फ्रांस से सबक ले-ले भारत, अन्यथा... (भाग-1)

वर्तमान विश्व के हालात बहुत ही भयंकर हैं। वैश्विक स्तर पर सूक्ष्म दृष्टि से आंकलन किया जाए तो संपूर्ण विश्व आज "वैश्विक जिहाद" Global Terrorism से पीड़ित है। ना जाने लोग कब समझेंगे? जिहाद "अमरबेल" की तरह "विषबेल" है। जिसने विश्व के 57 देशों को निगल लिया है एवं कतार में यूरोप के फ्रांस ,इंग्लैंड, नीदरलैंड इत्यादि राष्ट्रों को वैश्विक जिहाद निगलने वाला है अर्थात "इस्लामिक कंट्री" में कन्वर्ट करने वाला है। यह अजगर की तरह धीरे-धीरे शिकार को निगलता है।

The Narrative World    20-Jul-2023   
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वर्तमान विश्व के हालात बहुत ही भयंकर हैं। वैश्विक स्तर पर सूक्ष्म दृष्टि से आंकलन किया जाए तो संपूर्ण विश्व आज 'वैश्विक जिहाद' Global Terrorism से पीड़ित है। ना जाने लोग कब समझेंगे? जिहाद 'अमरबेल' की तरह 'विषबेल" है। जिसने विश्व के 57 देशों को निगल लिया है एवं कतार में यूरोप के फ्रांस ,इंग्लैंड, नीदरलैंड इत्यादि राष्ट्रों को वैश्विक जिहाद निगलने वाला है अर्थात 'इस्लामिक कंट्री' में कन्वर्ट करने वाला है। यह अजगर की तरह धीरे-धीरे शिकार को निगलता है।


अतः शिकार (देश) को पता ही नहीं चलता है कि कब वह मौत के मुंह में चला गया अर्थात इस्लामी राष्ट्र में कन्वर्ट हो गया। यह जिहादी समस्या एक 'पैशाचिक विचारधारा 'Diabolical conspiracy / अमानवीय विचारधारा है। इसे जितने हल्के में लिया जा रहा है यह उतनी है नहीं। इसकी चपेट में विश्व के अमेरिका ,चीन ,ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इंग्लैंड ,फ्रांस जैसे दर्जनों देश हैं। इस मामले में चीन सतर्क हो गया है।


उसने इन जिहादियों को नकेल लगाकर 'डिटैन कैंपो' में प्रताड़ित कर रखा है। वहां इन असुरों का जिहाद /आतंक नहीं बढ़ पा रहा है। यह विचारधारा एक कबीलाई (अरबी) संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित है। जिसमें लूटपाट, दहशतगर्दी, आतंक, कब्जा ,हिंसा ,नारी शोषण इत्यादि अमानवीयता की पराकाष्ठा के तत्व हैं। जो किसी के साथ सहिष्णु नहीं हैं।


अर्थात एडजेस्ट नहीं करते हैं इनमे दया,करुणा, प्रेम के किसी भी मानवीय मूल्यों का अभाव है। इनका इतिहास उठाकर देख लीजिए ,यह जिस भी देश में पहुंचे (घुसे) हैं ,कुछ समय पश्चात वह नष्ट हो गया है। जैसे फ्रांस का प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे सामने हैं।


आज इस्लाम का तात्पर्य हिंसा, लूट ,कब्जा, दह्श्तगर्दी मात्र है। यह झूठे प्रेम का दिखावा करते हैं। वास्तव में यह कसाई/असुर/ अमरबेल /परजीवी (पिशाच) से भी बढ़कर हैं। इतिहास उठाकर देख लीजिए इन्होंने भोली- भाली मानवता को ठगा है, नष्ट किया है। इनका एजेंडा वैश्विक है। यदि कोई सूक्ष्म अध्ययन करेगा तो सब समझ में आ जाएगा। आज वैश्विक स्तर पर जिहादी अत्याचारों को लेकर कुछ जागृति तो आ रही है।


'तबलीगी जमात' इनकी एक वैश्विक शाखा है। जिसका भारत में सरगना 'मौलाना साद" जिसे पिछले दिनों दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था है। यह बहुत ही ' साइलेंट मूड' में शातिर तरीके से अपना विश्व में जिहादी एजेंडा चला रहे हैं। यह एजेंडा (जिहाद) लगभग 1300 वर्षों से विश्व में चल रहा है। आज फ्रांस (पेरिस) जल रहा है कल इंग्लैंड, अमेरिका, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, हंगरी, भारत की बारी है।


