जल-जंगल-जमीन की कथित लड़ाई के नाम पर अरबों की संपत्ति बना रहे माओवादी आतंकी नेता

वर्ष 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने शीर्ष माओवादी आतंकी नेता संदीप यादव उर्फ विजय के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही करते हुए करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की थी। किसी भी माओवादी आतंकी के विरुद्ध यह प्रवर्तन निदेशालय की पहली कार्यवाई थी।

The Narrative World    29-Sep-2023   
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देश के विभिन्न हिस्सों में आतंक फैलाने वाले माओवादियों को दशकों तक
'क्रांतिकारी' के रूप में पेश किया गया, इनके द्वारा किए गए अपराधों, आतंकी हमलों, हत्याओं एवं लूट-पाट को क्रांति का हिस्सा बताया गया।


सिर्फ इतना ही नहीं, मुख्यतः जनजातीय क्षेत्र में अपनी पैठ बनाये इन माओवादी आतंकियों के द्वारा क्षेत्र के ग्रामीणों का शोषण करने के बाद भी इन्हें 'गरीबों का मसीहा' कहा गया।


इस पूरे नैरेटिव के पीछे उन सभी साहित्यकारों, पत्रकारों, तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों एवं नेताओं का हाथ था जो मुख्य रूप से वामपंथी विचार की पृष्ठभूमि से जुड़े हुए थे।


यह नैरेटिव वर्तमान में भी चलाने का प्रयास किया जाता है, लेकिन सूचना के नये माध्यमों (सोशल मीडिया, मोबाइल फोन समेत अन्य) के आने के बाद से दशकों तक फैलाया गया भ्रमजाल अब टूट गया है।


सूचना के नये माध्यम और वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से माओवादियों को लेकर तमाम तरह के खुलासे हुए हैं।


इन खुलासों में जो सबसे हैरान करने वाली बात सामने आई है वह यह है कि माओवादी संगठन गरीबों, वंचितों और जनजातियों की लड़ाई के नाम पर करोड़ों-अरबों रुपयों की संपत्ति एकत्रित कर रहा है।


इन संपत्तियों को कुछ चुनिंदा शीर्ष माओवादी आतंकी नेताओं के द्वारा उपयोग किया जा रहा है। केंद्रीय एजेंसियों की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कई माओवादी आतंकी नेताओं ने रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल समेत विभिन्न क्षेत्रों में पैसों का निवेश भी किया है।


दरअसल माओवादियों एवं शहरों में बैठे उनके पैरोकारों के द्वारा दशकों तक यही बताया गया कि माओवादी/नक्सली गरीबों और वंचितों की लड़ाई लड़ रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि एक तरफ माओवादी गरीब जनजातियों को अपने संगठन में शामिल कर उन्हें सुरक्षाबलों से लड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं।


वहीं दूसरी ओर अपने संगठन के भय का फायदा उठाकर करोड़ों की उगाही कर रहे हैं। इसमें मुख्य बात यह भी है कि माओवादियों के द्वारा उगाही की रकम का उपयोग माओवादी संगठन के शीर्ष आतंकी नेता अपनी अय्याशी और पूंजी बढ़ाने के लिए कर रहे हैं।


माओवादियों के द्वारा की जा रही इस करोड़ों-अरबों के उगाही नीति की जानकारी पहले से ही विभिन्न सरकारों को थी, लेकिन किसी भी सरकार ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की।


आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दशकों से पैसों की उगाही कर रहे माओवादी आतंकी संगठन के किसी भी माओवादी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के द्वारा सबसे पहली कार्यवाही वर्ष 2018 में हुई थी। इस दौरान एजेंसी ने करोड़ों की चल-अचल संपत्ति का पता लगाया था।


वर्ष 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने शीर्ष माओवादी आतंकी नेता संदीप यादव उर्फ विजय के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही करते हुए करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की थी। किसी भी माओवादी आतंकी के विरुद्ध यह प्रवर्तन निदेशालय की पहली कार्यवाई थी।


बीते वर्ष मारा गया संदीप यादव झारखंड-बिहार समेत 5 राज्यों में सक्रिय था और एजेंसियों ने ऐसा अनुमान लगाया था कि इसने अपने 2 दशक के आतंकी गतिविधियों के दौरान अरबों रुपयों की संपत्ति बना ली है।


खास बात यह भी है कि जो माओवादी आतंकी संदीप स्थानीय जनजातियों, ग्रामीणों और गरीबों को आतंकी संगठन में शामिल करता था उसके बच्चे खुद विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं।


