सही मायने में वर्तमान काल में PFI व "केंपस फ्रंट ऑफ इंडिया" और ''गुस्ताख ए रसूल की एक सजा, सर तन से जुदा'' जैसे नारे और सर कलम करने के कृतयों के मूल में शेख अहमद सरहिंदी को देखा जा सकता है।
'इरफान हबीब' ने सरहिंदी और इससे प्रभावित वली उल्लाहही आंदोलन के भविष्य पर कुछ राजनैतिक प्रभाव से इनकार किया है। जबकि सरहिंदी के प्रभाव के मूल्यांकन की आवश्यकता है। शेख अहमद सरहिंदी भारत में मुस्लिम राष्ट्रवाद का सरगना है।
भारत में अंग्रेजों से आजादी के संघर्ष काल में कांग्रेस के नेताओं ने हिंदू -मुसलमानों के बीच परंपरागत संघर्ष की स्थिति पर पर्दा डालकर, उनके बीच संबंधों (जिहादी षड्यंत्र) की असलियत को छुपाने के लिए' गंगा जमुनी तहजीब' की बात करना प्रारंभ किया।
बहुत सी घटनाएं उदाहरण हमारे इतिहास में भरे पड़े हैं । 1923 के काकीनाडा कांग्रेस अधिवेशन में वंदेमातरम का गायन मुस्लिमों द्वारा रुकवाया गया इत्यादि भारत विरोधी मानसिकता का एक बड़ा उदाहरण है।
स्वामी श्रद्धानंद जी की हत्या हो अथवा, विभाजन के समय लाहौर (पाक) से आने वाली ट्रेनों में 18 - 20 हजार हिंदुओं की लाशों का तोहफा हो। मुस्लिम हिंसक/ अमानवीय मानसिकता के अनेकों उदाहरण इतिहास में भरे पड़े हैं। जिनसे देश व विश्व के वर्तमान समाज को सीख/ सबक लेनी चाहिए व झूठी "गंगा- जमुनी तहजीब"/ मक्कारी की बातें बंद करनी चाहिए।
इस्लाम की प्रकृति पड़ोसी देशों को जीतकर उन्हें अधीनस्थ कर, वहां के निवासियों को मतांतरित करने अथवा उन्हें अपमानित कर जजिया कर (टैक्स) देने वाले जिम्मी के रूप में जीवित छोड़ने/ प्रताड़ित करने की रही है।
एशिया में ऊद्भभूत नक्शबंदी सिलसिले को भारत में लाने वाले 'बाकी बिल्ला' के मुरीद 'शेख अहमद सरहिंदी' ने कट्टरपंथी मुस्लिम वर्ग का नेतृत्व किया व सरहिंदी ने अपने अनुयायियों तथा मुगल अधिकारी वर्ग को 536 पत्र लिखे। जो 3 जिल्दों में प्रकाशित हैं। पत्रों में गैर मुस्लिम भारतीयों के प्रति अत्यधिक घृणा की अभिव्यक्ति है।
इन पत्रों में इस्लाम की विचारधारा/ एजेंडा परिलक्षित होता है। पत्रों में निम्न तथ्य दृष्टिगोचर हैं -
1 . गौ हत्या को प्रोत्साहन देना
2. मुस्लिमों को हिंदुओं पर जजिया कर लगाने
3. मुसलमानों को गैर मुस्लिम से मेल-जोल नहीं रखने
4. सिख गुरु अर्जुन देव की हत्या पर खुशी का इजहार
5. हिंदू मंदिर व मूर्ति तोड़ने को सही इस्लामी कृत्य बताया है
6. कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिंदू त्यौहार मनाने पर खेद व्यक्त किया गया
7. हिंदुओं (काफिरों ) को प्रताड़ित करने व इस्लाम स्वीकार न करने पर 'हलाक' (कत्ल) का आदेश
ऐसे मानवता के घोर विरोधी दरिंदे शेख अहमद सरहिंदी को मुस्लिम नेतृत्व द्वारा (इस्लाम का पुनर्नवी करण करने वाला) 'मुजाहिद्द' ( Mujahdid ) तथा ' अल्फसानी ' (इस्लाम की दूसरी सहस्राब्दी का प्रारंभ कर्ता) 'तमगे 'से नवाजा गया।
उसने अपने आपको कायनात को कायम रखने वाला 'खय्याम' (Qayyum) घोषित किया। सारे इस्लामी आंदोलन /इस्लामिक मूवमेंट (जिहाद) जैसे- भारत के सारे विभाजन कारी - हिंसक आंदोलनों में, औरंगजेब के नृशंस कृतयों, वली उल्लाहही आंदोलन, सैयद अहमद बरेलवी और खय्याम स्माइल के जिहाद देवबंद व अलीगढ़ के शिक्षा के नाम पर किए गए जिहादी मूवमेंट/आंदोलन, अहमद रजा खान का पैगंबर भक्ति आंदोलन और अल्लामा इकबाल और मोहम्मद अली जिन्ना का पाकिस्तान यानी 'भारत विभाजन आंदोलन' सभी के मूल में मुल्ला शेख अहमद सरहिंदी ही रहा है।