यदि समय रहते विश्व मानवता/ देश की सरकारों ने इसे नहीं पहचाना तो ,आने वाले निकट भविष्य में पूरा विश्व जलेगा इन जिहादियों का एजेंडा विश्व में इस्लाम की हुकूमत (परचम फहराना) है। यह ' गजवा ए विश्व' ( Gajvaa- A- World ) के लिए निरंतर 24 घंटे अथक परिश्रम कर रहे हैं। उसमें मौलानाओं द्वारा इनके बच्चों को बचपन से जिहाद के लिए (इस्लाम )कुर्बान होना ,मृत्यु को गले लगाने की शिक्षा दी जाती है। अर्थात इनकी मस्जिद ये कोई पूजा/ इबादत ग्रह नहीं है वरन एक रुप से (जिहादी गतिविधियों का खुफिया केंद्र )बैठक का अड्डा है, जहां से जिहाद का संचालन किया जाता है।

आज फ्रांस में पेरिस शहर को देखे तो जिहादियों ने कितने शहरों को आग के हवाले कर दिया है यह कोई अचानक नहीं हुआ वरन जिहादियों को इसकी ट्रेनिंग वर्षों से दी जा रही थी। इनकी पूर्व तैयारी रहती है। बस यह एक घटना का बहाना ढूंढते हैं। अपनी प्रकृति को प्रकट करने, हिंसा /आगजनी हेतु।


विगत दिनों फ्रांस को जिहादियों (शांतिदूतों ) को शरण देने का तोहफा मिला मार्सेलो शहर की पब्लिक लाइब्रेरी को आग के हवाले करके लाखों ग्रंथों को जला दिया गया। भारत में भी लगभग 830 वर्ष पहले नालंदा विश्वविद्यालय के ग्रंथालय को जेहादी 'बख्तियार खलजी' द्वारा अग्निकांड करके जला दिया गया था। जिसमें लगभग 90000 पांडुलिपिया थी।


खिलजी की सेना ने 6 माह तक पुस्तकों को जलाकर एवं पानी गर्म कर - करके स्नान किया था। विगत सप्ताह से चल रही फ्रांसीसी हिंसा में लगभग 5000 इमारतों ,2,000 से अधिक गाड़ियों व हजारों करोड़ की संपत्ति को जला दिया गया है। लगभग 4000 जगहों पर आगजनी, हिंसा, लूट-पाट हुई है। आज फ्रांस का कोई भी स्टोर सुरक्षित नहीं है सुरक्षा से जुड़े 273 संस्थानों को जिहादियों द्वारा नष्ट किया गया। करीब 500 पुलिस बल की जिहादियों ने पिटाई भी की। लगभग 168 स्कूल ,105 मेयर कार्यालयों को हिंसा व लूट-पाट आगजनी हेतु निशाना बनाया गया।


फ्रांस का आज हाल बेहाल है। सोचिए 45000 पुलिस बल की तैनाती के बाद भी हिंसा रुक नहीं रही है फ्रांस में। जिहादियों / दंगाइयों ने फ्रांस में अमानवीयता की पराकाष्ठा को पार कर लिया है। इसका कारण फ्रांस की नासमझी, अज्ञानता, मूर्खता है जो उसने अफगानिस्तान ,बांग्लादेश ,तुर्की से आए लाख के ऊपर शरणार्थियों/ जिहादियों को शरण दी।

दरअसल वह शरणार्थी के भेष में आए हुए शत्रु( जिहादी) ही थे जिन्हें फ्रांस ने ठीक तरह से नहीं पहचाना और पनाह दी। यदि कोई सांप को पालेगा तो एक दिन वह उसे अवश्य ही डस लेगा बहुत से देशों ने अमेरिका इत्यादि ने शरणार्थियों को शरण देने पर फ्रांस का विरोध किया था जिसे फ्रांस ने नहीं माना व आज परिणाम भुगत रहा है।

दरअसल यह जिहाद समस्या ना तो फ्रांस की, ना भारत देश मात्र की हैयह तो 'वैश्विक समस्या' / 'ग्लोबल प्रॉब्लम' है। यह एक अमानवीय मानवता को निगलने वाली हिंसा, लूट, कब्जे, शोषण की विचारधारा है। "ग्लोबल डायबोलिकल कांस्प्रेशी" है, जो विगत 1300 वर्षों से विश्व में चली आ रही है। पहले लोगों ने इसे हल्के में लिया किंतु आज यह भयानक स्वरूप ले चुकी है 16 /8/46 को 'डायरेक्ट एक्शन' के प्रश्न के उत्तर में ख्वाजा निजामुद्दीन का वचन (यूनाइटेड प्रेस के साथ इंटरव्यू में) - " हम अपना समय धमकियां देने में खराब नहीं करते हैं।


