केरल सरकार में मंत्री साजी चेरियन ने पहले अजान और लाउडस्पीकर को लेकर सच बोला और सऊदी अरब की यात्रा के दौरान अपना आंखों देखा हाल कह सुनाया लेकिन जब इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इनका विरोध किया तो वे 24 घण्टे में ही दबाव में आकर सफाई देने को मजबूर दिखे हैं।
दरअसल, कुछ दिन पूर्व साजी चेरियन सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे, वहां उन्होंने देखा कि भारत की तरह मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर की कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही। उन्हें बताया गया कि यहां पर जोर-जोर से चिल्लाना मना है, जिसे इबादत करनी होगी वह अपने तय समय पर मस्जिद में आकर नमाज अदा करेगा, उसके लिए अलग से लाउडस्पीकर लगाने की जरूरत नहीं है।
केरल के मंत्री ने इसे दूसरे धर्मों के लिए उनकी इबादत को ध्यान में रखकर किए गए फैसले के रूप में देखा और एक धार्मिक सौहार्द का बड़ा रूप बताया था, लेकिन इसी के साथ केरल में उनके इस बयान का बड़े स्तर पर विरोध होते देखा गया, जिसे लेकर उन्होंने सफाई देते हुए कहा है कि उनके कहने को गलत तरह से प्रस्तुत किया गया है। उनके कहने का अर्थ वह नहीं जो समझा गया। पर इसके साथ ही देश भर में इस विषय पर फिर एक बार चर्चा शुरू हो गई है।
विश्व हिन्दू परिषद मुखर होकर उनके पूर्व बयान का समर्थन करते हुए केरल के एक जिम्मेदार मंत्री द्वारा यूं अपने कहे से पीछे हटने को इस्लाम मताम्बलंबियों का उनके ऊपर दबाव मान रही है।
इस संबंध में विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है, ''केरल के मंत्री साजी चेरियन ने पहले सच ही बोला, उन्होंने जो बोला, वह भारत में इस्लाम माननेवालों के लि एक दर्पण का कार्य करना चाहिए था किंतु दुर्भाग्य से वे कुछ कट्टरपंथी इस्लाम के दबाव में आ गए और सच्चाई से भाग खड़े नजर आए। यह ना सिर्फ कम्युनिस्ट सरकार का दोहरा चरित्र दर्शाता है, अपितु कट्टरपंथी इस्लाम के सामने वह किस तरह आत्मसमर्पण करती है यह भी स्पष्ट कर देता है ।''
उन्होंने कहा कि कट्टरपंथियों के दबाव में सच्चाई को दबाना और तथ्यों से भागना केरल सरकार को एक बार फिर से कटघरे में खड़ा कर रहा है है, अब ना सिर्फ केरल अपितु संपूर्ण भारत के इस्लामिक मताम्बलंबियों और उनके तथाकथित बुद्धिजीवियों की बारी है कि वह भी सऊदी अरेबिया से कुछ सीखें , जिधर की ओर मुंह करके वह प्रतिदिन पांच बार नमाज अदा करते हैं ।
विनोद बंसल ने कहा, ''यह मस्जिदों के लाउडस्पीकर ही है जो भारत में भी अनेक स्थानों पर धर्मांतरण, अलगाववाद और हिंसा का कारण बनते हुए देखे गए हैं। भारत में यदि किसी राज्य सरकार का कार्य इस संदर्भ में देखा जाए तो वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार है। योगी सरकार का अनुसरण शेष राज्य सरकारों को भी करना चाहिए। जिस तरह से उन्होंने यूपी में ध्वनि प्रदूषण को लेकर जारी निर्देशों का सख्ती से अनुपालन कराया है।''
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देशों के बाद पुलिस ने धार्मिक स्थलों पर अधिक संख्या में लगे लाउडस्पीकरों को उतरवाने के साथ ही निर्धारित मानक के अनुरूप उनकी आवाज धीमी कराने की कार्रवाई की है। पुलिस ने अब तक प्रदेश में धार्मिक स्थलों से कई हजार लाउडस्पीकरों को उतरवाया है।
वहीं विश्व हिन्दू परिषद केरल के प्रदेश प्रवक्ता वेंकटेश्वर केएन का कहना भी यही है कि पहले मंत्री साजी चेरियन ने मीडिया साक्षात्कार और सार्वजनिक मंच से सउदी अरब में जो देखा उसकी प्रशंसा की और बाद में वे मुसलमानों के दबाव में आ गए। हमारी शुरू से मांग रही है कि मस्जिदों से ध्वनिप्रदूषण होता है। प्रार्थना के लिए इतनी जोर की आवाज करने की कोई जरूरत नहीं वह भी एक साथ कई स्थानों से होती है, जिन्हें नहीं सुनना, जो बीमार हैं, या जो किसी कार्य में लगे हैं, उनको मजबूरी में इसे सुनना पड़ता है, ऐसे में कोर्ट का निर्णय भी हमारे सामने हैं।
इस्लाम को माननेवाले और राज्य सरकार को भी चाहिए कि वह न्यायालय के निर्णय को ध्यान में रखकर लाउडस्पीकर पर ध्वनिप्रदूषण के हिसाब से रोक लगाए या उसकी एक सीमा तय करे कि इससे ऊपर आवाज में वे नहीं बजाए जाएंगे।
लेख
डॉ. मयंक चतुर्वेदी