माओवाद प्रभावित क्षेत्रों के विपक्षी नेताओं की सुरक्षा में कांग्रेस सरकार ने की कटौती, राज्यपाल से मिलने पहुंचा पूर्व विधायकों का दल

पूर्व विधायकों ने यह आरोप लगाया है कि प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा से प्रदेश की कांग्रेस सरकार खिलवाड़ कर रही है। पूर्व विधायकों का कहना है कि जिस प्रकार से संवेदनशील क्षेत्रों में राजनीतिक रूप से सक्रिय विपक्षी भाजपा नेताओं की सुरक्षा को कम किया गया है, वह भी किसी राजनीतिक "कुनीति" की ओर संकेत देता है, जिसका बड़ा कारण यह है कि कुछ ही महीनों में छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं।

The Narrative World    28-Jul-2023   
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छत्तीसगढ़ में स्थित संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रिय विपक्षी
(भाजपा) नेताओं की सुरक्षा को प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने हाल ही में कम कर दिया था, अब इस मामले को लेकर संवेदनशील क्षेत्रों के पूर्व विधायकों ने राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन सौंपा है।


ज्ञापन सौंपने वाले नेताओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ में कई जिले एवं विधानसभा क्षेत्र संवेदनशील क्षेत्रों में आते हैं और प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा वामपंथ उग्रवाद से भी प्रभावित है।


इसके अतिरिक्त प्रदेश में आगामी महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे समय में प्रदेश में चल रही कांग्रेस पार्टी की सरकार ने उनकी सुरक्षा में कमी करने का निर्णय लिया है।


ज्ञापन में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने दिनांक 16 जून, 2023 को एक पत्र जारी करते हुए पूर्व विधायकों की सुरक्षा कम करने का निर्देश दिया है। सरकार ने इस निर्देश को लेकर 22 मई, 2023 को 'प्रोटेक्शन रिव्यू ग्रुप' की बैठक के बाद की गई अनुशंसा को आधार बनाया है।


पूर्व विधायकों ने यह आरोप लगाया है कि प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा से प्रदेश की कांग्रेस सरकार खिलवाड़ कर रही है। पूर्व विधायकों का कहना है कि जिस प्रकार से संवेदनशील क्षेत्रों में राजनीतिक रूप से सक्रिय विपक्षी भाजपा नेताओं की सुरक्षा को कम किया गया है, वह भी किसी राजनीतिक 'कुनीति' की ओर संकेत देता है, जिसका बड़ा कारण यह है कि कुछ ही महीनों में छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं।


ज्ञापन में पूर्व जनप्रतिनिधियों ने कहा है कि वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित एवं संवेदनशील क्षेत्रों के पूर्व विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को कम करने के कारण अब उनके जान-माल की हानि का खतरा बढ़ चुका है।


एक आंकड़ा पेश करते हुए उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में पिछले 4 वर्षों में नक्सली-माओवादी समूह के द्वारा की गई जनप्रतिनिधियों की हत्याएं भी इसकी गवाही देती हैं।


पूर्व विधायकों के द्वारा रखे गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2019 से लेकर मार्च 2023 तक छत्तीसगढ़ में माओवादियों के द्वारा संवेदनशील क्षेत्रों में कुल 33 जनप्रतिनिधियों या राजनीतिक रूप से सक्रिय लोगों की हत्या की गई है।


उनका कहना है कि ऐसे में पूर्व विधायकों की सुरक्षा में कमी करना मानवीयता की दृष्टि से भी अनुचित है।


पूर्व विधायकों ने राज्यपाल से निवेदन किया है कि इस अतिमहत्वपूर्ण एवं जीवन-मृत्यु से जुड़े विषय को संज्ञान में लें, एवं प्रदेश की सरकार को इस विषय से अवगत कराएं कि संवेदनशील क्षेत्रों में पूर्व विधायकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, तथा जिनकी सुरक्षा कम की गई है उसे पूर्व की भाँति बहाल किया जाए।


इसके अतिरिक्त उनका कहना है कि राज्यपाल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को यह भी संदेश दें कि पूर्व जनप्रतिनिधियों एवं विधायकों का जीवन किसी भी तरह की राजनीति या चुनाव से अधिक मूल्यवान है।


राज्यपाल से भेंट करने वाले नेताओं में भोजराज नाग, सुभाऊ कश्यप, पिंकी ध्रुव, लच्छुराम कश्यप सहित कुल 5 पूर्व विधायक शामिल थे। यह सभी विधायक प्रदेश के ऐसे क्षेत्रों से आते हैं जो संवेदनशील माने जाते हैं और इन क्षेत्रों में माओवाद का अत्यधिक प्रभाव है।


ऐसी परिस्थिति में सुरक्षा हटाने को लेकर पूर्व विधायक भोजराज नाग ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने आगामी चुनाव के चलते उनकी सुरक्षा में कमी की है। भोजराज नाग ने मांग की है कि उनके समेत संवेदनशील क्षेत्रों के जिन-जिन नेताओं की सुरक्षा में कमी की गई है उनकी सुरक्षा पूर्व की भांति बहाल की जाए।


किनकी सुरक्षा में की गई कमी ?


कांग्रेस सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देश के अनुसार बस्तर के पूर्व विधायक सुभाउराम कश्यप की सुरक्षा को वाय प्लस से घटाकर वाय कर दिया गया है। वहीं चित्रकोट से पूर्व विधायक बैदूराम कश्यप एवं पूर्व विधायक लछुराम कश्यप की ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा को घटाकर वाय कर दिया गया है।


अंतागढ़ के पूर्व विधायक एवं जनजाति हितों की रक्षा के लिए निरंतर आवाज़ उठाने वाले भोजराज नाग की सुरक्षा को ज़ेड से घटाकर वाय श्रेणी में डाल दिया गया है। इसके अतिरिक्त भानुप्रतापपुर के पूर्व विधायक ब्रह्मानंद नेताम की सुरक्षा वाय प्लस से घटाकर एक्स श्रेणी में डाल दी गई है।


यह सभी वो नेता हैं जिन पर माओवादियों के द्वारा हमले किए जाने का सर्वाधिक खतरा है। वहीं जिस प्रकार से आगामी 4 महीनों में चुनाव है, ऐसे में भाजपा के इन नेताओं की सुरक्षा को घटाना भूपेश सरकार की किसी 'खास रणनीति' का हिस्सा लगता है।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भाजपा नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि राज्य सरकार ने जानबूझकर सुरक्षा में कटौती की है।


केदार कश्यप का कहना है कि इस वर्ष दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर में माओवादियों ने भाजपा नेताओं की हत्या की है, जिसके बाद जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ भाजपा नेताओं में भी भय है, ऐसे में सरकार ने जानबूझकर सुरक्षा को कम किया है। वहीं वर्ष 2023 में माओवादियों द्वारा भाजपा नेताओं को निशाना बनाकर उनकी हत्या की गई है।


बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर जिले में एक माह के भीतर ही 4 कद्दावर भाजपा नेताओं को माओवादियों ने जान से मारा है।


भाजपा नेताओं की 'टारगेट किलिंग' को देखते हुए राज्य सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व इस तरह से पूर्व भाजपा विधायकों की सुरक्षा में कटौती नहीं करनी चाहिए थी, क्योंकि यहां एक इंसान के जान की कीमत विधानसभा की सीट और राज्य की राजनीति से अधिक कीमती है.