अब समय आ गया है कि मुस्लिम आबादी अपने आपको डायरेक्ट एक्शन के लिए तैयार रखें। (हैव नॉट येट बीन फाइनलाइज्ड) हम अहिंसा के वादे से बंधे नहीं हैं। इसलिए 101 तरह की समस्याएं पैदा करने में समर्थ हैं बंगाल के मुसलमान 'डायरेक्ट एक्शन' का मत्लव भली-भांति जानते हैं। इस कारण उन्हें किसी तरह का निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है।" ( Indian daily mail, कलकत्ता ,12/08/1946 ) यह सिंगापुर से अंग्रेजी में निकलने वाला अखबार था। यह प्रसंग/ उदाहरण तो मात्र इस्लामी विचारधारा को समझने के लिए दिया गया है।

इस फसाद /अमानवीयता की जड़ में कुरान-हदीस की बहावी कट्टरपंथी विचारधारा है जिसके बीज बचपन में बच्चों के कोमल मस्तिष्क में बो दिए जाते हैं। इन्हें सिखाया जाता है कि -दुनिया में इस्लाम को ना मानने वाले सब काफिर हैं ,हमारे शत्रु हैं ,इन्हें जोर-जबर्दस्ती ,डराकर या मौत का भय दिखाकर इस्लाम के झंडे तले लाना है यदि फिर भी यह काफिर इस्लाम स्वीकार ना करें तो फिर इन्हें हलाक कर देना है इस्लामी/ मुसलमान के अलावा दुनिया में किसी को भी जीने का अधिकार नहीं है। ऐसा इनका मानना है

आज विश्व में इस्लाम के द्वारा प्रायोजित 100 से भी अधिक प्रकार से जिहाद 'ग्लोबल जिहाद' चल रहा है। जैसे लव जिहाद ,लैंड जिहाद ,कटिंग जिहाद ,सब्जी /फल जिहाद, भोजन जिहाद ,थूक जिहाद, मूत्र जिहाद, मजार जिहाद ,जनसंख्या जिहाद, मार्केटिंग जिहाद ,सिविल सर्विसेज जिहाद, आईटी जिहाद ,बॉलीवुड जिहाद, विज्ञापन जिहाद ,मार्क्स जिहाद ,गुप्त जिहाद (अनेक प्रकार से) इत्यादि विश्व में जिहाद के लिए इस्लाम के 100 से अधिक आतंकी संगठन भी काम कर रहे हैं जिनमें अलकायदा ,हिज्बुल मुजाहिदीन ,ISIS, सिमी, लश्कर--तैयबा इत्यादि अनेकों नाम है।

देश में जिन्हें हम हल्के में लेते हैं व जिन्हे पंचर पुत्र कहते हैं। उन्होंने लगभग 3 लाख मस्जिदें, 2 लाख मदरसे, लाखों कब्रिस्तान मजारे , दरगाहें, ईदगाहें, खेतों, बागों , 100 से ज्यादा मुस्लिम विश्वविद्यालय और वक्फ संपत्तियों के माध्यम से देश की कुल जमीन के 35% हिस्से पर कब्जा कर लिया।

लगभग दुनिया को तलवार के दम पर मुसलमान बना चुकी इस्लाम की आंधी के विरुद्ध विगत 1300 वर्षों से केवल हिंदुस्तान (भारत) ही अपनी आध्यात्मिकता( प्रखर हिंदुत्व) से ओत-प्रोत वीर सपूतों के दम पर लड़ता/संघर्ष करता चला आ रहा है। आध्यात्मिकता /सनातन /हिंदुत्व विश्व में अजेय, अतुल्य- अनुपम है। जिसकी शक्ति व सामर्थ अनंत व अगण्य है। जिसने लगभग 2000 वर्षों के अनेक आघातों को सहकर भी भारत को अक्षुन्य बनाये रखा। जिसने दुनिया कि भारत आने वाली सारी सभ्यताओं, विचारधाराओं को पचा लिया। तभी तो आदिकाल से भारतीय संस्कृति रूपी गंगा का प्रवाह अविरल व अक्षय बना हुआ है।


यही तो " भारत के राष्ट्रत्व का आनंत प्रवाह" की महिमा/ अतुल्यता /अनुपमता है। तो आइए अब हमारी -आपकी बारी है। अपने राष्ट्र व समाज को जागृत -संगठित- सशस्त्र करें। शक्ति की उपासना करें और गीता के उद्घोष - "विनाशाय च दुष्कृताम्" का पालन कर असुरता को समूल नष्ट करें। विश्व में शांति व मंगलमय वातावरण की स्थापना करें। विश्व को उज्जवल भविष्य की ओर ले चलें। यही आज का राष्ट्रधर्म-युगधर्म है।