संपूर्ण विश्व के लिए चुनौती बन चुका है चीन

दुनिया पर राज करने की अपनी मंशा के चलते चीन ने दुनिया के 90 से अधिक बंदरगाहों पर कब्जा कर रखा है और उसका कहना है कि वह इन बंदरगाहों का उपयोग जहाजों के ठहरने व कारोबार करने के लिए करता है किंतु इस बात से भी मुँह नहीं मोड़ा जा सकता कि चीन इन बंदरगाहों का उपयोग सैन्य बेस के रूप में नही करेगा, आवश्यकता पड़ने पर चीन द्वारा इन बंदरगाहों को अपनी सैन्य गतिविधियों का संचालन करने के लिए उपयोग किया जाएगा।

The Narrative World    19-Jul-2023   
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चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था व तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है। चीन का नाम जब-जब भी लिया जाता है या कहीं चीन का नाम सुनने में आता है तो यह नाम सुनते ही लगभग अधिकतर देशों संकट का आभास होता है, क्योंकि चीन ने हमेशा से ही संकट व मुसीबतें उत्पन्न करने का कार्य किया है और कर रहा है।


हाल ही में चीन ने विश्व के लिए सबसे बड़ा संकट उत्पन्न कर दिया था और विश्व को उससे जूझने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा और कई लोगों ने अपने परिवार के प्रिय जनों को खोया है चीन के लिए यह बहुत ही आम बात हो सकती है किंतु भारत और भारत के जैसे संवेदनशील राष्ट्र में जहां भावनाओं का बहुत महत्व है वहां परिवार के किसी व्यक्ति की मृत्यु होना और उनके शरीर को हाथ भी न लगा पाना यह बहुत ही दुविधा की बात है।


प्रत्येक धर्म, पंथ, संप्रदाय में जब किसी की मृत्यु होती है तब उस धर्म के लोगों द्वारा मृतक व्यक्ति की अंतिम क्रिया की जाती है किंतु चीन ने विश्व को एक ऐसे संकट में धकेल दिया जहाँ परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर उसके शरीर को हाथ लगाने पर भी प्रतिबंध लगाना पड़ा और और उनकी धार्मिक भावनाओं को और उनकी मानसिक स्थिति को भी झकझोर कर रख दिया था।


लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत बिगड़ गयी थी। यह बात है दिसंबर 2019 की चीन के वुहान शहर में पहली बार इस बीमारी की पहचान की गई और 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया। इस बीमारी का नाम कोविड-19 रखा गया व इससे संबंधित वायरस का नाम कोरोना वायरस है।


चीन ने विश्व को एक ऐसी वैश्विक महामारी प्रदान की जिसने समस्त विश्व की जनता की आर्थिक सामाजिक व मानसिक स्थिति व साथ ही साथ लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था को भी ऐसी हानि पहुँचाई है जो विश्व को आज तक कभी नहीं सहनी पड़ी कई देशों की आर्थिक स्थिति तो इतनी डगमगा गई की उन देशों को दूसरे देशों से मदद मांगनी पड़ी और संकट काल में भारत जैसे देश ने विभिन्न देशों में अनाज व दवाइयाँ भेजकर संकट के समय सहायता का संदेश दिया।


अप्रैल 2023 तक प्राप्त जानकारी व आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 के लगभग 28 करोड़ से ज्यादा पॉजिटिव मामले 50 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु दर्ज की गई है। कोविड-19 एकमात्र ऐसी बीमारी है जो चीन द्वारा एक बार उत्पन्न तो हो गई है किंतु इसका शत-प्रतिशत समाधान अभी तक मिल नहीं पाया है।


कुछ विशेषज्ञ ऐसा बताते हैं कि चीन द्वारा इस बीमारी को उत्पन्न करना एक वैश्विक षड्यंत्र का रूप है क्योंकि इस बीमारी को उत्पन्न करने से चीन को वैश्विक स्तर पर लाभ प्राप्त हुए हैं।


चीन विश्व पटल पर एक बहुत ही शांत देश है किंतु वह अंदर ही अंदर नीतियों के द्वारा विश्व को खोखला कर स्वयं विश्व का राजा बनने की चेष्टा कर रहा शतरंज की चाल की तरह चीन विभिन्न देशों के साथ चालें चलता है और उनका मित्र होने का ढोंग करता है और उन्हीं के साथ छल करने का प्रयत्न करता रहता है।


