भूपेश सरकार के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ SC-ST समाज, चुनाव में कांग्रेस को होगा भारी नुकसान

मंगलवार 18 जुलाई को भूपेश बघेल नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार के विरुद्ध मार्च निकालने वाले प्रदर्शनकारी नग्न होकर विधानसभा की ओर चलने लगे। यह सभी प्रदर्शनकारी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (SC - ST) समूह के थे, जो नग्न प्रदर्शन करते हुए अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाना चाहते थे और विधानसभा मार्ग के माध्यम से घेराव करने निकले थे।

The Narrative World    20-Jul-2023   
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छत्तीसगढ़ की धरती कलंकित हुई', यह एक ऐसा कथन है जो पिछले दो दिनों से सोशल में कई बार देखा गया। छत्तीसगढ़ में विरोध प्रदर्शन का काफी पुराना इतिहास रहा है, लेकिन हाल ही में जो प्रदर्शन राजधानी के विधानसभा मार्ग में देखा गया वह बिल्कुल ही अचंभित करने वाला था।


मंगलवार 18 जुलाई को भूपेश बघेल नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार के विरुद्ध मार्च निकालने वाले प्रदर्शनकारी नग्न होकर विधानसभा की ओर चलने लगे। यह सभी प्रदर्शनकारी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (SC - ST) समूह के थे, जो नग्न प्रदर्शन करते हुए अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाना चाहते थे और विधानसभा मार्ग के माध्यम से घेराव करने निकले थे।


हालांकि सभी प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इस प्रदर्शन को लेकर पूरे प्रदेश की राजनीति अब गर्मा चुकी है।

दरअसल जब ये प्रदर्शनकारी नग्न अवस्था में अपना विरोध प्रकट कर रहे थे, इस दौरान कैबिनेट मंत्री रुद्र गुरु एवं अनिला भेड़िया का काफिला गुजर रहा था। दोनों नेता विधानसभा सत्र में शामिल होने के लिए जा रहे थे।


प्रदर्शनकारियों के अनुसार कथित रूप से फर्जी जाति प्रमाणपत्र के माध्यम से कुछ लोगों ने नौकरी हासिल की है, इन लोगों के विरुद्ध जांच एवं कार्रवाई की मांग को लेकर यह प्रदर्शन किया जा रहा था।


प्रदर्शनकारी युवकों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में 267 लोग अनुसूचित जाति और जनजाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी कर रहे हैं लेकिन प्रशासन के द्वारा उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है।


प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि आरोपियों के विरुद्ध गिरफ्तारी एवं कार्रवाई के लिए आमरण अनशन भी किया गया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके बाद यह नग्न प्रदर्शन करने को हम मजबूर हुए।


इन सबके बीच एक बात यह भी निकल कर आई की 3 वर्ष पूर्व ऐसे लोगों को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी हुआ था जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र के माध्यम से नौकरी में बने हुए हैं लेकिन इस आदेश पर आगे कोई भी कार्यवाही नहीं हुई।


छत्तीसगढ़ की जमीन पर इस तरह के प्रदर्शन का यह पहला वाकया है जिसने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी है।


इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चाएं सुनने को मिल रही है कि छत्तीसगढ़ में प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार से ना सिर्फ दलित समाज, बल्कि जनजाति समाज भी नाराज है।


दलित समाज और जनजाति समाज दोनों के हितों की रक्षा करने में प्रदेश की कांग्रेस सरकार असफल साबित हुई है जिसके कारण अलग-अलग समय में इन समाजों ने अपना विरोध जताया है।


चाहे मामला आरक्षण का हो या अवैध कन्वर्जन का, अपनी पारंपरिक पहचान के संरक्षण का मामला हो या बेरोजगारों को रोजगार देने का, प्रदेश की कांग्रेस सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है।


यदि हम आरक्षण की बात करें तो बीते भर अनुसूचित जाति वर्ग ने प्रदेश की सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया था।


दरअसल कांग्रेस सरकार ने आरक्षण संशोधन विधेयक लाकर अनुसूचित जाति की समाज के लोगों के लिए दिए गए 16% आरक्षण में कटौती करते हुए उसे 13% कर दिया था।


वहीं राज्य में पिछड़ा वर्ग के लिए पूर्व में निश्चित 14% आरक्षण को बढ़ाकर 27% कर दिया था। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को भी बढ़ाकर 20% से 32% कर दिया था।


इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर कथित तौर पर इस तरह के आरोप लगे कि वह स्वयं ओबीसी समाज से आते हैं इसलिए ओबीसी समाज को खुश करने एवं वोट बैंक की राजनीति करने के लिए उन्होंने आरक्षण में असंवैधानिक रूप से बढ़ोतरी की है।


छत्तीसगढ़ में आरक्षण कुल 76% करने की योजना बनाई गई थी लेकिन प्रदेश की सरकार को भी या पता था कि यह असंवैधानिक है और इसे लागू नहीं किया जा सकता बावजूद इसके वोट बैंक की राजनीति करने के लिए सरकार ने इस तरह के कदम उठाए थे।


इस दौरान जब अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण कम किया गया तो पूरे प्रदेश में दलित समाज के भीतर आक्रोश नजर आया। विपक्षी पार्टी भाजपा नेता राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा था जिसमें अनुसूचित जाति वर्ग के घटे हुए आरक्षण को दोबारा यथावत करने की मांग की गई थी।


इसके अतिरिक्त अनुसूचित जनजाति समाज में अवैध कन्वर्जन एवं उनके पूजन स्थली में कन्वर्टेड समूह के द्वारा किए जा रहे हैं उत्पात को लेकर अत्यंत नाराजगी है।


प्रदेश में उत्तर से लेकर दक्षिण तक विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय जनजातीय ग्रामीणों ने अवैध कन्वर्जन के विरुद्ध मार्च निकाला और विरोध प्रदर्शन किया लेकिन प्रशासन कहीं पर भी उनकी समस्याओं को हल करने में सक्षम नहीं दिखाई दिया।


इसके अतिरिक्त बस्तर क्षेत्र में जिस तरह से ईसाई मिशनरियों ने अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में सामाजिक वैमनस्यता फैलाने का कार्य किया है उसका भी समाधान करने में भूपेश बघेल की सरकार विफल रही है।


कुल मिलाकर देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में उत्तर से लेकर दक्षिण तक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समाज के भीतर भूपेश बघेल सरकार के विरुद्ध एक जन आक्रोश पनप रहा है जो आगामी चुनाव में एक बड़े विस्फोट के रूप में नजर आ सकता है और इसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।