आज सारे भारत में इस्लामी/ जिहादी नेटवर्क फैल चुका है जोकि 'साइलेंट मोड' में प्रायोजित तरीके से एक विशेष रणनीति के तहत कार्य कर रहा है। कभी कश्मीर व केरल में IsIs के झंडे दिखाए जाते हैं। तो केरल में PFI के रूप में जिहादी सेना बन चुकी है।
'सिमी' के रूप में 'स्लीपर सेल' विगत कई वर्षों से देश में सक्रिय है। सिमी के युवा आतंकी विगत वर्षों में इंदौर, उज्जैन, बुरहानपुर, जबलपुर, नरसिंहपुर, दिल्ली, भोपाल, रायसेन, उत्तरप्रदेश इत्यादि में पकड़े भी गए थे।
अभी पिछले माह मध्यप्रदेश में 'हेब्बत उल तहरीर' एक नया आतंकी संगठन भोपाल वा रायसेन में पकड़ाया है। वहीं पिछले दिनों जबलपुर में भी NIA ने कुछ संदिग्ध आतंकी गतिविधियों में एक मुस्लिम वकील, एक डॉक्टर व एक मुस्लिम कबाड़ी के यहां छापा मारा था।
पिछले कई बरसों से जिहादी युवा रोजगार/ नौकरी के नाम पर पासपोर्ट बनवा कर यूएई/अरब कंट्री में जाते रहे हैं, जो खुफिया रिकॉर्ड के अनुसार यह सभी विदेशों में आतंक की ट्रेनिंग लेकर 'जिहादी आईटी सेल' की भूमिका में वापस भारत लौटे हैं। जिन पर एनआई ए,आईबी की कड़ी नजर है।
खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि - पिछले वर्षों में भारत-पाक समुद्री सीमा से जिन मछुआरों को पाक सीमा उल्लंघन करने के बहाने पकड़कर पाक ले जाता था, वह भी एक 'प्रायोजित जिहादी षड्यंत्र ' ही था। जिसके तहत इन मछुआरों को जान-बूझकर पकड़कर पाकिस्तान ले जाया जाता था।
फिर वहां इनको जिहाद की विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती थी एवं ट्रेनिंग पूरी होने पर आगामी 15 अगस्त व 26 जनवरी को इन्हें शांति समझौते के रूप में भारत भेज दिया जाता था। ऐसा पाक प्रायोजित षड्यंत्र कई वर्षों तक चलता रहा।
इस प्रकार से हजारों जिहादियों को ट्रेंड करके पाक ने भारत में मछुआरों के रूप में भेज दिया। यह सब कांग्रेसी सरकार के शासनकाल में जिहादी फलते- फूलते रहे। अब आप सोच सकते हैं कि दुनिया में जिहाद 100 से भी अधिक प्रकार से चल रहा है।
कुछ प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से भी, व खुफिया तरीके से भी जिहाद भारत में चल रहा है। चूँकि विगत 9 वर्षों से भारत में पीएम मोदी की राष्ट्रभक्त, कर्मठ सरकार है। जिसके कठोर अनुशासन द्वारा एजेंसियों के माध्यम से इन राष्ट्र द्रोहियों पर शिकंजा कसा गया है।
जिसके परिणाम स्वरूप में जिहादी ना तो घटनाओं, विस्फोट को ही अंजाम दे पा रहे हैं। उल्टे एजेंसियों के हाथ लग जाते हैं। अतः मोदी सरकार की कर्मठता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, राष्ट्रभक्ति के चलते ये सभी संडयंत्रों का पर्दाफाश हो रहा है व इन पर नकेल भी लगाई जा रही है। क्योंकि इनके तार (सूत्र) पिछली सरकारों से जुड़े रहे हैं । इसी कारण विपक्ष म्याऊं- म्याऊं करता रहता है।
बहुत पुराना घालमेल जो है इन देशद्रोहियों से। पक्के घालमेल का उदाहरण इसी से समझा जा सकता है कि - पिछली राष्ट्रपति महोदया प्रतिभा पाटिल से 30 जघन्य अपराधियों की मृत्युदंड की सजा माफ करवाई गई, जो कि पीएमओ की अनुशंसा पर ही होता है।
जबकि सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार से इन अपराधियों को राष्ट्रहित में नहीं छोड़ने की अपील की थी किंतु मोनी सरदार ने नहीं मानी। अतः आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देशद्रोही- देशघाति शक्तियों का पिछले 60 वर्षों से सत्ता में काबिज रही सरकार व पार्टी से कितना गहरा संबंध /घालमेल रहा है।
