एक ओर जहां सुरक्षाबलों की कार्रवाई से बौखलाए माओवादी आतंकी प्रेस विज्ञप्तियां जारी कर रहें हैं, वहीं दूसरी ओर उनके ठिकानों पर सुरक्षाकर्मियों के द्वारा लगातार छापेमारी की जा रही है।
केंद्रीय सुरक्षाबलों के द्वारा जिस प्रकार से माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चलाए जा रहे हैं, उसने नक्सलियों को पूरी तरह से बैकफुट पर धकेल दिया है।
सुरक्षाबल के जवानों के द्वारा की जा रही आक्रामक कार्यवाइयों के बाद माओवादी एक बाद एक या तो सरेंडर कर रहे हैं, या नियमित अंतराल में उनकी गिरफ्तारियां हो रही है।
इन सब के बीच माओवादी आतंकियों द्वारा 28 जुलाई से 3 अगस्त के बीच प्रभावित क्षेत्रों में 'नक्सल शहीदी सप्ताह' भी मनाया जा रहा है, ऐसे में सुरक्षाबल के जवान पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं।
माओवादी आमतौर पर इस शहीदी सप्ताह के दौरान किसी न किसी घटना को अंजाम देने का प्रयास करते हैं, ऐसे में माओवादियों के छत्तीसगढ़ी के माओवाद से प्रभावित गरियाबंद क्षेत्र में एकत्रित होकर अस्थायी कैंप का निर्माण किया था।
लेकिन सुरक्षाबलों की सूझबूझ और साहस के चलते माओवादी आतंकियों को अपने इस कैंप से भागना पड़ा है।
मिली जानकारी के अनुसार गरियाबंद के कुल्हाड़ी घाट क्षेत्र के पहाड़ियों में नक्सलियों के एक शिविर स्थापित किया था।
क्षेत्र में माओवादियों की उपस्थिति की गुप्त जानकारी मिलते ही 31 जुलाई की रात्रि में सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के जवानों को मैनपुर थाने से गौरमुंड, भालुडिग्गी और बेसराझार के अंदरूनी जंगलों में एरिया डोमिनेशन के लिए भेजा गया था।
सुरक्षाबलों के द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान के दौरान भालुडिग्गी के समीप जंगलों में सुरक्षाबलों ने नक्सली मूवमेंट देखा, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने उसी ओर आगे बढ़ने की तैयारी की।
सुरक्षाबलों से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान लगभग 3-4 नक्सली मौके पर मौजूद थे और उन्होंने गोलीबारी का भी प्रयास किया, लेकिन जवानों के द्वारा की गई जवाबी फायरिंग के बाद माओवादी भाग निकले।
सीआरपीएफ की 65वीं बटालियन और कोबरा की 207वीं बटालियन ने संयुक्त रूप से इस कार्रवाई को अंजाम दिया और माओवादियों को इस क्षेत्र से खदेड़ दिया है। इस पूरे घटनाक्रम की सीआरपीएफ के बटालियन कमांडेंट वीके सिंह ने पुष्टि की है।
हालांकि सूत्रों से यह जानकारी भी सामने आई है कि अब इस क्षेत्र में फोर्स लगातार सर्च अभियान चलाते रहेगी और माओवादियों को दोबारा शिविर स्थापित करने का कोई मौका नहीं दिया जाएगा।
विदेशी शक्तियों के षड़यंत्र का प्रसार कर रहे माओवादी आतंकी
माओवादी आतंकी संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) 1 अगस्त, 2023 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए विश्व मूलनिवासी दिवस की बात कही है।
माओवादी आतंकियों ने अपनी इस प्रेस विज्ञप्ति में विभिन्न सरकारों के द्वारा जनजाति क्षेत्रों में चलाए जा रहे विकास कार्यों का विरोध किया है।
दरअसल इन विकास कार्यों के कारण माओवादियों की उपस्थिति और स्थानीय जनजाति ग्रामीणों में उनकी पकड़ कमजोर हुई है जिसके कारण माओवादी बौखलाए हुए हैं और इस तरह की प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त प्रेस विज्ञप्ति में माओवादियों ने मूलनिवासी दिवस पर जोर दिया है जो कि वास्तव में विदेशी शक्तियों का भारत के समाज के विरुद्ध एक ऐसा षड्यंत्र है जिसके माध्यम से वह भारत की सामाजिक संरचना को तोड़ना चाहते हैं।
इस प्रेस विज्ञप्ति में एफडीआई और देश के विभिन्न राज्यों में चलाए जा रहे विकास कार्यों और निवेश योजनाओं का भी विरोध किया गया है।
दरअसल इसे भी कुछ इस प्रकार से देखा जा सकता है कि माओवादी जो की विदेशी शक्तियों के हाथ की कठपुतली हैं वह विदेशी ताकतों के निर्देश पर भारत में होने वाले निवेश एवं विकास कार्यों को रोकने का प्रयास कर रहे हैं।
इस प्रेस विज्ञप्ति को माओवादी आतंकी संगठन के मध्य रीजनल ब्यूरो के प्रवक्ता के माध्यम से जारी किया गया है।
चुनावों का बहिष्कार करना चाहते हैं माओवादी
माओवादी आतंकी किसी भी दृष्टि से लोकतंत्र के समर्थक नहीं है यह पहले ही सिद्ध हो चुका है। अब इस बात की पुष्टि करते हुए माओवादियों ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है जिसमें उन्होंने आगामी छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया है।
माओवादी आतंकी संगठन की पश्चिम बस्तर रीजनल कमेटी के नाम से जारी प्रेस विज्ञप्ति में आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की बात कही गई है।
इस प्रेस विज्ञप्ति में राजनीतिक दल के नेताओं को मार भगाने की बात भी कही गई है। इसके अतिरिक्त माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सड़क पुलिया एवं अन्य विकास कार्यों के निर्माण का भी विरोध किया गया है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो यह प्रेस विज्ञप्ति माओवादियों की उस छटपटाहट का नतीजा है, जो सुरक्षाबलों की लगातार आक्रमक कार्रवाई के बाद देखा जा रहा है।