सायबर सुरक्षा : आंतरिक सुरक्षा का उभरता आयाम

आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आम नागरिकों के वीडियोज़, तस्वीरे और अन्य कई तरह की व्यक्तिगत जानकारी होती है, अब यदि इसमें सेध लगी तो न जाने क्या हो जाए? इसी तरह कंपनियो के पास भी उनके सिस्टम में बहुत-सा डेटा मौजूद होता है, जिसकी चोरी से कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

The Narrative World    21-Jul-2023   
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महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य के अनुसार, किसी भी प्रकार के आक्रमण से अपनी प्रजा की रक्षा करना प्रत्येक राजसत्ता का पहला कर्त्तव्य होता है। "प्रजा के सुख में ही राजा का सुख है, और प्रजा 0के हित में ही राजा का हित होता है।"


कौटिलीय अर्थशास्त्र में चाणक्य लिखते हैं कि राज्य को चार अलग-अलग प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ सकता है- ). आंतरिक, ). बाह्य, ). बाह्य सहायता प्राप्त आंतरिक, और घ). आंतरिक रूप से सहायता प्राप्त बाहरी।


अतः यह कहा जा सकता है कि अंतरिक सुरक्षा के प्रमुख घटक है भीतरी और बाहरी खतरों से की सुरक्षा करना, देश में आंतरिक शांति और कानून व्यवस्था बनाये रखना आदि किसी देश की सुरक्षा के महत्त्वपूर्ण घटक होते हैं।


अब यदि आज के भारत की बात करें, तो नक्सलवाद, धार्मिक कट्टरता एवं नृ-जातीय संघर्ष, भ्रष्टाचार, नशीले पदार्थों की तस्करी और व्यापार, मनी लॉण्ड्रिंग, आतंकवाद, साइबर-अपराध, मानव तस्करी आदि देश की आंतरिक सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न कुछ बड़ी चुनौतियाँ हैं।


पर आज के इस डिजिटल युग में सायबर अपराध उपर्युक्त सभी चुनौतियों पर बीस साबित होते हैं। अमेरिकी सायबर सुरक्षा फर्म पालो ऑल्टो नेटवर्क्स की वर्ष 2021-2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हुए कुल रैंज़मवेयर हमलों में से 42 प्रतिशत हमलों का सामना करने वाला महाराष्ट्र, इस सूची में पहले स्थान पर है। यह चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि जहाँ महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई भारत का कमर्शियल हब वै, वहीं पुणे देश के आईटी उद्योग का महत्त्वपूर्ण केन्द्र है।


भारत हैकर समूहों के लिये भारत आर्थिक रूप से अधिक लाभदायक क्षेत्रों मे से एक है। इसलिये हैकर्स भारतीय डेटा तक पहुँच प्राप्त करने के लिये क्रिप्टोकरेंसी आदि तमाम युक्तियों का उपयोग करते हैं।


कोविड-19 की महामारी के बाद से पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं, जैसे - वित्तीय सेवाओं, बैंकों, विद्युत ग्रिड्स एवं आपूर्ति, विनिर्माण, परमाणु ऊर्जा इत्यादि का तेजी से डिजिटलीकरण किया जा रहा है।


इन विभिन्न आर्थिक एवं गैर-आर्थिक क्षेत्रों की आपस में बढ़ती निर्भरता व इनके अन्तर्सम्बन्धों में बदलाव के साथ-साथ "5जी" इंटरनेट में होने वाली बढोत्तरी के बाद से सायबर सुरक्षा का विषय किसी भी देश की आंतरिक सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण अंग हो गया है।


आज शत्रु हथियारों की लड़ाई या फिर कूटनीतिक लड़ाई के साथ न जाकर सायबर हमलों का इस्तेमाल कर रहा है। भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) द्वारा प्रस्तुत आँकडों की मानें, तो 2020-21 के प्रारंभिक महीनों मे ही कुल 6.97 लाख सायबर घटनाएँ दर्ज हुईं।


जहाँ 'रेड इको' नामक मैलवेयर ने बिजली क्षेत्र को निशाना बनाया था, वहीं 'स्टोन पाण्डा' नामक चीनी हैकर समूह ने "भारत बायोटेक" और "सीरम इंस्टीट्यूट" के डेटा में सेंधमारी की थी।


सायबर सुरक्षा इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि स्थानीय स्वशासन से लेकर राज्य एवं केंद्र सरकारें भौगोलिक, सैन्य रणनीतिक, संपत्ती सम्बन्धी व्यापक डेटा के साथ-साथ कई गोपनीय डेटा भी एकत्रित करती हैं, जिनकी सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण होती है।


आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आम नागरिकों के वीडियोज़, तस्वीरे और अन्य कई तरह की व्यक्तिगत जानकारी होती है, अब यदि इसमें सेध लगी तो न जाने क्या हो जाए? इसी तरह कंपनियो के पास भी उनके सिस्टम में बहुत-सा डेटा मौजूद होता है, जिसकी चोरी से कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।


इन सबको देखते हुए बड़े पैमाने पर हो रहे डिजिटलीकरण, अवसंरचना विकास, डिजिटल भुगतान सहित छोटे-बड़े सभी व्यवसायों की सुरक्षा आदि महत्त्वपूर्ण विषयों को राष्ट्रीय सायबर-सुरक्षा रणनीति के मुख्य घटकों में शामिल किया जाना चाहिए।


इसके अलावा अनुसंधान, नवाचार, कौशल-निर्माण, आपदा-प्रबंधन, सायबर-बीमा, कुटनीति, साबइर-अपराध जाँच, IOT या इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि का इस्तेमाल सायबर सुरक्षा के लिए किया जा सकता है।


कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि देश की आंकरिक सुरक्षा के पारंपरिक विषयों के साथ ही हमें इस उभरते आयाम पर भी तत्परता पूर्वक कार्य करना होगा, क्योंकि जब शत्रु दिखाई न देता हो तब अधिक सतर्कता तो बरतनी ही होगी।


लेख


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कौस्तुभ श्रीकांत कुलकर्णी

यंगइंकर

महाराष्ट्र