वर्ष 2008 में सेना के RDX लेकर जोधपुर से सागर (मध्यप्रदेश) के लिए रवाना हुये 108 ट्रक का (काफिला ) गायब हुआ। जिसका आज तक खुलासा नहीं हुआ । तब लगता है कि देश में गृह- युद्ध छेड़ने के इन आतंकियों/ देशद्रोहियों के मंसूबे जान पड़ते हैं। और भी ना जाने कितने उदाहरण इनके दिए जा सकते हैं।
आज देश के 600 जिलों में से लगभग कई जिले माओवाद /आतंक से ग्रसित हैं। कई राज्यों के अनेकों जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गया है। वहां हिंदू प्रताड़ित है व धीरे-धीरे पलायन कर रहा है। पूर्वोत्तर के 7 राज्यों को भारत से अलग करने की चीन व ईसाई पोप की साजिश अलग चल रही है।
पूर्वोत्तर में असम, झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र ,आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल तक एक 'ग्रीन कॉरिडोर '(हरी पट्टी) बनाने की दिशा में जिहादी बहुत हद तक कामयाब भी हो चुके हैं। 2047 पीएफआई का 'गजवा ए हिंद ' का प्रोग्राम है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने एक चैनल पर बताया कि - ''वर्तमान में देश के अनेकों जिलों में डेमोग्राफी चेंज (जनांकिकीय असंतुलन) बढ़ चुका है। बंगाल के 14 जिले, असम के 9, झारखंड 4, बिहार 6, यूपी के 16 जिलों में 'डेमोग्राफी चेंज' हो चुकी है।
गुजरात में कच्छ, भडोच, द्वारका की डेमोग्राफी चेंज हो चुकी है। यूपी के बॉर्डर पर 116 गांव में 50% मुस्लिम बढे। यूपी के 7 जिलों में 52% बढ़ी मुस्लिम आबादी। कई गांवों में मुस्लिम आबादी 35- 50% का जंप हुआ।
हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में कश्मीर की तर्ज पर जिहादी गतिविधियां जारी हैं। सीमावर्ती इलाकों में हैरतअंगेज जनसंख्या बदलाव। हम भूल गए कि पूर्वोत्तर के 7 राज्यों में पिछली सरकार के कार्यकाल में 15 अगस्त व 26 जनवरी के अवसर पर तिरंगा फहराने हेतु केंद्र से (दिल्ली) 30-40 अर्धसैनिक बलों की कंपनियां भेजी जाती थी। तब संगीनों के साए में वहां स्वतंत्रता दिवस/ गणतंत्र दिवस/ राष्ट्रीय पर्व (ध्वजारोहण) संपन्न होता था।
दक्षिण के राज्यों की स्थिति भी काफी खतरनाक है। वहां जिहादी तिरंगे झंडे पर रखकर 'गौ माता' की हत्या कर रहे हैं ; जो कि भारतीय संस्कृति में पूजनीय( मां) है। अनेकों प्रकार से राष्ट्रीयता को चुनौती दी जा रही हैं। पिछले दिनो कर्नाटक में एक महिला को गाड़ी से उतारकर सिर्फ इसलिए गोली मारी गई कि वह हिंदू धर्म के लिए काम कर रही थी।
आखिर हम कब तक समस्या से मुंह छुपाएंगे ? कब तक भागेंगे ?एक ना एक दिन तो सामना करना ही पड़ेगा!! तो क्यों ना समय रहते हम जागृत, संगठित होकर कदम उठाएं, समाधान कारक उपाय करें। स्वामी विवेकानंद ने कहा था की- "समस्या का उपाय भागना नहीं, डटकर खड़े होना, मुकाबला करना है।"
किसी विचारक का कथन है कि - "यदि हम समाधान का हिस्सा नहीं हैं तो फिर हम ही समस्या हैं।" प्राचीन भारतीय पौराणिक साहित्य में झांकने पर एक तथ्य निकल कर आता है कि प्राचीन काल सतयुग- त्रेतायुग में भी अनेकों बार असुरता का तांडव धरती पर हुआ था। तब देवताओं ने अपनी संगठित शक्ति के रूप में 'दुर्गा शक्ति' का आविर्भाव किया। तब जाकर संगठित प्रतिरोध से असुर्ता पर विजय प्राप्त हुई थी। अतः आज भी वही उदाहरण हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। हम सदा सरकार के लिए ना बैठे रहे वरन्ं स्वयं आत्मनिर्भर बने,समाधान खोजें । "हम समस्या नहीं- समाधान बनें।"