जिंदा कैदियों को "ब्रेन डेड" घोषित कर उनके अंग निकाल लेती है चीनी कम्युनिस्ट सरकार

रिपोर्ट में कहा गया कि चीन में मौत की सजा पा चुके लोगों के अंग निकालने को भी कानून बनाया गया है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों को इस बात की चिंता है कि चीन जैसे कम्युनिस्ट अधिनायकवादी देश में कैदियों की मौत होने या उन्हें मौत की सजा देने से पहले ही उनके शरीर से महत्वपूर्ण अंग निकाल लिए जा रहे हैं।

The Narrative World    10-Aug-2023   
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चीन में अल्पसंख्यक फालुन गोंग और उइगर मुस्लिम नागरिकों के अंगों को कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा जबरन निकालने को लेकर वैश्विक मीडिया में कई रिपोर्ट्स प्रकाशित हो चुकी है।


इसके अलावा दुनिया के विभिन्न देशों में स्थित शोध संस्थाओं और मानवाधिकार संस्थाओं ने भी समय-समय पर ऐसी रिपोर्ट्स सामने लाई हैं।


एक शोध में इस बात की जानकारी सामने आई थी कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार जिन कैदियों को मौत की सजा देती है उनके जिंदा रहते ही उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को निकाल देती है।


इसके लिए चीन ने मुख्य तौर पर उइगर मुस्लिम और फालुन गोंग से जुड़े लोगों को निशाना बनाकर रखा है।


शोध में इस बात का उल्लेख किया गया है कि चीन में अंगदान करने वालो की संख्या कम होने के बाद भी अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा समय बेहद छोटी है, इसका मुख्य कारण चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा किया जा रहा अवैध अंग प्रत्यारोपण ही माना जा सकता है।


मिरर ने ऑस्ट्रेलिया में हुए रिसर्च के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि चीन में कुछ उपेक्षित समुदायों के जिंदा कैदियों के भी अंग निकालकर प्रत्यारोपित किया जा रहा है।


रिपोर्ट में कहा गया कि चीन में मौत की सजा पा चुके लोगों के अंग निकालने को भी कानून बनाया गया है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों को इस बात की चिंता है कि चीन जैसे कम्युनिस्ट अधिनायकवादी देश में कैदियों की मौत होने या उन्हें मौत की सजा देने से पहले ही उनके शरीर से महत्वपूर्ण अंग निकाल लिए जा रहे हैं।


ऐसा माना जा रहा है कि कैदियों को मौत की सजा देने से पहले ही अंग प्रत्यारोपण कर उसकी भूमिका बनाई जा रही है। इसमें सबसे अधिक उइगर मुस्लिम और फालुन गोंग के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है।


ऑस्ट्रेलिया मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार चीन में अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा में लगने वाला समय पूरे विश्व की तुलना में सबसे कम है, जबकि सच्चाई यह है कि चीन में अंग दान करने वाले लोगों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है।


ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के मैथ्यू रॉबर्टसन ने अपने शोध में इस बात का दावा किया कि चीन कुछ विशेष कैदियों (अल्पसंख्यक मुस्लिम और फालुन गोंग) के अंगों को ऑपरेशन कर जीवित रहते ही निकाल लेता है।


मैथ्यू रॉबर्ट्सन की रिपोर्ट को अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रांसलेशन में भी प्रकाशित किया गया था। इस जर्नल के अनुसार चीन कैदियों के शरीर से अंगों को निकालकर उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर देता है।


अपने शोध में उन्होंने पाया कि चीन के ट्रांसप्लांट पब्लिकेशन में 71 रिपोर्ट ऐसी थी जिसमें ब्रेन डेड की घोषणा सही तरीके से नहीं की गई थी।


उन्होंने लिखा है कि यह सभी गतिविधियां कम्युनिस्ट चीन की मानवाधिकार विरोधी मानसिकता को स्पष्ट रूप से उजागर करती है।


दरअसल चीन में जेल में बंद कैदियों की सहमति लेकर मौत की सजा दिए जाने के बाद यदि उनके शव का कोई दावेदार नहीं होता तो उनके अंग निकालने की अनुमति 1984 में दी गई थी।


लेकिन वर्ष 2019 में एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने यह पाया था कि चीन बिना सहमति के जबरदस्ती कैदियों के अंग निकाल रहा है।


चीन में मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर तिब्बती शरणार्थियों ने पहले भी कई बार इस बात का खुलासा किया है।