माओवादियों का फर्जी 'शहीदी सप्ताह' : हथियार लूटने के इरादे से माओवादियों ने किया हमला, सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में माओवादियों को भारी नुकसान

कड़ी सुरक्षा और आक्रामक अभियानों से बौखलाए माओवादियों ने इस वर्ष भी अपने इस कथित शहीदी सप्ताह के दौरान सुरक्षाबलों को निशाना बनाने का प्रयास किया है, लेकिन जवानों की जवाबी कार्रवाई से माओवादियों को ही नुकसान उठाना पड़ा है।

The Narrative World    31-Jul-2023   
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देश के माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों में प्रतिबंधित माओवादी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
(माओवादी) द्वारा एक 'फर्जी' शहीदी सप्ताह मनाया जा रहा है, जो इस कम्युनिस्ट आतंकी संगठन के प्रोपेगेंडा का एक टूल है।


28 जुलाई से 03 अगस्त तक चलने वाले इस कथित शहीदी सप्ताह के दौरान माओवादी अपने प्रभावी क्षेत्रों में माओवादी-कम्युनिस्ट विचार का प्रचार प्रसार करते हैं, साथ ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के नाम पर विभिन्न स्थानों पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं।


हालांकि केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से माओवादियों के विरुद्ध जिस प्रकार से आक्रामक अभियान चलाए गए हैं, उससे माओवादी अब बैकफुट में हैं।


कुछ यही स्थिति इस वर्ष भी दिखाई दे रही है। छत्तीसगढ़ समेत, ओडिशा, झारखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और माओवाद से प्रभावित अन्य क्षेत्रों में सुरक्षाबल पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं।


तथाकथित शहीदी सप्ताह के चलते माओवादियों के विरुद्ध सुरक्षाबलों ने अपनी चौकसी भी बढ़ा दी है। इसके अतिरिक्त रेलवे द्वारा भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।


कड़ी सुरक्षा और आक्रामक अभियानों से बौखलाए माओवादियों ने इस वर्ष भी अपने इस कथित शहीदी सप्ताह के दौरान सुरक्षाबलों को निशाना बनाने का प्रयास किया है, लेकिन जवानों की जवाबी कार्रवाई से माओवादियों को ही नुकसान उठाना पड़ा है।


सामने आई जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में माओवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमला करने का प्रयास किया है।


जिले के चिंतागुफा के अंदरूनी क्षेत्र छोटेकेड़वाल के भीतरी जंगलों में माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच लगभग 1 घंटे तक मुठभेड़ हुई है।


सुकमा पुलिस के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सुरक्षाबलों ने इस मुठभेड़ के दौरान 4 से 6 माओवादी मार गिराए हैं, या उन्हें घायल किया है।


हालांकि किसी माओवादी का शव नहीं मिला है लेकिन सुरक्षाबलों ने ऐसा अनुमान लगाया है कि माओवादियों को इस मुठभेड़ में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।


पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार माओवादी बड़ी संख्या में इस जगह पर शहीदी सप्ताह मनाने के लिए एकत्रित हुए थे।


पुलिस को यह गुप्त सूचना मिली थी कि क्षेत्र में एकत्रित हुए माओवादी आतंकियों में माओवादी आतंकी संगठन किस्टाराम एरिया कमेटी के इंचार्ज डीवीसीएम राजू एवं माओवादियों के प्लाटून क्रमांक 8 के इंचार्ज मासा भी मौजूद थे।


यह दोनों खूंखार माओवादी आतंकियों में शामिल हैं, जिनकी तलाश पुलिस लंबे समय से कर रही है।


इसके अतिरिक्त यह जानकारी भी सामने आई थी कि इन माओवादी आतंकी नेताओं के अलावा 30 से 35 अन्य माओवादी भी मौके पर मौजूद हैं।


सुकमा पुलिस ने बताया कि माओवादियों के एकत्रित होने की गुप्त सूचना मिलने के बाद छोटेकेड़वाल, बड़ेकेड़वाल एवं सिंघनमड़गू के अंदरूनी जंगलों में सुरक्षाबलों की विशेष टीम को अभियान के लिए रवाना किया गया।


