कांग्रेस के लिए टेरेसा 'संत' है और श्री राम काल्पनिक

अब हम वर्तमान समय की बात करते हैं। सोनिया गांधी को श्री राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण मिला था, लेकिन सोनिया गांधी ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से आधिकारिक रूप से कोई भी प्रतिनिधि इस प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा।

The Narrative World    18-Jan-2024   
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2016 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए सोनिया गांधी ने वेटिकन के पोप फ्रांसिस को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में सोनिया गांधी ने ईसाई नन टेरेसा को संत घोषित करने की घोषणा पर प्रसन्नता जताई थी।


इस पत्र में सोनिया गांधी ने लिखा था कि 'मदर टेरेसा के सन्तिकरण से भारत में रहने वाले 2 करोड़ ईसाइयों सहित सभी नागरिक इस बात से गर्वित और प्रसन्न है कि पोप और कैथोलिक चर्च द्वारा मदर टेरेसा की आत्मा की पवित्रता, उद्देश्य की पवित्रता और मानवता की सेवा के माध्यम से ईश्वर की सेवा की।'


सोनिया गांधी ने इस पत्र में यह भी कह दिया था कि यह कार्यक्रम सभी भारतीयों के लिए मदर टेरेसा को धन्यवाद देने का अवसर है।


इसके बाद सोनिया गांधी इस पत्र में लिखती हैं कि वह इस कार्यक्रम के लिए वेटिकन जाने की इच्छा रखती हैं, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वह वेटिकन नहीं जा पा रही हैं।


लेकिन ऐसा नहीं है कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस से अपना कोई प्रतिनिधि नहीं भेजा। सोनिया गांधी ने कांग्रेस की दो नेता मार्गरेट अल्वा और लुइजिन्हों फलेरो को वेटिकन सिटी भेजा था।


अब हम वर्तमान समय की बात करते हैं। सोनिया गांधी को श्री राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण मिला था, लेकिन सोनिया गांधी ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है। 


सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से आधिकारिक रूप से कोई भी प्रतिनिधि इस प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा।

 

इस पूरे मामले पर कांग्रेस पार्टी ने एक पत्र जारी कर इस प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को निजी मामला बताकर जाने से मना कर दिया है।


अब विचार कीजिए कि जब एक क्रिश्चियन नन से जुड़े कार्यक्रम का निमंत्रण चर्च द्वारा सोनिया गांधी को दिया गया तब सोनिया गांधी की प्रतिक्रिया कैसी थी ?


और अब जब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के द्वारा रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण सोनिया गांधी को दिया गया तो उनकी प्रतिक्रिया कैसी है ?


एक तरफ जहां बीमार होने के बाद भी सोनिया गांधी वेटिकन सिटी जाने के लिए इच्छुक थी, वहीं दूसरी और उन्होंने अयोध्या धाम आने से ही इनकार कर दिया।


वेटिकन सिटी जो दिल्ली से लगभग 6000 किलोमीटर की दूरी पर यूरोप में स्थित है, वहां भी सोनिया गांधी ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा था, लेकिन अयोध्या धाम जो दिल्ली से महज 700 किलोमीटर की दूरी पर है, वहाँ किसी भी कांग्रेसी को आधिकारिक रूप से नहीं भेजा जा रहा है।


यही सोनिया गांधी ईसाई नन के संती करण पर अत्यधिक प्रसन्न थीं, तो अब श्रीरामलला के नए मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा कांग्रेस को खटक रही है।


क्या यही है कांग्रेस का सेक्युलरिज़्म ? दरअसल यह कांग्रेस का सेक्युलरिज़्म नहीं है, यह कांग्रेस का हिन्दु विरोधी चेहरा है, जो बार-बार उजागर हो रहा है।


यह गांधी-नेहरू परिवार का हिन्दु विरोधी चरित्र है, जिसे छिपाने का जितना प्रयास किया गया, वह उतना ही बाहर आता गया।


यह वही परिवार है, जिसके नेता जवाहरलाल नेहरू ने विवादित ढांचे के अंदर रखी हुई श्री राम लाल की प्रतिमा को बाहर निकलने का आदेश दिया था।


उन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अयोध्या जो की फैजाबाद जिले के अंदर आता था उसके कलेक्टर को आदेश देकर अंदर रखी हुई प्रतिमा को बाहर निकालने का निर्देश दिया था।


हिंदू समाज के प्रति गांधी-नेहरू परिवार की जो उदासीनता है उसे लेकर समाज में आक्रोश है। इसके अलावा आज जो गांधी-नेहरू परिवार कट्टरपंथियों के चंद वोटों के लिए भगवान श्री राम की अवहेलना कर रहा है, उसका प्रतिसाद भी उन्हें जल्द ही हिंदू समाज आने वाले चुनाव में देगा।