चीन ने भारत की 43180 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा करके रखा है और अरुणाचल प्रदेश कुछ भाग में वह अपना अधिकार जताता है और बार-बार चीनी सैनिक भारत में घुसपैठ करते हैं किंतु हर बार उन्हें मुँह की खानी पड़ती है।


चीन ने उत्तरी नेपाल की सीमा पर 10 स्थानों पर 36 हेक्टेयर भूमि पर अपना कब्जा जमा रखा है और वह नेपाल और भूटान को डराने धमकाने व चमकाने का प्रयास करता रहता है, चीन ने तिब्बत को भी अपने अधिकार में कर रखा है, चीन ने भूटान की लगभग 600 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अपना कब्जा जमा कर वहां पर एक बड़ा गाँव बसा कर रखा है।


सन 1949 में चीन ने पूर्वी तुर्किस्तान, तिब्बत व भीतरी मंगोलिया पर कब्जा जमा कर वहाँ की भूमि अपने अधिकार में की हुई है इस तरह चीन ने 6 देशों के लगभग 40 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि अपने कब्जे में कर रखी है।


भूमि पर न सिर्फ कब्जा करना बल्कि कब्जा करके वहाँ पर अपने जासूस या सैन्य बेस स्थापित कर वहाँ से विभिन्न देशों की गतिविधियों को मॉनिटर व कंट्रोल करने का काम चीन कर रहा है जो विश्व के लिए हानिकारक परिणाम देने वाला है।


हाल ही में चीन रूस के साथ मिलकर अमेरिका को घेरने का प्रयास करता हुआ दिखाई दिया है इसके पीछे का कारण यह है कि चीन वैश्विक सत्ता हासिल करने का प्रयत्न कर रहा है और अमेरिका और रूस को पछाड़कर विश्व का सबसे शक्तिशाली व पहला अर्थव्यवस्था वाला देश बनना चाहता है।


चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है क्योंकि यहाँ पर घटिया किस्म के माल का उत्पादन किया जाता है जो कम लागत में तैयार होता है और विदेशों में भी सस्ती कीमत में निर्यात कर दिया जाता है वहाँ के लोग ऐसे माल को सस्ता माल समझकर खरीदते हैं और चीनी वस्तुओं का विभिन्न देशों में बाजार तेज होता जाता है जो चीनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।


चीन की चालबाजी से कौन वाकिफ नहीं है। चीन ने अपने ही मित्रों को ठगने का कार्य किया है। वर्ष 2017-18 में चीन ने बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल व केन्या आदि देशों को दोषपूर्ण हथियार विक्रय किए थे और जब इन देशों को शस्त्रों की गुणवत्ता का पता चला तो वे दंग रह गए और अपने मित्र राष्ट्र पर विश्वास करके उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।


चीन वर्तमान में दुनिया के विभिन्न देशों को कर्ज देकर वहाँ अपने सैन्य बेस स्थापित कर उन देशों पर नियंत्रण स्थापित करने का कार्य कर रहा है। चीन ने ताजिकिस्तान, कंबोडिया, जिबूती, सोलोमन द्वीपसमूह, अर्जेन्टीना के पेटागोनिया क्षेत्र, मालदीव व कई अन्य देशों में चीन के सैन्य अड्डे स्थापित है जहाँ चीन के सैनिक रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं, जब भी इन सैन्य अड्डों की बात आती है तब चीन इस बात से इंकार कर देता है क्योंकि वह प्रत्यक्ष रूप से किसी भी देश की दृष्टि में नहीं आना चाहता वह छिपकर आंतरिक चालें चलता है और विश्व के देशों पर अधिकार कर अपना सिक्का चमकाना चाहता है।


चीन अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर सदैव बल देता है इसके पीछे का कारण यह है कि जैसे-जैसे चीन की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी उसकी रणनीति यह होती है कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि से प्राप्त धन को वह अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने में व्यय करता है। पृथ्वी से लेकर सागर तक विश्व के 17 देशों के साथ चीन का सीमा विवाद है और चीन विश्व के इन देशों को कमजोर बना देना चाहता है ताकि वह एक मजबूत व शक्तिशाली राष्ट्र बनने का जो सपना संजोया है उसे पूरा कर सके।


