छत्तीसगढ़ के घोर माओवाद से प्रभावित बस्तर क्षेत्र में माओवादी आतंकी संगठन को एक के बाद एक बड़ा झटका लग रहा है।
केंद्र सरकार के सख्त निर्देश के बाद माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे आक्रामक अभियानों से माओवादी संगठन की रीढ़ टूट चुकी है।
यही कारण है कि अब बस्तर के लगभग सभी जिलों से लगातार माओवादियों के द्वारा आत्मसमर्पण करने की खबरें सामने आ रही हैं। इसके अतिरिक्त सुरक्षाबलों के अभियानों में माओवादी लगातार गिरफ्तार भी हो रहे हैं।
वहीं कुछ माओवादियों के द्वारा सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है, जिन्हें माओवादियों ने मुठभेड़ों में या तो मार गिराया है या क्षेत्र से ही खदेड़ दिया है।
इसी क्रम में बस्तर संभाग के सुकमा जिले माओवादी आतंकी संगठन से जुड़े 22 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
आत्मसमर्पित करने वाले माओवादियों में एक नक्सल दंपति भी शामिल हैं, जिनमें महिला माओवादी के सर पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
सरेंडर करने वाले नक्सली दंपति की पहचान मुचाकी गाले और मुचाकी भीमा के रूप में हुई है। जिले में 7 महिला माओवादियों समेत कुल 22 नक्सलियों सरेंडर किया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इन सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को शासन की पुनर्वास नीति का लाभ मिलेगा।
मिली जानकारी के अनुसार सुकमा पुलिस माओवादियों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए 'पूना नार्कोम अभियान' चला रही है। इस अभियान से प्रभावित होकर अभी तक सैकड़ों माओवादियों ने सरेंडर किया है।
इस अभियान के तहत शुक्रवार, 4 अगस्त को आत्मसमर्पण करने वाले 22 माओवादी चिंतागुफा और भेज्जी थानाक्षेत्र में सक्रिय थे।
माओवादियों को सरेंडर कराने के लिए जिला बल, डीआरजी, कोबरा की 202वीं वाहिनी एवं सीआरपीएफ की 50वीं वाहिनी ने संयुक्त भूमिका निभाई है।
बीजापुर में भी माओवादियों ने किया सरेंडर
सुकमा के साथ-साथ बीजापुर जिले में भी माओवादियों को झटका लगा है। माओवादी आतंकी संगठन की बीजापुर स्थित गंगालूर एरिया कमेटी के तीन माओवादियों ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
बीजापुर जिला पुलिस अधीक्षक ने जानकारी देते हुए बताया कि गंगालूर एरिया कमेटी में लंबे समय से सक्रिय रहे 3 माओवादियों ने शुक्रवार, 4 अगस्त को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के समक्ष सरेंडर किया है।
मिली जानकारी के अनुसार सरेंडर करने वाले माओवादियों में जनमिलिशिया कमांडर सन्नू पुनेम उर्फ रमेश, आरपीसी बुरजी डीएकेएमएस सदस्य सोनू पुनेम और आरपीसी संगम सदस्य आयतु पुनेम शामिल हैं। यह तीनों माओवादी गंगालूर क्षेत्र के ही निवासी हैं।
पुलिस ने बताया कि सन्नू पुनेम वर्ष 2005 से लेकर 2019 तक माओवादियों के द्वारा किए गए कई आतंकी घटनाओं में शामिल था, जिसके चलते पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। वहीं सोनू पुनेम वर्ष 2009-10 में हुई घटनाओं में शामिल रहा है।
तीनों में सबसे अधिक समय तक माओवादी संगठन में रहने वाला आयतु पुनेम 1998 से नक्सली संगठन में सक्रिय है, जो 2010 तक की 6 बड़ी घटनाओं में शामिल रहा है।
माओवाद की खोखली विचारधारा के कारण मुख्यधारा में लौट रहे माओवादी
सुकमा में आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी हों या बीजापुर में, सभी का कहना है कि वो माओवादी आतंकी संगठन के भीतर होने वाले भेदभाव और उनकी खोखली विचारधारा के चलते मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं।
बीजापुर में सरेंडर करने वाले माओवादियों का कहना है कि वे संगठन के भीतर होने वाले भेदभाव पूर्ण व्यवहार, उपेक्षा, प्रताड़ना और माओवाद की खोखली विचारधारा से तंग आ चुके थे।
इसके अतिरिक्त उन्हें शासन द्वारा चलाए जा रहे पुनर्वास नीति ने भी प्रभावित किया। यही कारण कि इन लोगों ने सरेंडर कर मुख्यधारा में शामिल होना चुना है।
वहीं सुकमा में जिन 22 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया उनका कहना है कि माओवादियों की विचारधारा अमानवीय और आधारहीन है।
उनका कहना है कि शीर्ष माओवादी आतंकी स्थानीय जनजातीय ग्रामीणों के साथ भेदभाव करते हैं, उनका शोषण करते हैं, एवं स्थानीय जनजातियों के साथ ही हिंसा करते हैं। अपने ही बीच के लोगों की ये स्थिति देखने के बाद इन्होंने आत्मसमर्पण का फैसला लिया है।