इस टीम में डीआरजी एवं सीआरपीएफ कोबरा के जवानों को भेजा गया जिन्होंने अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर अपनी सर्चिंग शुरू की। सुरक्षा बल के जवान जब छोटेकेड़वाल के अंदरूनी जंगलों में पहुंचे तब माओवादी आतंकियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।


माओवादियों ने सुरक्षाबलों के हथियार लूटने और बड़ी संख्या में उन को नुकसान पहुंचाने के इरादे से हमला किया था लेकिन यह दांव उन पर ही उल्टा पड़ गया।


माओवादियों के द्वारा की गई फायरिंग के बाद सुरक्षाबलों ने अपनी ओर से जवाबी कार्रवाई शुरू की।


इस दौरान दोनों ओर से लगभग 1 घंटे तक मुठभेड़ चलती रहे। इस मुठभेड़ के बाद जवान माओवादियों पर भारी पढ़ने लगे जिससे घबराकर माओवादी जंगलों की आड़ लेकर भाग निकले।


मुठभेड़ के बाद पुलिस बल से मिली जानकारी के अनुसार इसमें माओवादियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है और ऐसा अनुमान है कि 4 से 6 माओवादी मारे गए हैं या घायल हुए हैं।


56 वर्षों में मारे गए 14,800 माओवादी आतंकी


माओवादी प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई से लेकर 3 अगस्त के बीच अपना यह फर्जी शहीदी सप्ताह मनाते हैं।


इस वर्ष भी माओवादी इस तथाकथित शहीदी सप्ताह को मना रहे हैं और इसकी शुरुआत होने से पहले ही माओवादी आतंकी संगठन की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी।


माओवादी आतंकी संगठन ने एक प्रेस नोट जारी कर बीते 56 वर्षों का आंकड़ा जारी किया था। इसमें माओवादियों ने बताया था कि वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी क्षेत्र से शुरू हुआ यह माओवादी आतंक का सिलसिला 2023 तक आकर कहां तक पहुंचा है।


माओवादी आतंकी संगठन के सेंट्रल कमेटी के द्वारा जारी किए गए इस प्रेस नोट के अनुसार वर्ष 1967 से लेकर 2023 तक 14,800 माओवादी मारे जा चुके हैं।


माओवादियों के द्वारा इस प्रेस विज्ञप्ति को हिंदी अंग्रेजी एवं तेलुगु भाषा में जारी किया गया था। माओवादियों के द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार बीते साढ़े पांच दशकों में मारे गए महिला माओवादियों की संख्या 1,169 रही है।


वहीं बीते 18 वर्षों के आंकड़ों की बात करें तो इस दौरान 4,576 माओवादी मारे गए हैं, जिसमें 856 महिला माओवादी भी शामिल है। यह सभी आंकड़े माओवादी आतंकी संगठन के द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट में उल्लिखित हैं।


क्या है माओवादियों का शहीदी सप्ताह ?


माओवादी मुख्य रूप से बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में अपनी शहीदी सप्ताह से जुड़ी तमाम गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इस दौरान माओवादी अपने आतंकी संगठन के मारे गए आतंकी साथियों की स्मृति में बनाए गए स्मारकों को सलामी देते हैं।


इसके अतिरिक्त माओवादी प्रयास करते हैं कि इस दौरान अपने प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों को अधिक से अधिक माओवादी संगठन से जोड़ सकें और माओवादी विचारधारा के प्रति उन्हें आकर्षित कर सकें।


बीते वर्ष माओवादियों ने सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन शहीदी सप्ताह के दौरान किया था। इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानी ग्रामीण मौजूद थे।


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम में माओवादियों ने ग्रामीणों को अपने संगठन से जुड़ने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए थे और आसपास के क्षेत्रों के गांव से हजारों लोगों को एकत्रित किया था।


ऐसी जानकारी भी सामने आई थी कि इस कार्यक्रम में माओवादी आतंकी संगठन के शीर्ष आतंकी नेता भी शामिल थे जिनके ऊपर एक करोड़ रुपए तक की इनामी राशि घोषित है।