दरसअल इस कार्यवाई के बाद से इस बात की पुष्टि हो गई थी कि अब माओवादी आतंकी संगठन के शीर्ष नेता भी संगठन से अधिक अपनी निजी संपत्तियों को बढ़ाने में लगे हुए हैं।


एजेंसी के सूत्रों का कहना था कि केंद्रीय बलों की कार्यवाइयों के साथ-साथ यह भी एक मुख्य कारण है कि माओवादी आतंकी संगठन का कैडर कमजोर हुआ है। एजेंसी सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख हुआ था कि सुरक्षाबलों पर हमला करने वाले और निम्न स्तर के (संगठन में) माओवादियों के बीच यह बात तेजी से फैल रही है कि शीर्ष माओवादी नेता अपनी निजी संपत्ति बढ़ाने में लगे हुए हैं।


दरअसल माओवादियों के निचले कैडर में इस तरह की चर्चा का बड़ा कारण एक यह भी है कि वर्ष 2018 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई कार्यवाई के बाद बीते 4 वर्षों में ईडी ने माओवादी संगठन के विभिन्न हिस्सों में दबिश देकर करोड़ों की संपत्ति जब्त की है।


संदीप यादव के अलावा वर्ष 2018 में ही शीर्ष माओवादी आतंकी नेता बिनय की 77 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। इसके बाद ईडी की राडार में माओवादी आतंकी नेता विजय यादव भी आया, जिसकी संपत्तियों को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत संलग्न किया गया।


विजय यादव के पास से 85 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति प्राप्त हुई थी। सिर्फ वर्ष 2019 में ही ईडी ने लगभग 3 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी।


एजेंसियों ने अपनी जांच में पाया कि कई माओवादियों के पास आलीशान मकान और महंगे रहन-सहन की वस्तुएं भी बरामद हुई है। हाल ही के वर्षों में केंद्र सरकार के सख्त निर्देश के बाद की गई विभिन्न कार्यवाइयों में अनेक माओवादी नेताओं की संपत्तियों को जब्त किया गया है।


पीएलएफआई के दिनेश गोप की एक करोड़ से अधिक की संपत्ति, दीपक भोक्ता (टीएसपीसी) की एक करोड़ से अधिक की संपत्ति, लक्ष्मण गंझू (टीएसपीसी) की 60 लाख से अधिक की संपत्ति समेत विभिन्न आतंकी नेताओं की करोड़ों की संपत्तियों को जब्त किया गया है।


जांच एजेंसियों ने इस बात का भी खुलासा किया था कि कई शीर्ष माओवादी आतंकी नेताओं ने अपने परिजनों के नाम पर भी उगाही और लेवी के पैसों को निवेश किया है। इसका खुलासा बड़े स्तर पर तब हुआ जब चतरा जिले में एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने एक निजी इंटर कॉलेज को सील कर कार्यवाई शुरू की।


दरअसल यह कॉलेज चंपा देवी के नाम पर था जो प्रतिबंधित माओवादी आतंकी संगठन टीएसपीसी के आतंकी नेता गोपाल सिंह भोक्ता उर्फ ब्रजेश गंझू की पत्नी थी। जांच में यह बात सामने आई कि जिस जमीन (2.45 एकड़) पर वह कॉलेज संचालित हो रहा था उसे माओवादी आतंकी ने लेवी की रकम से खरीदा था।


इसके अलावा जिस तरह से छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्यवाईयों में लाखों रुपये जब्त किए गए एवं करोड़ों रुपये की संपत्ति को चिन्हित किया गया है, उससे बार-बार यह स्पष्ट हो जाता है कि माओवादी आतंकी नेता आतंक के दम पर सिर्फ अपनी निजी संपत्ति बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।


इसके अलावा रांची में माओवादियों ने पास से करोड़ों रुपये नगद, बीएमडब्ल्यू और थार एवं स्कोर्पियो जैसी लग्जरी गाड़ियां एवं महंगी वस्तुओं की बरामदगी की गई है, इससे भी इस बात की पुष्टि होती है।


यही कारण है कि ईडी एवं सीआरपीएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियों का कहना है कि माओवादी संगठन का कैडर अब कमजोर पड़ रहा है। सुरक्षाबलों एवं जांच एजेंसियों का यह भी कहना है कि जिस तरह से माओवादियों को स्थानीय ग्रामीणों की मदद 5 वर्ष पूर्व मिला करती थी, वैसा अब बिल्कुल भी नहीं है।