चीन सदा से ही अपने दुश्मन राष्ट्रों को जिन्हें वह अपने से कम आँकता है उन्हें वह कर्ज, प्रलोभनों, सैन्य शक्ति डरा धमकाकर उनकी आवाज दबाने का अपने वश में करने का प्रयत्न कर रहा है।


पाकिस्तान के साथ चीन की इतनी मित्रता कभी देखने में नही आई किन्तु वह भारत को कमजोर बनाने के लिए पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश आसपास के पड़ोसी देशों की सहायता लेने का प्रयास कर रहा है। भारत वर्तमान में ऐसी शक्ति बन चुका है कि यदि विश्व को अपने अधिकार में करना है तो भारत का सहयोग आवश्यक है इसलिए चीन भारत को भी दबाने का प्रयत्न करता किंतु भारत चीन से डरता नहीं है, चीनी सेना की एक रणनीति है यदि दुश्मन आगे बढ़ता है तो पीछे हट जाओ और दुश्मन पीछे हटता है तो उस पर हमला कर दो।


वर्तमान समय में चीन व अमेरिका के मध्य ट्रेड वार आरंभ हो चुका है जो विश्व के विभिन्न देशों के मध्य व्यापार करने के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है, इस युद्ध में विदेशी सामान को निशाना बनाया जाता है और उन पर टैरिफ, सीमा शुल्क व अन्य तरह के कर बढ़ाकर व्यापार को बाधित किया जा रहा है।


अमेरिका के कुल व्यापार में चीन की भागीदारी 16.4 प्रतिशत है। अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक व्यापारिक युद्ध बहुत अधिक बढ़ जाता है तो यह अराजकता पैदा करेगा जो पूरे विश्व को एक भयानक आर्थिक मंदी की ओर धकेल सकता है।


चीन एक ऐसा देश है जो सदा से ही अवसरों की तलाश में रहा है और जब भी कभी उसे अवसर प्राप्त होता है तब विश्व के विभिन्न देशों के लिए साजिशें रचने व षड्यंत्र रचकर उनके विरुद्ध मोर्चा खोल देता है चीन बिना लाभ के किसी के साथ मित्रता करना पसंद नहीं करता इसलिए श्रीलंका पाकिस्तान व विभिन्न अफ्रीकी देशों को उसने कठोर व सख्त शर्तों पर अधिक ब्याज दर पर ऋण देकर उन्हें अपने काबू में करने का प्रयत्न किया है पर अन्य देशों के हस्तक्षेप के कारण उसकी यह चालें सफल नहीं हो सकी है।


विश्व बैंक के वर्तमान अध्यक्ष डेविड माल्पस चीन द्वारा अफ्रीकी देशों को दिए गए ऋण के विषय में चिंतित होते हुए कहते हैंकि अफ्रीकी देश आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं ऐसे में चीन को अपने ऋण की शर्तों को पारदर्शी बनाना होगा ताकि अफ्रीकी देशों का आर्थिक संकट टाला जा सके।


मैक्सर टेक्नोलॉजी द्वारा जारी की गई कुछ तस्वीरों के अनुसार चीन द्वारा म्यांमार के कोको आईलैंड पर एक नई इमारत का निर्माण किया जा रहा जिसके पीछे आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह निर्माण जासूसी व निगरानी के लिए किया जा रहा है।


विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार के कई शहरों में चीनी संस्थान द्वारा सर्विलांस कैमरे लगाए गए है, पहले कैमरे और अब निर्माण कार्य उस खतरे की पुष्टि कर रहे हैं जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही है। चीन द्वारा म्यांमार में निर्माण में वृद्धि करके हिंद महासागर तक अपनी पहुँच को और आसान बनाने का कार्य किया जा रहा है।


सेटेलाइट द्वारा जारी नई तस्वीरों द्वारा पता लगाया गया है कि म्यांमार में 200 इमारतों का निर्माण किया गया है। वर्ष 1990 की शुरुआत में चीन ने अपनी थल सेना व नौ सेना से जुड़ी गतिविधियों व उद्देश्यों की पूर्ति के लिए म्यांमार के द्वीपों का उपयोग करना शुरू किया था।


मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था चीन ने अंडमान सागर में मनौंग, हिंगगी, जादेतकी और म्यांमार में कोको द्वीप समूह में SIGINT श्रवण केंद्र बनाए हैं. यांगून, मौलमीन और मेरगुई के पास चीनी विशेषज्ञों ने नौसेना के ठिकानों और रडार से लैस बेस तैयार किया है।


हिंद महासागर पर सदा से ही दुनिया के विभिन्न देशों की दृष्टि रही है क्योंकि हिंद महासागर तेल खनिज मछली समेत कई संसाधनों का भरपूर भंडार है और दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले कारोबार का मार्ग हिंद महासागर से होकर गुजरता है।


हिंद महासागर को भारत की चौखट भी कहा जाता है। ब्लू इकोनामी द्वारा अर्थव्यवस्था में वृद्धि करने, संसाधनों से भरपूर होने व विभिन्न कारोबार का मार्ग होने के कारण चीन म्यांमार के माध्यम से हिंद महासागर पर कब्जा जमाने की अपनी योजना को मूर्त रूप देने के अपने प्रयासों में जुटा है। चीन की हिंद महासागर पर कब्जा करने की यह योजना विश्व के कई देशों के लिए समस्याएं उत्पन्न करने के संदेश दे रही है।


चीन प्रशांत महासागर में भी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरी करने के लिए कार्य कर रहा है, मई 2022 में ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि "दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर के क्षेत्र में वे चीन की महत्वाकांक्षाओं से परिचित हैं, और चीन के खतरनाक इरादों से भी भलीभांति परिचित है, उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका व उसके सहयोगियों को भय है कि चीन के इस कार्य से आस्ट्रेलियाई तट से 2000 किलोमीटर से भी कम दूरी पर चीनी नौसेना का अड्डा बन सकता है।"


मॉरिसन ने कहा था, "प्रशांत क्षेत्र के कई अन्य नेताओं की तरह मैं भी बहुत चिंतित हूं... इस प्रकार की व्यवस्था में चीनी सरकार के हस्तक्षेप और घुसपैठ के बारे में और दक्षिण-पश्चिम प्रशांत की शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए इसका क्या मतलब हो सकता है।"


इससे पहले एक समाचार पत्र ने चीन द्वारा सोलोमन द्वीप में गोदी, घाट और पानी के नीचे केबल बिछाने की योजना की खबर प्रकाशित की थी। दि ऑस्ट्रेलियन अखबार ने इस साल चीन और सोलोमन द्वीप समूह के बीच हुए समुद्री सहयोग समझौते को प्रकाशित किया था।


समाचार पत्र ने चार पन्नों का लीक दस्तावेज प्रकाशित किया था। चीन और सोलोमन ने हाल ही में पुष्टि की है कि उन्होंने एक अलग सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन अपने विश्वव्यापी हितों की आड़ में एशिया व अमेरिकी की सैन्य शक्ति को चुनौती देना चाहता है।


दुनिया पर राज करने की अपनी मंशा के चलते चीन ने दुनिया के 90 से अधिक बंदरगाहों पर कब्जा कर रखा है और उसका कहना है कि वह इन बंदरगाहों का उपयोग जहाजों के ठहरने व कारोबार करने के लिए करता है किंतु इस बात से भी मुँह नहीं मोड़ा जा सकता कि चीन इन बंदरगाहों का उपयोग सैन्य बेस के रूप में नही करेगा, आवश्यकता पड़ने पर चीन द्वारा इन बंदरगाहों को अपनी सैन्य गतिविधियों का संचालन करने के लिए उपयोग किया जाएगा।


इसके अलावा भी कई अन्य दस्तावेज इस बात की पुष्टि करते हैं कि चीन वर्तमान समय में विश्व के लिये चुनौती बन गया है व बड़ी गंभीर चुनौती बनने की ओर अग्रसर है जो विश्व को बहुत अधिक हानि पहुँचाएगा।


लेख


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विशाल प्रजापत

यंगइंकर

देवास, मध्यप्रदेश