई सबसे बड़ी घर वापसी


ईसाई कन्वर्जन का मायाजाल उत्तरपूर्वी राज्य असम में भी फैला हुआ है। लेकिन हाल ही में असम में ईसाई धर्म छोड़कर पुनः अपने मूल सनातन धर्म में लौटने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है।


असम में इस दौरान सबसे बड़ा घर वापसी कार्यक्रम देखा गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मोरीगांव जिले के तिवा समाज से यह अपील की थी कि वे अपनी मूल संस्कृति और पहचान से जुड़े रहें और कन्वर्जन से दूर रहें।


उनके आह्वान के बाद इस समुदाय के 100 से अधिक परिवारों ने ईसाई धर्म छोड़कर अपने मूल धर्म में वापसी की है।


तिवा परंपराओं के तहत सांस्कृतिक परिषद के नेतृत्व में आयोजित धार्मिक समारोह अनेक परिवारों ने हिंदू धर्म को अपनाया है। राजा के दरबार में यह पारंपरिक समारोह अयोजित किया गया था।


इस दौरान अपने मूल धर्म में लौटे लोगों ने कहा कि उन्हें वित्तीय एवं अन्य लाभ देकर ईसाई धर्म में आने का लालच दिया गया था, लेकिन अब वह अपने मूल संस्कृति में लौट आए हैं।